कई बार हमारे शरीर का कोई अंग हमारी ईच्छा अनुसार काम नहीं करता या उसमें संवेदनाएँ महसूस नहीं की जा सकतीं। ऐसे में कैसे करें साधना और कैसे करें उसका उपचार?

प्रश्न: सद्‌गुरु, मेरे सिर का एक हिस्से में किसी तरह की रुकावट सी महसूस होती है। इसकी वजह से मैं खुद को किसी चीज पर न तो फोकस कर पाता हूं और न ही किसी काम में पूरी तरह से शामिल हो पाता हूं। मैं अपने बाक़ी शरीर को पूरी जीवंतता के साथ महसूस कर सकता हूं। इस सिलसिले में मैं क्या कर सकता हूं?

सद्‌गुरुसद्‌गुरु: मानव शरीर में कई परतें हैं - अन्नमय कोश, मनोमय कोश, प्राणमय कोश, विज्ञानमय कोश तथा आनंदमय कोश - इन्हें हम भौतिक शरीर, मानसिक शरीर, ऊर्जा शरीर, भौतिक व अ-भौतिक आयामों के बीच अस्थिर शरीर तथा अभौतिक आनंदमय शरीर के रूप में भी समझ सकते हैं। हठ योग एक तरीका है शरीर की इन सभी परतों की देखभाल का। भौतिक शरीर के स्तर पर, कुछ आसनों के दौरान आप यह देख सकते हैं कि आपके शरीर के कुछ अंग मुड़ते नहीं या सही तरह से काम नहीं करते। पर अगर आप एमआरआई करवाते हैं, तो सब कुछ सही दिखाई देता है। दरअसल शरीर ने आपकी कार्मिक सूचना के आधार पर, एक ख़ास तरह की आकृति बना ली है।

ये रुकावट कार्मिक ढाँचे की वजह से है

सूचना या इसे हम स्मृति भी कह सकते हैं, के भी कई स्तर होते हैं। एक विकासमूलक स्मृति होती है, जिसे इवोल्यूशनरी मेमोरी कहते हैं, एक आनुवांशिक स्मृति होती है जिसे आप जेनेटिक मेमोरी कहते हैं और एक होती है कार्मिक स्मृति। एक तरह से इवोल्यूशनरी मेमोरी तथा जेनेटिक मेमोरी भी कार्मिक प्रक्रिया ही है। तो आपकी कार्मिक मेमोरी की प्रकृति के अनुसार आपके शरीर के कुछ खास अंग कुछ खास तरह का व्यवहार करने लगते हैं। पर जब आप अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करते हैं तो वे कहते हैं कि सब ठीक-ठाक है। अगर आप शरीर को ध्यान से देखें, तो आप पाएंगे, शरीर के कुछ निश्चित हिस्सों में कोई अनुभव या संवेदना नहीं है। संवेदना में जो रूकावट या खालीपन है वह आपके कार्मिक ढांचे की वजह से है।

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

बस साधना की ओर ध्यान दें

ऐसे खालीपन की ओर ध्यान न दें। आप सजगता के साथ उन्हें ठीक नहीं कर सकते। अगर आप अपनी ओर से ऐसा करने की ज़्यादा कोशिश करेंगे, तो वे पहले से अधिक बड़े और अधिक तीव्र हो सकते हैं। बस अपनी साधना करते रहिए। साधना एक अनुकूल माहौल बनाती है। इसे किसी ख़ास लाभ को पाने के लिए नहीं करना चाहिए। आपके कुछ निश्चित पहलू ऐसे हैं, जिन्हें आप सजग प्रयत्न के द्वारा नहीं बदल सकते। इसका अर्थ यह नहीं कि वे कभी बदले नहीं जा सकते, परंतु वे आपके कोशिशों के वश में नहीं हैं। आपकी कोशिश सिर्फ यह होनी चाहिए कि आप अपने भीतर एक अनुकूल माहौल बनाएं। जब आप अपनी ओर से वह सारी कोशिश कर लें, जो आप कर सकते थे तो इसके बाद, समय की परवाह न करते हुए, बस इंतज़ार करें।

हठ योग : क्या है आसनों का लक्ष्य?

