सद्‌गुरुबैसाखी का दिन भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। सिख धर्म व खालसा संवत का यह नव वर्ष होता है तो दूसरी तरफ यह रबी की फसल कटने का उत्सव होता है। तो क्या करना चाहिए इस अवसर पर और कैसे मनाना चाहिए इस नव वर्ष को?

हर दिन को परखने का पैमाना

एक बार खुद से पूछिए कि पिछले एक वर्ष के दौरान, आपने कितनी बार पूर्णिमा का चांद देखा, कितनी बार उगते सूर्य को देखा? कितनी बार आपने ठहर कर, किसी फूल को खिलते हुए देखा? कितनी बार किसी तितली को उड़ते हुए देखा? कितनी बार खुद पर मुस्कुराए?

यही जीवन का खजाना है। यही सही पैमाना होगा अपने हर दिन को परखने का।

इनके प्रति सजग होने का अर्थ होगा कि आप अपने भीतर और आसपास के जीवन और अस्तित्व के प्रति सजग हैं। इसका अर्थ है कि आप अपने मनोवैज्ञानिक खेल में नहीं उलझते हैं।
दिन गुजरने का मतलब घर से आॅफिस और आॅफिस से घर नहीं, या व्हाट्स एप के एक मैसेज से अगले मैसेज तक का सफर नहीं है, बल्कि दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक, चंद्रोदय से चंद्रास्त तक का सफर है। दिन इसलिए बदलते हैं, क्योंकि ग्रह चक्कर काटता है, चंद्रमा इसके आसपास घूमता है और सूर्य हमारे ऊपर चमकता है। इनके प्रति सजग होने का अर्थ होगा कि आप अपने भीतर और आसपास के जीवन और अस्तित्व के प्रति सजग हैं। इसका अर्थ है कि आप अपने मनोवैज्ञानिक खेल में नहीं उलझते हैं।

मैं आपसे यह नहीं कह रहा कि आप रोज बैठ कर सूरज उगने और डूबने को देखते रहें। परंतु सवाल यह पैदा होता है कि क्या आप अपने आसपास के अस्तित्व के प्रति सजग हैं? या आपने केवल ‘बेस्ट सनसेट’ ही देखा, जो आपको किसी ने व्हाट्स एप पर भेजा था।

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दूसरी बात - किसी भी कारोबार में खाते का हिसाब रखना महत्वपूर्ण होता है।

अपने जीवन के बही-खाते की जाँच करने के लिए ये एक अच्छा दिन है। क्या आप पहले से अधिक खुशनुमा हुए? अधिक परिपक्व हुए?
लोगों को लगता है कि वे आयकर विभाग के लिए ऐसा कर रहे हैं जबकि वास्तविकता यह है कि ऐसा न करने से आपको पता ही नहीं चलेगा कि आपको लाभ हुआ या हानि। इसके लिए आप सी.ए. और टैक्स के जानकार लोग नियुक्त करते हैं, जो आपके खाते को मेंटेन करते हैं। पर आपके जीवन के खाते का क्या होगा? अपने जीवन के बही-खाते की जाँच करने के लिए ये एक अच्छा दिन है। क्या आप पहले से अधिक खुशनुमा हुए? अधिक परिपक्व हुए? क्या आप पहले से अधिक समझदार हुए? क्या आप पहले से कहीं अधिक स्नेही हुए? इस साल आपके दोस्तों की संख्या बढ़ी या दुश्मनों की?

4 टिप्स इस साल में अपनाने के लिए

  1. सबसे पहले, ये ‘न्यू ईयर रिजोल्यूशन’ की आदत छोड़ें। इसका अर्थ है कि आप खुद पर कुछ थोपना चाह रहे हैं। अगर सरकार कल को कोई रिजोल्यूशन या कानून पास कर दे कि आपको कल से इमली के पेड़ से उल्टा लटकना होगा, तो क्या आप विरोध नहीं करेंगे? आपका बनाया हुआ रिजोल्यूशन भी कुछ ऐसा ही होता है। अगर आप सजगतापूर्वक जीने की बजाए, खुद को इस तरह नियमों में बाँधने लगेंगे, तो इससे कोई लाभ नहीं होगा? अपने पर नियमों को थोपने की बजाए, एक बेहतर जीवन के रूप में परिपक्व बनना सीखें।
  2. इस नए साल में आप खुद पर एक एहसान कीजिए - कम से कम पूर्णिमा की रात को, किसी एकांत स्थान पर घूमने जाइए, जहां से आप चंद्रमा को देख सकें। भारत में अक्सर ऐसा होता था, लोग पूर्णिमा की रात, किसी पहाड़ी पर बने मंदिर में जाते थे और वहां आधी रात तक ठहरते थे। वहां से चंद्रमा भी बहुत अच्छी तरह दिखाई देता है। ऐसा नहीं कि आपको कोई भगवान दिखने लगेंगे। केवल आपको यह एहसास होना चाहिए कि आपके आसपास कितना सुंदर अस्तित्व है और आप उसके सामने एक छोटे से जीव हैं। फिर भी आप अपने बारे में कितना कुछ सोचते हैं? इस विशाल ब्रह्माण्ड में, अपने बारे में कैसी गलत धारणा बनाए बैठे हैं! पहाड़ पर जाना बस आपको यही दिखाने के लिए है!
  3. इस वर्ष, अपने लिए एक लक्ष्य तय कीजिए कि आप कितने आनंदपूर्ण होंगे और आप दूसरों को कितना आनंद देंगे। ऐसा कोई नहीं जो आंनद नहीं पाना चाहता या जिसने आनंद को नहीं जाना। लोग आनंदपूर्ण होना जानते हैं और इसे पाना चाहते हैं. . . लेकिन, इसके साथ एक बड़ा सा ‘लेकिन’ जुड़ा है। अगर आपको वह ‘लेकिन’ दिखे तो आपको उसे ठोकर से उड़ाना होगा।
  4. जब भी समय देखने के लिए घड़ी देखिए तो मुस्कुराना मत भूलिए। घड़ी की टिक-टिक में समय नहीं, आपका जीवन बीत रहा है। जब आप घड़ी देखें तो याद करें कि पिछले दस हज़ार सालों में, पिछले साल में, पिछले एक माह और एक सप्ताह में, कितने लोग मर चुके हैं - कितने लोग पिछले एक दिन में मर गए? परंतु आप आज भी जीवित हैं - कम से कम इस बात पर एक मुस्कान तो बनती है। जब भी समय देखिए - यह याद रखिए कि समय भाग रहा है पर आप आज भी जीवित हैं - और फिर अपने लिए मुस्कुराइएं!

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