हालांकि कृष्ण और राधा ने बचपन के कुछ ही साल साथ-साथ गुजारे, फिर भी आज हजारों साल बाद भी हम उन दोनों को अलग-अलग करके नहीं देख पाते। ऐसा कौन सा जादू था उस रिश्ते में?

Sadhguru जब कृष्ण ने गोपियों के कपड़े चुराए तो यशोदा माँ ने उन्हें बहुत मारा और फिर ओखली से बांध दिया। कृष्ण भी कम न थे। मौका मिलते ही उन्होंने ओखली को खींचा और उखाड़ लिया और फौरन जंगल की ओर निकल पड़े, क्योंकि वहीं तो उनकी गायें और सभी सथी संगी थे।

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

अचानक जंगल में उन्हें दो महिलाओं की आवाजें सुनाईं दीं। कृष्ण ने देखा वे दो बालिकाएं थीं, जिनमें से छोटी वाली तो उनकी सखी ललिता थी और दूसरी जो उससे थोड़ी बड़ी थी, उसे वह नहीं जानते थे, लेकिन लगभग 12 साल की इस लड़की की ओर वह स्वयं ही खिंचते चले गए।

16 साल की उम्र के बाद कृष्ण राधा से कभी नहीं मिले। लेकिन सात से सोलह साल की उम्र तक, राधा के साथ गुजारे उन नौ सालों में राधा हमेशा के लिए कृष्ण का हिस्सा बन गई।

दोनों लड़कियों ने उनसे पूछा कि क्या हुआ? तुम्हें इस तरह किसने बांध दिया? यह तो बड़ी क्रूरता है! किसने किया यह सब? उन दोनों में जो 12 वर्षीय लड़की थी, उसका नाम राधे था। जिस पल राधे ने सात साल के कृष्ण को देखा, उसके बाद वे कभी उनकी आँखों से ओझल नहीं हुए। जीवन भर कृष्ण राधे की आँखों में रहे, चाहे वह शारीरिक तौर पर उनके साथ हों या न हों। हालांकि बचपन के कुछ ही साल उन दोनों ने साथ-साथ गुजारे थे, फिर भी आज हजारों साल बाद भी हम राधा और कृष्ण को अलग-अलग करके नहीं देख पाते।

राधा

16 साल की उम्र के बाद कृष्ण पूरे जीवन राधा से कभी नहीं मिले। लेकिन सात साल की उम्र से लेकर 16 साल तक के उन नौ सालों में, जो उन्होंने राधे के साथ गुजारे, राधे उनका एक हिस्सा बन गईं। वह जीवन में बहुत सारे लोगों से मिले, बहुत सारे काम किए। उन्होंने कई विवाह भी किए, लेकिन राधे उनके जीवन में हमेशा बनी रहीं। राधा के शब्दों में, “मैं उनमें रहती हूं और वह मुझमें। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि वह कहां हैं और किसके साथ रहते हैं। वह हमेशा मेरे साथ हैं। कहीं और वह रह ही नहीं सकते।“ यानी जिस पल उन दोनों ने एक दूसरे को देखा था, उसके बाद से उन्हें एक दूसरे से अलग करके नहीं देखा गया। आज करीब तीन हजार साल बाद भी आप उन्हें अलग करके नहीं देख सकते। कुछ आचारी धार्मिक लोगों ने इतिहास में कुछ जगहों पर इन दोनों को अलग करने की कोशिश की। उन्होंने राधे को अलग करने की कोशिश की, क्योंकि राधे महाभारत की बदचलन लड़की है। वह सामाजिक ताने-बाने में फिट नहीं बैठती। इसलिए वे राधे को कृष्ण से अलग करके कृष्ण को ज्यादा ईश्वरीय स्वरूप में प्रस्तुत करना चाहते थे। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद वे राधा को कृष्ण के जीवन से बाहर नहीं कर सके।

कृष्ण को अपनी बांसुरी पर बड़ा गर्व था। राधे से अलग होते समय कृष्ण ने न सिर्फ अपनी बांसुरी राधे को दे दी, बल्कि उसके बाद जीवन में फिर कभी उन्होंने बांसुरी नहीं बजाई।

खैर, राधे ने कृष्ण को लकड़ी की ओखली से खोलने की कोशिश की। मगर कृष्ण उन्हें रोक दिया और कहा, ‘इसे मत खोलो। मैं चाहता हूं कि इसे मां ही खोले, जिससे उनका गुस्सा निकल सके।’ इन लड़कियों ने पूछा, ‘क्या हम तुम्हारे लिए कुछ और कर सकते हैं?’ इस पर कृष्ण ने अपनी सखी ललिता से कहा, ‘मुझे पानी चाहिए। मेरे लिए पानी ले आओ।’ दरअसल, पानी के बहाने वह उसे वहां से हटाना चाहते थे। ललिता पानी लेने चली गई और सात साल के कृष्ण और 12 साल की राधा साथ-साथ बैठ गए। इस एक मुलाकात में ही ये दोनों एक दूसरे में विलीन होकर एक हो गए और फिर उसके बाद से उन्हें कोई अलग न कर सका।
कृष्ण जब 16 साल के हुए, जिंदगी ने उनके रास्ते बदल दिए। कृष्ण को अपनी बांसुरी पर बड़ा गर्व था। उनकी बांसुरी थी ही इतनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली। लेकिन 16 साल की उम्र में जब वह शारीरिक तौर से राधे से अलग हुए, तो उन्होंने न सिर्फ अपनी बांसुरी राधे को दे दी, बल्कि उसके बाद जीवन में फिर कभी उन्होंने बांसुरी नहीं बजाई।
आगे जारी ...