गुरु पर्व: गुरु नानक की भेंट
गुरु नानक के जीवन से जुडी एक कहानी के माध्यम से सद्गुरु हमें बता रहे हैं, कि कैसे उनकी एक सुई ने एक रईस इंसान को अपनी गलती का एहसास करा दिया...
गुरु नानक के जीवन से जुडी एक कहानी के माध्यम से सद्गुरु हमें बता रहे हैं, कि कैसे उनकी एक सुई ने एक रईस इंसान को अपनी गलती का एहसास करा दिया...
गुरु नानक के जीवन का महत्व ये नहीं कि उन्होंने एक नया धर्म शुरू किया था, जैसा कि बहुत से लोगों को लगता है कि उन्होंने किया था। गुरु नानक किसी भी शास्त्र को नहीं जानते थे, वे बस जीवन को जानते थे। आज हम उनकी शिक्षाओं के रूप में जो कुछ भी जानते हैं, वो बहुत कम है। मैं कहूँगा कि उनके शब्दों का दो से पांच फीसदी भी आज हमारे पास नहीं है। पर हम कल्पना कर सकते हैं कि उन्होंने क्या कहा होगा, क्योंकि भीतरी अनुभव को शब्दों में ढालने वाले सभी लोग एक ही बात बोलते हैं। हो सकता है शास्त्र पुराने हो जाएं, पर भीतरी अनुभव कभी पुराना नहीं होता। इसकी कोई तारीख नहीं होती। वक़्त और तारीख भौतिक जगत के सन्दर्भ में होतीं हैं। भीतरी तत्व न तो इस समय से जुड़ा है, न ही किसी और समय से।
गुरु नानक से जुड़ी एक कथा
गुरुनानक बेहद दयालु और हिम्मती थे। एक बार वह एक गांव से दूसरे गांव की पैदल यात्रा कर रहे थे और लोगों को उपदेश देते जा रहे थे।
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दो महीने बाद उसने उन्हें ढूंढ लिया और कहा - ‘गुरु जी, मैं इस सुई को अपनेपास नहीं रखना चाहता। आप बूढ़े हो चुके हैं। अगर आप मर गए तो मैं इस सुई को स्वर्ग में साथ ले जाकर वहां तो आपको दे नहीं सकता। मैं हमेशा के लिए आपका कर्जदार हो जाऊंगा।’ गुरु बोले- ‘तो तुम जानते हो कि इस सुई को स्वर्ग में अपने साथ नहीं ले जा सकते?’ आदमी बोला - ‘बिल्कुल’।
चाहे कोई इंसान हो, समाज हो या देश, जब वे अंतहीन तरीके से चीजों को एकत्र करने लगते हैं तो उसका एक ही परिणाम होता है और वह यह कि खुद उसे और हर किसी को भी कष्ट और कलह का सामना करना पड़ता है। हर आदमी को अपने मन में यह तय करना होगा कि मेरी जरूरतें क्या हैं। वह उतना ले, इसके अलावा अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल वह दूसरों की भलाई करने में करे। जब तक ऐसा नहीं होता, इंसान खुद अपने लिए और इस दुनिया के लिए एक दुर्भाग्य की तरह है। भूकंप, सुनामी और ज्वालामुखी इस धरती पर तबाही की असली वजह नहीं हैं, इसकी असली वजह है इंसान की अज्ञानता। अज्ञानता ही एकमात्र विपदा है और इसका एक ही हल है और वह है ज्ञान।’’