सद्‌गुरुसद्‌गुरु से एक साधक ने सिगरेट पीने की लत छोड़ने के बारे में पूछा। सद्‌गुरु बता रहे हैं कि अगर जीवन में स्मोकिंग से बड़ा अनुभव मिल जाए तो फिर इसे छोड़ने के बारे में सोचने की जरुरत नहीं होगी। आइये जानते हैं

प्रश्न : सद्‌गुरु, मैं बहुत स्मोक करता हूं। इसे कैसे सुधारूं?

सद्‌गुरु : आजकल हर कहीं नशीले पदार्थों के असर के बारे में काफी जागरूकता है। पहले सिगरेट के पैकेटों पर बहुत छोटे-छोटे अक्षरों में लिखा जाता था - ‘सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।’

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.
लेकिन अगर नतीजा निकलने पर आप चीखने-चिल्लाने वाले हैं, तो आपको कोई काम सोच-समझकर करना चाहिए। जीवन बस  इतना ही सरल है।
आजकल बड़ी तस्वीर के साथ बड़ा-बड़ा छपा होता है - ‘धूम्रपान मौत का सामान है’ या ‘धूम्रपान से कैंसर होता है’। शरीर में कैंसर पालना कोई अपराध नहीं है। अगर आप उसका आनंद ले सकते हैं, तो उसे होने दीजिए। आप जीवन में जो चाहे, वह कीजिए, मगर आपको समझना चाहिए कि आप जो कुछ भी करते हैं, उसका एक नतीजा जरूर होता है। अगर कोई भी नतीजा हो, उसे आप खुशी-खुशी झेल सकें, तो आपका जो मन हो, वह कीजिए। लेकिन अगर नतीजा निकलने पर आप चीखने-चिल्लाने वाले हैं, तो आपको कोई काम सोच-समझकर करना चाहिए। जीवन बस  इतना ही सरल है। इस चीज का नैतिकता से कोई लेना देना नहीं है। जो नतीजे को जाने बिना कुछ करने की मूर्खता करता है, वह दुखी होता है।

इको फ्रेंडली मशीन हैं हम

स्मोकिंग बहुत मूर्खतापूर्ण काम है, क्योंकि इंसानी सिस्टम एक इको फ्रेंडली मशीन है। यह स्मोकिंग के लिए नहीं बना है। हमारी कार से भी धुआं कम निकले, अब तो इसके लिए फ्यूल्स और इंजनों पर काफी रिसर्च हो रहे हैं। अगर आप एक बिना धुएं वाली मशीन को धुएं वाली मशीन में बदलना चाहते हैं तो क्या यह मूर्खतापूर्ण नहीं है? अगर आप इस बात पर ध्यान दें, तो आपकी लत धीरे-धीरे कम हो जाएगी।

शाम्भवी महामुद्रा के बाद सिगरेट पीने की जरुरत नहीं रहेगी

इसके पीछे एक खास रासायनिक कारण भी है। आपकी केमिस्ट्री निकोटिन या कैफीन या बाकी चीजों पर निर्भर हो गई है। इसे बदला जा सकता है।

शांभवी महामुद्रा के पहले ही दिन आप परमानंद की स्थिति में पहुंच जाते हैं। उसके बाद मुझे आपको कुछ भी छोड़ने के लिए नहीं कहना होगा।
अगर आप सिर्फ शांभवी महामुद्रा  करें तो आप देखेंगे कि आपका पूरा सिस्टम इतना सक्रिय हो जाता है, कि सिगरेट, कॉफी, चाय या कुछ और पीने की जरूरत खत्म हो जाती है। उसके बाद जब भी आप ये चीजें लेते हैं, तो वह सिर्फ आनंद के लिए होता है। किसी दिन अगर आपको कॉफी पीने या स्मोकिंग का मन करे, तो आप ऐसा करते हैं मगर उसकी बाध्यता और उस पर शारीरिक निर्भरता खत्म हो जाती है।

मैं किसी से नहीं कहता कि ‘यह या वह करना छोड़ना दो।’ इससे आप दो मिनट के लिए सिगरेट रख देंगे मगर कुछ देर बाद फिर से धुआं उड़ाने लगेंगे। इसकी वजह यह है कि आपके लिए यह अनुभव सबसे बड़ा और बढ़िया है। लेकिन अगर मैं आपके लिए धू्म्रपान, शराब, सेक्सुअलिटी, ड्रग्स या और किसी चीज से बड़ा अनुभव पैदा कर दूं, तो मुझे आपको कुछ भी छोड़ने के लिए बोलने की जरूरत नहीं होगी। वह अपने आप छूट जाएगा। अगर आपको पता हो कि आप अपने ही भीतर के केमिकल से पूरी तरह आनंदित कैसे हो सकते हैं, तो आप जीवन में कभी सिगरेट या शराब का सेवन नहीं करेंगे। शांभवी महामुद्रा के पहले ही दिन आप परमानंद की स्थिति में पहुंच जाते हैं। उसके बाद मुझे आपको कुछ भी छोड़ने के लिए नहीं कहना होगा। आपका जीवन अपने आप पटरी पर आ जाएगा।

चैतन्य का नशा

मैंने अपने जीवन में कभी कोई नशा नहीं किया, लेकिन अगर आप मेरी आंखों को देखें, तो वे हमेशा नशे में चूर लगती हैं। मैं दिन के चौबीसों घंटे नशे में रह सकता हूं मगर उसका कोई हैंगओवर नहीं होता और उसके लिए कोई खर्च नहीं करना पड़ता। यह सेहत के लिए भी अच्छा है। हम शराब, ड्रग्स और इन चीजों को छोटे बच्चों की चीजें मानते हैं क्योंकि हम सिर्फ अपनी जीवंतता से उससे हजार गुना नशा पा सकते हैं। सिर्फ वाइन क्यों? आप डिवाइन के नशे में चूर हो सकते हैं।