आपके घर में कोई कैद तो नहीं ?
क्या वजह है कि हम जिस तरह का आध्यात्मिक विकास किसी आश्रम में कर पाते हैं, अपने घर पर नहीं? क्या घर को भी आश्रम की तरह बनाया जा सकता है? सद्गुरु बता रहे हैं कि ऐसा किस तरह संभव है-
क्या वजह है कि हम जिस तरह का आध्यात्मिक विकास किसी आश्रम में कर पाते हैं, अपने घर पर नहीं? क्या घर को भी आश्रम की तरह बनाया जा सकता है? सद्गुरु बता रहे हैं कि ऐसा किस तरह संभव है-
प्रश्न: जब मैं आश्रम में रहता हूं, तो मेरी आध्यात्मिक क्रियाएं बहुत सहजता से होती हैं। लेकिन जब मैं घर जाता हूं तो कुछ समय बाद वह बहुत मशीनी हो जाता है। घर पर भी आध्यात्मिक विकास करने और इस सहजता को कायम रखने का क्या तरीका है?
सद्गुरु: घर मुख्य रूप से आपके रहने का एक इंतजाम है। लोग अपने साधनों और अपनी जरूरतों के मुताबिक – या कभी-कभी अपने पड़ोसियों की जरूरतों के मुताबिक यह व्यवस्था करते हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि आपका घर आपकी जरूरतों के मुताबिक होगा, किसी और के ख्याल के मुताबिक नहीं कि आपको किस तरह रहना चाहिए। आपको अपने घर को उस तरह बनाना चाहिए, जिस तरह वह आपके लिए अच्छा हो।
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घर सिर्फ एक इमारत नहीं है। इसमें दूसरी चीजें भी शामिल हैं – आपकी पत्नी या पति, आपके बच्चे, शायद आपके माता-पिता, आपके पड़ोसी और पड़ोस भी शामिल होता है। जंगल में रहने की बजाय किसी शहर या नगर में रहने का मकसद यही है कि हमारी जिन्दगी आसान हो, बुनियादी ढांचे हों और एक समुदाय हो। हो सकता है कि फिलहाल आपके साथ ऐसा नहीं हो पा रहा हो, लेकिन आपने शहर में रहना इसीलिए पसंद किया ताकि जिन्दगी थोड़ी और सहजता और आसानी से चले। आप ऐसी व्यवस्था चुनते हैं जो आपके जीवन के मकसद के लिए सुविधाजनक हो।
आश्रम को कौन सी चीज आश्रम बनाती है?
जो बात आश्रम को एक आश्रम बनाती है वह है- यहां पर कोई भी इसलिए है क्योंकि वह यहां होना चाहता है – वह यहां किसी कैद में नहीं फंसा है। आपको अपने घर में भी ऐसी ही स्थिति पैदा करनी चाहिए। सिर्फ इस बात का ध्यान रखिए कि आपके घर में कोई ऐसा तो नहीं महसूस कर रहा कि वह किसी तरह के बंधन या कैद में फंसा हुआ है। हो सकता है कि कुछ लोग ऐसा महसूस कर रहे हों और आपको पता तक न हो। हो सकता है कि वे पड़ोसी से बताते हों, आपसे नहीं। हो सकता है कि वे पूरी तरह फंसे हुए न महसूस कर रहे हों लेकिन किसी रूप में उनका दम घुट रहा हो। अगर उनका दम घुट रहा है, तो उनके लिए बड़ी खिड़कियां खोलिए, या उन्हें छत पर रखिए, यह पक्का कीजिए कि हर कोई वहां इसलिए है क्योंकि वह वहां होना चाहता है।
सबसे बढ़कर, आपको शहर में किस तरह रहना चाहिए- इस बारे में सभी तरह की बेवकूफाना प्रतिस्पर्धा और खयालों से खुद को मुक्त करें। कुछ खास चीजों को हासिल करने के लिए आपको किसी खास तरीके से रहना जरूरी नहीं है। आप पूरी तरह अलग हो सकते हैं, पूरी तरह अलग चीजें कर सकते हैं और फिर भी कामयाबी पा सकते हैं। आध्यात्मिक प्रक्रिया के संबंध में, कई रूपों में मैं इस बात का सजीव उदाहरण हूं। अगर आप अपने सिर को तेजी से हिलाते हैं, तो लोगों को लगता है कि आप आध्यात्मिक नहीं हैं। उन्हें लगता है कि आपको सिर धीरे-धीरे हिलाना चाहिए और सौम्यता से बोलना चाहिए। लोगों के दिमाग में कुछ खयाल हैं कि आध्यात्मिक लोगों को किस तरह होना चाहिए। तयशुदा ढांचे आपकी जिन्दगी को नष्ट कर रहे हैं।
एक अनुकूल माहौल बनाएं
बुनियादी चीज यह सुनिश्चित करना है कि हर कोई वहां इसलिए है क्योंकि वे वहीं होना चाहते हैं। ऐसा माहौल तैयार करें जहां आपका घर कोई कैद नहीं बल्कि एक ऐसी जगह हो जहाँ आपका विकास हो। आपके घर आपके विकास का इंतजाम होना चाहिए।