कावेरी पुकारे अभियान की झलकें - शिवनासमुद्र और नरसीपुरा के पड़ाव
तिरुमाकुडलू या संगम का शाब्दिक अर्थ है “तीन नदियों का मिलन बिंदु”, यहाँ कावेरी, काबिनी और स्पटीका सरोवर (एक पौराणिक झरना) का मिलन होता है। इस स्थान को इस मिलन बिंदु की वजह से ‘दक्षिण काशी’ कहा जाता है, क्योंकि काशी में भी गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है।
सद्गुरु ने सत्संग में बताया कि ये जगह बहुत पवित्र है, हालाँकि इसने एक मशहूर पर्यटन केंद्र के रूप में मान्यता नहीं पाई है।
शिवनासमुद्र की कहानी
शिवनासमुद्र का अर्थ है ‘शिव का समुद्र’। कहानी के अनुसार एक बार, एक राक्षस ने एक विशाल पत्थर का रूप लेकर कावेरी के बहाव को रोक दिया। जब शिव ने उस राक्षस का विनाश किया तो कावेरी अचानक से एक समुद्र की तरह बहने लगी, जिससे उसका नाम ‘शिवना समुद्र’ पड़ गया। शिवनासमुद्र शहर नदियों के बीच बसा एक द्वीप है और कावेरी नदी को दो हिस्सों में बांटता है, जिससे गगनचुक्की और बराचुक्की झरने बनते हैं (दोनों को एक साथ शिवनासमुद्र कहा जाता है)। ये दो खूबसूरत झरने भारत के दूसरे सबसे बड़े झरने हैं।
Subscribe
मंड्या से शिवनासमुद्र का सफ़र
मंड्या से शिवनासमुद्र जाते समय, सद्गुरु को एक साधू और उनके दो शिष्यों ने रोका। उन्होंने सद्गुरु के लिए एक छोटी सी पूजा की और उन्हें एक शॉल भेंट की। वे भाव विभोर थे और ये अभियान चलाने के लिए सद्गुरु को धन्यवाद और आशीर्वाद दे रहे थे।