आनंदामाइड - एक ड्रग जो आप अपने अंदर पैदा कर सकते हैं
सद्गुरु हमें बता रहे हैं कि हमारे दिमाग में ऐसी क्षमता है कि वो अपना नशा खुद पैदा कर सकता है। अगर दिमाग आनंदामाइड नाम का रसायन पैदा करने लगे, तो हम हमेशा नशे में रह सकते हैं।
जिज्ञासु : सद्गुरु, मैं उन लोगों के साथ काम करता हूं जो नशे के आदी हैं और अमेरिका में यह माना जाता है कि एक बार नशे का आदी हो जाने पर इंसान कभी नशा नहीं छोड़ पाता। यह बात मेरी समझ से बाहर है। नशे की लत एक हद तक एक मेडिकल केस हो सकता है, मगर क्या यह एक स्थायी बीमारी है?
क्या नशा एक स्थायी बीमारी है?
सद्गुरु : यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह के नशे की बात कर रहे हैं। खाने का भी नशा होता है, ड्रग्स की लत होती है, सेक्स की लत होती है, गप लड़ाने की लत होती है - बहुत सी चीजों को लेकर बहुत सारे व्यवहार ऐसे होते हैं, जो इंसान की मजबूरी बन जाते हैं।
जो लोग कहते हैं कि नशा एक स्थायी बीमारी है और इसका इलाज इसी को ध्यान में रखते हुए करते हैं, उन्हें खुद एक तरह का नशा होता है - वे किसी चीज को एक खास तरीके से करने के आदी होते हैं। हर इंसान एक तरह से इस परेशानी में है। एक हद तक ही सबके लिए एक समान उपचार हो सकता है, मगर पूरी तरह नहीं। आपको हर व्यक्ति को अलग-अलग देखना होगा और उसके लिए जैसा जरूरी हो, वैसा उपचार करना होगा। क्या हम लोगों का ऐसा ख्याल रखते हैं कि हम हर इंसान के साथ जिस तरीके से जरूरी हो, उस तरह पेश आएं? हमें यह देखना होगा। और सबसे बढक़र, क्या यह लोगों का हक है कि वे हमेशा समस्या में पड़ जाएं और दूसरों से अपने इलाज की उम्मीद करें? इसे भी देखने की जरूरत है। इस देश (अमेरिका) में बहुत सारे लोगों को लगता है कि अपने आप को परेशानी में डालना उनका अधिकार है और वे सरकार से उम्मीद करते हैं कि उन्हें ठीक करे। अगर लोग अपने कल्याण और भलाई की जिम्मेदारी नहीं लेते, तो धरती या स्वर्ग की कोई ताकत उन्हें ठीक नहीं कर सकती।
लोगों को बेहतर अनुभव देने होंगे
सबसे महत्वपूर्ण उनमें अपने जीवन के लिए जिम्मेदारी की भावना लाना और उन्हें बेहतर विकल्प दिखाना है। वरना, आप उन्हें शराब और ड्रग्स से बाहर नहीं निकाल पाएंगे। फिलहाल, यह उनके जीवन में सबसे बड़ा अनुभव है।
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जब तक आप उन्हें कुछ बेहतर नहीं सिखाएंगे, वे उसे नहीं छोडऩे वाले जो उन्हें मिला है। वह भले ही उनके शरीर को नुकसान पहुंचाए, मगर उन्हें लगता है कि उन्हें उन लोगों के मुकाबले बड़ा अनुभव हासिल है, जो दिन भर काम करते हैं, घर वापस आते हैं, खाते हैं, सोते हैं और फिर काम पर चले जाते हैं। उन्हें लगता है कि वह एक बेकार जीवन है और जो वे कर रहे हैं, वह बेहतर है। जब वे असहाय हो जाते हैं, टूट जाते हैं, तो आप भले ही उन्हें नीची नजर से देखें, मगर जब वे नशे में होते हैं तो वे आपको नीची नजर से देखते हैं। अगर उन्हें ऐसा नहीं लगता कि जो वे कर रहे हैं, वह आस-पास मौजूद बाकी चीजों से बेहतर है, तो वे ऐसा नहीं करते। उनके नजरिए से यह अच्छी चीज होती है। केवल जब हालात बुरे हो जाते हैं, जब शरीर बेकार हो जाता है, तब वे आपके पास आते हैं।
अगर कोई ऐसा ड्रग सामने आता है, जो शरीर को नुकसान न पहुंचाए मगर आपको हर समय एक नशे सी हालत में रखे, तो सारे लोग उसे लेना चाहेंगे। अभी तक हमने बहुत से लोगों के लिए जीवन का अनुभव बढिय़ा नहीं बनाया है, इसलिए वे लोग कुछ ढूंढ रहे हैं और हर तरह के विकृत तरीके अपना रहे हैं। हमें उनके सामने कुछ ऐसा रखना होगा जो किसी भी ड्रग से अधिक शक्तिशाली हो और हर किसी की खुशहाली का रास्ता हो।
आनंदामाइड की खोज
हाल में मानव मस्तिष्क पर कुछ शोधों के हैरतअंगेज नतीजे सामने आए हैं। इजराइल के एक वैज्ञानिक ने मानव मस्तिष्क के कुछ पहलुओं पर कई साल शोध किया और उसने पाया कि मस्तिष्क में लाखों कैनेबिस (भांग) रिसेप्टर हैं!
