प्रश्न: क्या एक उपयोगी और आनंदपूर्ण जीवन जीने के लिए ईश्वर में विश्वास करना एक जरूरी शर्त है? दूसरे शब्दों में कहें तो क्या हम ईश्वर के बिना ऐसा जीवन जी सकते हैं?

सद्‌गुरु: दुनिया पर नजर डालिए। क्या सभी ईश्वर में विश्वास करने वाले लोग आनंदित जीवन जीते हैं? नहीं। कुछ भक्त ऐसे हुए जो परमानंद में विभोर रहे, मगर उनकी तादाद मुट्ठी भर है। इतिहास में, एक मीराबाई और एक रामकृष्ण परमहंस हुए, जो आनंद से भरे रहते थे। आजकल ऐसे भक्त देखने को नहीं मिलते जबकि करीब 90 फीसदी दुनिया किसी न किसी ईश्वर में विश्वास करती है। अगर 90 फीसदी लोग वाकई आनंदित हो जाएं, तो मैं रिटायर हो जाऊंगा। मैं वाकई ऐसा दिन देखना चाहूंगा।

मंदिरों और होटलों का फर्क

जब मैं आठ-नौ साल का था, तो मुझे यह देखने की बहुत इच्छा होती थी कि जो लोग मंदिर में ईश्वर से मिलने जाते हैं, उनके साथ क्या होता है। इसलिए मैं जाकर एक बड़े मंदिर के सामने बैठ गया और बाहर आने वाले लोगों को बहुत ध्यान से देखने लगा। मैंने सिर्फ यह पाया कि वे आम तौर पर किसी ऐसी चीज या शख्स के बारे में गॉसिप कर रहे होते थे, जिसे उन्होंने अंदर देखा, कि उन्होंने क्या पहना हुआ था और वे क्या कर रहे थे। भारतीय मंदिरों में कई बार किसी की चप्पलें किसी और के साथ चली जाती हैं। जब लोगों को अपनी चप्पलें नहीं मिलतीं, तो वे सृष्टि और स्रष्टा को कोसने लगते।

क्या आप सृष्टि के स्रोत को छोड़कर अच्छी तरह रह सकते हैं? ऐसी कोई संभावना नहीं है। क्या आप सृष्टि के स्रोत के प्रति जागरूक रहे बिना जी सकते हैं। हां, मगर बहुत खुशहाली से नहीं।
मैंने हमेशा रेस्तरांओं से निकलने वाले लोगों के चेहरों पर मंदिरों और चर्चों से निकलने वाले लोगों के मुकाबले अधिक खुशी देखी। कोई जाकर ईश्वर से मिलकर आया और अपने चेहरे पर बिना किसी खुशी के बाहर निकला। किसी ने डोसा या इडली खाई और अधिक खुश होकर बाहर निकला! यह बात समझ नहीं आती, है न?

सृष्टि के स्रोत के साथ संपर्क

इसकी वजह यह है कि लोगों को ईश्वर का कोई अनुभव नहीं होता, उनके अंदर सिर्फ विश्वास होता है और आपका विश्वास सामाजिक और सांस्कृतिक चीज होती है। अब सवाल है की ‘क्या मैं ईश्वर के बिना बेहतर तरीके से जी सकता हूं?’ मुझे नहीं लगता कि ऐसी कोई संभावना है। वह क्या चीज है, जिसे आप ईश्वर कहते हैं? सृष्टि का जो स्रोत है, वही ईश्वर है। क्या आप सृष्टि के स्रोत के बिना जी सकते हैं? सृष्टि का एक स्रोत है, तभी सृष्टि है। क्या आप सृष्टि के स्रोत को छोड़कर अच्छी तरह रह सकते हैं? ऐसी कोई संभावना नहीं है। क्या आप सृष्टि के स्रोत के प्रति जागरूक रहे बिना जी सकते हैं। हां, मगर बहुत खुशहाली से नहीं। लेकिन अगर आप जागरूक और चेतन हैं तथा सृष्टि के स्रोत के साथ सीधे संपर्क में हैं, तो आप पूर्ण खुशहाली में जीवन जी सकते हैं। 

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मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं। 22वीं सदी में वैज्ञानिकों के एक समूह ने जाकर ईश्वर से मिलने का फैसला किया। वे ईश्वर के पास गए और बोले, ‘हे बूढ़े इंसान, आपने सृष्टि बहुत अच्छी बनाई है। इसके लिए शुक्रिया मगर अब हम वे सारी चीजें कर सकते हैं, जो आप कर सकते हैं। मेरे ख्याल से अब आपके रिटायर होने का समय हो गया है।’ ईश्वर बोला, ‘क्या सचमुच ऐसा है? आप क्या कर सकते हैं?’ ‘हम जीवन बना सकते हैं।’ ईश्वर ने कहा, ‘चलो देखते हैं।’ वैज्ञानिकों ने थोड़ी सी मिट्टी उठाई और उससे एक छोटा सा शिशु बना दिया। उस शिशु में जान आ गई। ईश्वर बोला, ‘ठीक है, यह तो बहुत अच्छा है। मगर पहले अपनी मिट्टी तो लाओ।’ आप जो भी करते हैं, वह इसी स्रोत से होता है जो पहले से यहां मौजूद है। उसके बिना आप कुछ भी कैसे कर सकते हैं? ‘उसके बिना’ का सवाल ही नहीं उठता। हो सकता है आपकी ईश्वर तक पहुँच हो, या फिर न हो। अगर आप इस स्रोत तक पहुंच के बिना जीते हैं, तो आपके अंदर कुछ क्षमताएं हो सकती हैं, मगर साथ ही बहुत संघर्ष भी होता है। फिलहाल बहुत से लोगों के साथ यही हो रहा है। अगर आपकी पहुंच है, तो आप पूर्ण आनंद और क्षमता के साथ जीवन जी सकते हैं।

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