अगर आप इंतज़ार करना नहीं जानते, तो आपका सारा जीवन भौतिकता तक ही सीमित रह जाएगा, क्योंकि आप हमेशा यही सोचते रहेंगे कि एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक कैसे जा सकते हैं।

हठ योग इसलिए किया जाता है, ताकि आपका शरीर इतना मजबूत और सूक्ष्म हो जाए कि आपको इसके होने का एहसास तक न रहे। अगर ये एक जगह बैठ जाए तो बस बैठ जाए और फिर पानी, खाना या बाथरूम जाने जैसी मूलभूत चीज़ों की भी माँग न करे।
जब आप कहीं जाना चाहते हैं, तो आप एक दूरी तय करना चाहते हैं, जिसका मतलब है कि यह भौतिकता की सीमा में है। इस तरह, समय भी एक भौतिक इकाई है। आप किसी भौगोलिक दूरी को लंबाई या समय की ईकाई में बता सकते हैं। हो सकता है कि आपके पास अपने रोज़मर्रा के कामों के लिए निश्चित समय हो पर आप अपने विकास के लिए समय की सीमा नहीं तय कर सकते। अगर आप यह तय करने की कोशिश करते हैं कि आप एक निश्चित समय में कितने आसन करें, तो योग एक सर्कस बन कर रह जाएगा। अहम बात यह है कि आपको इस आसन में घुल-मिल जाना है। इस तरह हर आसन आपको पिघलाने का, आपको तरल बना कर आसन में मिला लेने का एक जरिया होता है।

भौतिकता का इस्तेमाल - भौतिकता से परे जाने के लिए

हम भौतिकता का इस्तेमाल, भौतिकता से परे जाने के लिए कर रहे हैं, इसे और मजबूत बनाने के लिए नहीं। लेकिन हम जानते हैं, समझते हैं और सम्मान भी करते हैं कि भौतिकता को अपने अस्तित्व बनाए रखने का हक है और इसकी अपनी एक शक्ति होती है। अगर हम इसे भी पूरी सहजता में नहीं रखें, तो यह हमारी राह के आड़े आएगा। अगर आपका शरीर स्वस्थ नहीं होगा, तो आपका सारा ध्यान इसकी ओर ही लगा रहेगा। जब यह पूरी तरह से ठीक होगा, आप इसे पूरी तरह से उपेक्षित कर सकते हैं। हम इसे इसलिए ठीक रखते हैं ताकि यह हमारे लिए बाधा न बने। योग और व्यायाम के बुनियादी स्वभाव में अंतर है। हम अपनी मांसपेशियां दिखाने या सुडौल बनने के लिए योग नहीं कर रहे।

हठ योग : बनाए ऐसा शरीर जिसे आप भूल सकें

हठ योग इसलिए किया जाता है, ताकि आपका शरीर इतना मजबूत और सूक्ष्म हो जाए कि आपको इसके होने का एहसास तक न रहे। अगर ये एक जगह बैठ जाए तो बस बैठ जाए और फिर पानी, खाना या बाथरूम जाने जैसी मूलभूत चीज़ों की भी माँग न करे। इसका मतलब है कि आपको इसकी बहुत देख-रेख न करनी पड़े। किसी भी अच्छे मशीन की भी यही खू़बी होती है। और यही एक अच्छे शरीर की खू़बी भी होगी, कि आपको इसका ध्यान कम या नहीं के बराबर रखना पड़े। पर दुनिया ने तो सारी बात को ही उल्टा कर रख है - अधिकतर लोगों के लिए, एक अच्छे शरीर का मतलब एक ऐसे शरीर से होता है जिसे हमेशा देखभाल की जरुरत हो।

अगर आपके शरीर का कोई ख़ास हिस्सा आपको सहयोग नहीं दे रहा, तो उसकी चिंता न करें। बाकी हिस्सों का समुचित इस्तेमाल करें, अपनी साधना करें, अपने भीतर एक अनुकूल माहौल तैयार करें। इसके बाद बस हल्का सा धक्का, और बाक़ी सब अपने-आप ठीक हो जाएगा।

सम्पादक की टिप्पणी:

कुछ सरल योग अभ्यास सीखने के लिए इस लिंक पर जाएं:

ईशा उप योग अभ्यास (हिंदी में)