हमारे जीवन में केवल एक चीज़ तय है – कि एक दिन हमें मृत्यु का सामना करना पड़ेगा। अधिकतर लोग इस बात को भुला देते हैं, और इसका फायदा उठाने से चूक जाते हैं। कैसे उठा सकते हैं इसका फायदा?

 

प्रश्‍न:

सद्‌गुरु, आपने कहा था कि जब भी हम अपनी शांभवी क्रिया करें तो उसे ऐसे करना चाहिए मानो हम अपनी जिंदगी का आखिरी काम कर रहे हों। लेकिन अकसर मैं जब अपनी साधना करता हूं तो मैं कुछ बेचैन सा हो जाता हूं, मन भटकने लगता है। कृप्या आप मुझे सलाह दें, मेरा मार्गदर्शन करें।

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सद्‌गुरु:

इस सृष्टि की प्रकृति और प्रक्रिया ऐसी है कि हमारे जन्म के साथ ही तय हो जाता है कि हम एक दिन मरेंगे। लेकिन जैसे-जैसे आप शिक्षित होते हैं, आप एक तरह की भागदौड़ में शामिल हो जाते हैं। आप बाहरी जानकारियों से इतने लद जाते हैं कि उसके चक्कर में आप अपने शरीर से आने वाली उस जरुरी और बुनियादी सूचना को अनदेखा कर बैठते है, जो आपको याद दिलाती है कि आप नश्वर हैं।

अगर आपको पता है कि आप नश्वर हैं तो आपको अपने जीवन में सिर्फ शांभवी ही नही, बल्कि हर चीज ऐसे करनी चाहिए कि आप उसे आखिरी बार कर रहे हैं।
आपके दिल की हर धडक़न कहती है, ‘आप मर सकते हैं।’ दुनिया में होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौतें दिल की समस्याओं के चलते होती हैं। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया में होने वाली कुल मौतों का तकरीबन तीस फीसदी, दिल की तकलीफों के कारण होती हैं। दुनियाभर में तकरीबन पचास हजार लोग हर रोज मरते हैं। इसका मतलब है कि आज भी पचास हजार दिल धडक़ना बंद कर देंगे। इनमें से कुछ को बिजली का झटका दिया जाएगा, ताकि वह दोबारा धडक़ना चालू कर दें, लेकिन वे इस प्रयास में फेल होंगे। जबकि कुछ लोग शांतिपूर्वक मरेंगे।

फिलहाल हम सभी के दिल धडक़ रहे हैं, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि अगले पल भी ये सारे दिल धडक़ते रहेंगे। जो आज मरे हैं, उन्होंने कभी सोचा नहीं होगा कि उन्हें आज मरना होगा। वे लोग भी जीना चाहते थे। उनकी कुछ योजनाएं थीं। उन्होंने सोचा था कि कल वे कहीं जाएंगे, लेकिन अचानक उनके दिल ने धडक़ना बंद कर दिया। अगर आप जीवन की प्रकृति पर गौर करेंगे तो आप देखेंगे कि यह कुदरती तौर पर बेहद नाजुक है। हर तरह के हालात में युवा, बूढ़े व हर तरह के लोग मरते हैं। आप और मैं अभी तक यहां हैं। तो चलिए, हम जीवन-प्रक्रिया का आनंद उठाएं, लेकिन साथ ही हम इस चीज का भी ख्याल रखें कि हम नश्वर हैं।

अगर आपको पता है कि आप नश्वर हैं तो आपको अपने जीवन में सिर्फ शांभवी ही नही, बल्कि हर चीज ऐसे करनी चाहिए कि आप उसे आखिरी बार कर रहे हैं। आप बिना रोए या आंसू बहाए, हर चीज को ऐसे देखें कि यह आपका आखिरी काम है। आप हर पल बस खुद को याद दिलाते रहें कि आप नश्वर हैं। मृत्यु के साथ जीना सीखिए, क्योंकि यह आपके अस्तित्व का ही एक हिस्सा है। अगर आपने सजगतापूर्वक इसके साथ जीना नहीं सीखा तो कभी अचानक यह आपके सामने आकर आपको चुनौती देगी तो आप उत्तेजित हो उठेंगे या घबरा जाएंगे। अगर आप हर पल के प्रति सजग रहेंगे तो खुद के जिंदा होने का अहसास और मोल बखूबी समझ में आने लगेगा।