जब उस वैज्ञानिक को यह रसायन मिला, जो रिसेप्टरों की ओर जाता है, तो उस रसायन का कोई नाम नहीं था। उस वैज्ञानिक को इस नए रसायन का नाम रखने की पूरी आजादी थी। वह उसे ऐसा नाम देना चाहता था जो वाकई उसके लिए उचित हो। जब उसने भारतीय धर्मग्रंथों के बारे में शोध किया, तो उसे यह देखकर हैरानी हुई कि सिर्फ भारतीय ग्रंथों में ही आनंद की अवस्था का जिक्र किया गया है। इस धरती पर कोई दूसरा धर्म आनंद की बात नहीं करता। धर्म पाप की बात करते हैं, धर्म भय की बात करते हैं, धर्म अपराधबोध की बात करते हैं, धर्म दंड की बात करते हैं। मगर कोई दूसरा धर्म आनंद की अवस्था की बात नहीं करता। इसलिए उसने इस रसायन, जो कैनबिस रिसेप्टरों की ओर जाता है, का नाम रखा ‘आनंदामाइड’।
योग विज्ञान से ऐसा आनंद मिल सकता है
इसलिए आपको बस थोड़ा सा आनंदामाइड पैदा करना है, क्योंकि आपके अंदर नशे की पूरी की पूरी फसल है। अगर आप उसे ठीक से उगाएं और जारी रखें, तो आप हर समय नशे में हो सकते हैं। मगर इससे आपकी मानसिक क्षमताएं कमजोर नहीं पड़तीं। शांत रहना, हर समय आनंद की एक अवस्था में बने रहना, हर इंसान के लिए संभव है अगर वह सिर्फ अपने शरीर में थोड़ा और खोजने की कोशिश करे। योग विज्ञान आपको यह आनंद देता है।
योगी सुख के खिलाफ नहीं हैं। बस वे छोटे-मोटे सुख से संतुष्ट होने के लिए तैयार नहीं हैं। वे लोभी हैं। वे जानते हैं कि अगर आप एक गिलास वाइन पीते हैं, तो उससे बस आपको थोड़ा सा नशा होता है और अगली सुबह आपको सिरदर्द और बाकी परेशानियां होंगी। वे इसके लिए तैयार नहीं हैं। मगर अब वे हर समय पूरी तरह नशे में होते हैं मगर पूरी तरह से संतुलित और सचेत होते हैं, क्योंकि नशे का आनंद उठाने के लिए आपको सचेत होना ही चाहिए। इसलिए पूरी तरह नशे में मगर बिल्कुल सचेत रहकर ही आप उसका आनंद उठा सकते हैं। प्रकृति ने आपको यह संभावना दी है।
संपादक की टिप्पणी:
*कुछ योग प्रक्रियाएं जो आप कार्यक्रम में भाग ले कर सीख सकते हैं:
21 मिनट की शांभवी या सूर्य क्रिया
*सरल और असरदार ध्यान की प्रक्रियाएं जो आप घर बैठे सीख सकते हैं। ये प्रक्रियाएं निर्देशों सहित उपलब्ध है: