युवाओं जुड़ो सत्य से - आखिर है क्या?
किसी भी व्यक्ति की जीवंतता उसके जीवन के प्रति जिज्ञासु और उत्सुक होने के सीधे अनुपात में होती है – जो जितना जिज्ञासु होगा, उतना ही जीवंत भी होगा। युवावस्था जीवन के सबसे अधिक जीवंत भागों में एक है। यह समय स्वाभाविक रूप से मन में उठते रहने वाले उन लाखों प्रश्नों के कारण आश्चर्य से भरा रहता है, जो हर चीज़ के बारे में उठते हैं। उद्देश्यों, सफलता, असफलता, स्वप्न, आकांक्षा, भावना, बुद्धिवादी तर्क-वितर्क के बावजूद भी बहुत से प्रश्न - कुछ स्पष्ट और बहुत से अस्पष्ट - रह ही जाते हैं।
सत्य को जानने के लिये एक सच्चा प्रश्न सबसे अच्छा साधन है। यह उन सरल, एकतरफी जवाबों से संतुष्ट नहीं होता, जो दुनिया ने अनिश्चितताओं से निपटने के लिये खोज रखे हैं। इन सब परेशान करने वाली उलझनों के बीच, किसी को सच्चा मार्ग कैसे मिल सकता है, या, क्या कोई सच्चा मार्ग है भी?
इस खोज में युवाओं की मदद के लिए सद्गुरु ने 5 सितम्बर के दिन दिल्ली में युवाओं जुड़ो सत्य से अभियान की शुरुआत की। इस अभियान में वे 12 शहरों की यात्रा करेंगे और अलग-अलग विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों से मिलकर उनके साथ उन विषयों पर चर्चा करेंगे जो छात्रों के लिये महत्वपूर्ण हैं।
आप इस ट्रैक का उपयोग करते हुए एक ऐसा संगीतमय वीडियो बना सकते हैं, जो इस गीत के मूल तत्व को प्रकट करे।
इसमें हिस्सा लेने वालों के पास विडियो बनाने और भेजने के लिये 30 सितम्बर तक का समय है। उसके एक सप्ताह के बाद, जीतने वाले वीडियो को ईशा के आधिकारिक चैनलों( फेसबुक, यू ट्यूब, ट्वीटर तथा इन्स्टाग्राम) पर पोस्ट किया जायेगा।
जैसे ही आपका वीडियो तैयार हो जाये, उसे यू ट्यूब पर अपलोड कीजिये और उसकी लिंक हमें socialmedia@ishafoundation।org पर भेजिए।
प्रतियोगिता के निर्देश:
- इस प्रतियोगिता में कोई भी भाग ले सकता है!
- अगर आप अपने वीडियोज़ अपने व्यक्तिगत ऑनलाइन पेज पर अपलोड करते हैं, तो कृपया युवाओं जुड़ो सत्य से! थंबनेल और एंडस्लाइड का इस्तेमाल अवश्य करें।
- वीडियो ऐसा होना चाहिए, जो युवा पीढ़ी को पसंद आए।
- विजेता का निर्णय ईशा फाउंडेशन करेगी तथा यह निर्णय अंतिम होगा जिसे कोई चुनौती नही दी जा सकती।
- वीडियो में कोई ऐसी सामग्री न हो जो सिर्फ वयस्कों के लिये हो, या अश्लील हो।
मंज़िलों के आगे पहचानना है सच,
हर घड़ी, हर लम्हा, बस जानना है सच।
दिल की हर धड़कन कहे, बस ढूँढना है सच,
जिस तरह भी हो सके, बस छूना है सच।
दुनिया को न माना,
आरज़ू को पहचाना,
अब कहाँ है जाना?
ओह, मुझे जानना है सच।
ओह, पहचानना है सच।
अनकहे सवाल हैं, जो कर रहे गुदगुदी।
अनजानी सी प्यास, जो बुझती नहीं।
ख्वाहिशें हैं, ख्वाब हैं,
चाहतें, अरमान हैं,
जज्बातों में, सोच में,
गुम हूँ कहीं।
सारे सवालों की उलझन में,
मैं ढूंढूं सही राह को,
या किताबों में, या गुफ्तगू में,
या खोजूं खुद ही में?
ओह, मुझे जानना है सच,
ओह, पहचानना है सच।