शांभवी को जीवन का आखिरी काम की तरह करने का यह मतलब हर्गिज नहीं है कि इसे करते हुए आप अपनी जान गंवा दें। इसका सीधा सा मतलब है कि आपकी समझ में आपके जीवन का मोल बढ़ जाए। अगर आपकी नजर में अपने जीवन का कोई खास मोल है ही नहीं तो रोज सही वक्त पर सुबह उठने और बिना कुछ खाए योग वगैरह करने का क्या मतलब है? अगर आप अपने अस्तित्व का सही महत्व समझ लेते हैं, केवल तभी आप कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जो आपको परम संभावना तक ले जा सके।

अगर आप अपने अस्तित्व का सही मोल या महत्व समझ लेते हैं, तब आप जो भी करेंगे उसमें अपना सब कुछ झोंक देंगे। वर्ना आप जो कुछ भी करेंगे, उसमें बिना पूरी तरह डूबे हुए करेंगे। किसी भी काम में आपके लगाव न होने का असली मतलब ही यही है कि आपने अपने अस्तित्व की सच्ची अहमियत नहीं समझी। अगर ऐसा न होता तो आप स्भाविक तौर पर उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ लगा देते। आप जितना इसमें डूबेंगे, जिंदगी का उतना ही रस आपको मिलेगा। आप के बैंक में पड़ा पैसा आपको दुनिया की सैर तो करा सकता है, लेकिन जिंदगी के रस का अनुभव करने के लिए जिस पैसे या मुद्रा की जरूरत होती है, वह मुद्रा आपका उससे जुड़ाव या आपकी लगन ही होती है। अगर आप उसमें डूबेंगे ही नहीं तो आपको जिंदगी के रस का आनंद भी नहीं आएगा। अब अगर आप जिंदगी के रस का पान करने से ही मना कर रहे हैं, तो फिर आप जिंदा ही क्यों हैं?

जिंदगी का हर टुकड़ा या अंश यहां जिंदगी का अनुभव करने के लिए है। सिर्फ जिंदगी में डूब कर उसे समझा और अनुभव किया जा सकता है।

अगर आप जीवन में डूब जाते हैं तो आपके जीवन का हर पल एक नई संभावना, एक नई शुरुआत लेकर आएगा।
अगर आप जिंदगी में इसलिए नहीं डूबना चाहते, क्योंकि आपको अपने जीवन में मौजूद कुछ लोग पंसद नहीं हैं और आप कुछ आदर्श किस्म के लोगों के इंतजार में हैं, ताकि उनके साथ आप जुड़ सकें, तो आप देंखेगे कि उन ‘आदर्श’ लोगों के साथ आपको कितनी दिक्कतें आएंगी। हो सकता है कि जब आप भगवान से मिलें तो आप उनमें ज्यादा डूबना चाहें, लेकिन जब तक आप भगवान से नहीं मिलते, तब तक आप अपने आसपास के लोगों के साथ ही जुडऩे की कोशिश कीजिए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप हालात को पंसद करते हैं या नहीं, आप उसे सही मानते हैं या नहीं।

किसी चीज में जुड़ाव या डूबने का यह मतलब नहीं कि आप भी वही कीजिए, जो हर व्यक्ति कर रहा है। जुड़ाव का मतलब है कि आप किसी भी चीज की अनेदखी नहीं कर सकते। इसका यह मतलब भी नहीं कि आप कोई खास चीज करें, यह तो आपके होने का तरीका है। अगर आप जीवन में डूब जाते हैं तो आपके जीवन का हर पल एक नई संभावना, एक नई शुरुआत लेकर आएगा। अगर इस सोच के साथ आप करेंगे तो कल की शांभवी में ही आपको एक जबरदस्त अनुभव होगा। लेकिन शांभवी में जबरदस्त अनुभव हासिल कर लेना महत्वपूर्ण नहीं है, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हर रोज आपके लिए संभावनाओं का नया रास्ता खुले।

अगर आप जिंदगी में इसलिए नहीं डूबना चाहते, क्योंकि आपको अपने जीवन में मौजूद कुछ लोग पंसद नहीं हैं और आप कुछ आदर्श किस्म के लोगों के इंतजार में हैं, ताकि उनके साथ आप जुड़ सकें, तो आप देंखेगे कि उन ‘आदर्श’ लोगों के साथ आपको कितनी दिक्कतें आएंगी।