भारत के छोटे व्यापारों को ऊँचा उठाने की कोशिश है इनसाइट
यहां सदगुरु उन चुनौतियों की बात कर रहे हैं जिनका सामना भारत में छोटे और मध्यम कारोबारों को करना पड़ता है और कैसे (हमारा कार्यक्रम) 'इनसाइट : सफलता का मूलमंत्र' उन्हें सही मार्गदर्शन और साधन देता है तथा उन्हें अपने स्तर को ऊपर उठाने में सहायता करता है।
सद्गुरु : अधिकतर लोग जब कारोबार के बारे में बात करते हैं तो ज्यादातर वे उन विशाल निगमों, बड़ी कंपनियों की बात करते हैं जो भारत में और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ कर बड़ी हो गई हैं। लेकिन भारत का व्यापार और अर्थतन्त्र दुनिया की आर्थिक परिस्थितियों से कहीं आगे फैला हुआ है। क्योंकि यहां बहुत अधिक पारिवारिक कारोबार हैं, अलग-अलग व्यक्तिगत कारोबार हैं तथा परिवारों द्वारा संभाले जाने वाले एंटरप्राइज़िस हैं - जहां कारोबारी परंपराएं काफी मजबूत हैं।
छोटे और माध्यम कारोबारों को अगले स्तर पर पहुंचाने के लिए
उनके पास ज़रूरी प्रतिबद्धता है, कारोबार चलाने के लिये ज़बरदस्त ऊर्जा तथा तकनीकी ज्ञान है लेकिन वे व्यक्तिगत उद्यमों को बड़ी संभावना में नहीं बदल पाते। उनके पास सब कुछ है, बुनियादी बातें एकदम अच्छी हैं, पर फिर भी अपने स्तर को ऊपर उठाना उनके लिये एक बड़ा संघर्ष है। हमारा इनसाइट कार्यक्रम इन कारोबारों को ऊपर उठाने के लिये ही है।
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मान लीजिये, आप ट्रेपीज़ झूलों पर झूल रहे हैं - जब तक आप निश्चिंत न हों कि आप दूसरा झूला पकड़ लेंगे, तब तक आप अपना झूला छोड़ कर छलांग नहीं मारेंगे। किसी से यह कहना अनुचित होगा कि वह अपना झूला छोड़ कर छलांग लगा दे - भले ही वह दूसरा झूला पकड़ लेने के प्रति पूरे विश्वास से भरा न हो। छलांग लगाने के उन कुछ क्षणों में खतरा तो होता ही है लेकिन यह सोच समझ कर लिया गया निर्णय होता है।
तो हमारा यह कार्यक्रम, 'इनसाइट' लोगों को अंतर्दृष्टि(गहरा देख पाने की काबिलियत) देने के लिये है - कि वे देख सकें कि दूसरा झूला कहाँ पर है और छलांग लगाने में उतना खतरा नहीं है जितना उन्हें लगता है। ठहरा हुआ कारोबार भी तो एक बड़ा खतरा ही है। सब कुछ तभी सही चलता है, जब वह बढ़ रहा हो और सफल हो रहा हो। तब आप लोगों को एक-साथ और लक्ष्य पर केंद्रित रख सकते हैं। अगर कारोबार ठहर जाए, कोई प्रगति न हो तो फिर वे सभी प्रकार की समस्याएं आ जाती हैं जिनका सामना हर किसी को कभी न कभी करना ही पड़ता है।
गहरा देख पाने की क्षमता सबसे जरुरी है
इन कारोबारियों को आवश्यक साधनों एवं तकनीक के बिना अगले स्तर पर जाने के लिये कहना ठीक नहीं है। तो हमने सोचा कि उन्हें ये साधन उपलब्ध कराने के लिये - इस क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे सफल, सर्वोत्तम लोगों को लाया जाए जो स्तर में सुधार करने के लिये जरूरी ज्ञान लोगों को दे सकें।
सबसे महत्वपूर्ण साधन है - अंतर्दृष्टि या गहरी समझ। इसका अर्थ यह है कि आप के पास वो अंतर्दृष्टि है जो दूसरों के पास नहीं है। आपके पास कुछ देख सकने की क्षमता है जो अन्यों के पास नहीं है, अन्यथा आप बस एक काल्पनिक लीडर हैं, जो किसी तरह वहां पहुंच गये हैं और हमेशा एक चिंता में रहते हैं कि आप गिर जायेंगे, असफल हो जायेंगे। लीडर होने का अर्थ यह है कि आप एक मचान पर बैठे हैं। अगर आप मचान पर बैठ कर भी दूसरों की अपेक्षा बेहतर नहीं देख सकते तो आप एक मजाक बन जायेंगे। जब आप एक मचान पर बैठे हैं तो आप की क्षमता वह देख सकने की होनी चाहिये जो दूसरे नहीं देख सकते। इसका मतलब ये जरुरी नहीं है कि आप कोई काम दूसरों से बेहतर करें, पर यह है कि आप किसी अन्य के मुकाबले बेहतर देख सकें, समझ सकें। जब आप वह देख सकते हैं जो दूसरे नहीं देख पाते, तो फिर काम करने में आप चाहें कितने भी अस्त-व्यस्त हों, आप फिर भी लीडर बन जाते हैं। लोग आप से अपेक्षाएं रखेंगे क्योंकि आप वो देख सकते हैं जो दूसरे लोग नहीं देख सकते। यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
संपादकीय टिप्पणी :
'इनसाइट : सफलता का मूल मंत्र', यह हमारा 4 दिवसीय वार्षिक कारोबार से जुड़ा कार्यक्रम है जिसमें भाग लेकर आप अपने कारोबार का स्तर सुधारने का विज्ञान खोज सकते हैं और आत्मसात कर सकते हैं। इस वर्ष के कार्यक्रम में सफल संसाधन नेता जैसे फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक एवं ग्रुप सीईओ किशोर बियानी, ओला लैब्स के सह संस्थापक एवं सीईओ भाविश अग्रवाल तथा नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत भी शामिल होंगे। इस अवसर को न गवायें। इनसाइट 2018 कार्यक्रम के लिये शीघ्र रजिस्टर करें।