ज्योतिर्लिंग : साधना के लिए एक जबरदस्त साधन है
सद्गुरु हमें 12 ज्योतिर्लिंगों के महत्व और हमारी परम खुशहाली के साधन के रूप में उनकी अहमियत के बारे में समझा रहे है...
सद्गुरु हमें 12 ज्योतिर्लिंगों के महत्व और हमारी परम खुशहाली के साधन के रूप में उनकी अहमियत के बारे में समझा रहे हैं।
भारतीय संस्कृति, इस धरती की उन गिनि-चुनि संस्कृतियों में से एक है, जिसमें हजारों बरसों से लोगों ने केवल मानव जाति के परम कल्याण पर हीं ध्यान दिया है। भौगोलिक नज़रिए से देखें तो, शायद यह इकलौती इतनी बड़ी संस्कृति है जहां ऐसी सोच रही है। सांसारिक भलाई या खुशहाली को जिंदगी के एक मामूली-से हिस्से की तरह लिया जाता है। जिस पल आपने भारत में जन्म लिया, आपकी जिंदगी के मायने बदल गए। आपकी जिंदगी का मतलब आपका कारोबार, आपकी पत्नी या आपका परिवार नहीं रहा; आपकी जिंदगी का मकसद हो गया- सिर्फ मुक्ति। जिंदगी का हर पहलू आपकी मुक्ति के बारे में ही था। पूरा-का-पूरा समाज इसी तरह बना हुआ था।
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हमारी संस्कृति में सभी कुछ मुक्ति की ओर ले जाता है
इसलिए इस समाज के लोग स्वाभाविक रूप से यही चाहते थे कि उनकी खोजी हुई हर चीज, उनकी जिंदगी की हर दशा, इस प्रक्रिया को तेज करने में इस्तेमाल की जाए। अगर आपकी शादी परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ होती है तो शादी कराने वाले पंडित आपको यही बताते हैं- आप दोनों का मिलन इतना महत्वपूर्ण नहीं है। यह सब सिर्फ आपको विवाह के बंधन में बांधने के लिए भी नहीं है। आप दोनों इसलिए मिले कि मिलकर परम मिलन के लिए आगे बढ़ सकें।
ख़ास स्थानों पर स्थापित किया गए थे ज्योतिर्लिंग
ज्योतिर्लिंगों में बहुत ज्यादा शक्ति होती है, क्योंकि उन्हें खास तरीके से बनाया गया है और उनमें प्राण-प्रतिष्ठा भी खास तरीके से की गई थी। पूरी दुनिया में सिर्फ बारह ज्योतिर्लिंग हैं। भूगोल और खगोलशास्त्र की नजर से वे महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थित हैं।
इन मंदिरों की प्राण-प्रतिष्ठा ऊर्जा के विज्ञान के अनुसार की गई थी। यह इंसानी जिंदगी की जबरदस्त बेहतरी के लिए जीवन-ऊर्जा के इस्तेमाल का विज्ञान है। अगर आप मिट्टी को भोजन में बदल देते हैं, तो हम इसे खेती कहते हैं; अगर आप भोजन को मांस और हड्डियों में बदल देते हैं, तो हम इसे पाचन कहते हैं; अगर आप शरीर को मिट्टी में बदल देते हैं, तो हम इसको दाह-संस्कार कहते हैं। अगर आप इस देह को, किसी पत्थर को या किसी खाली स्थान को दिव्य संभावना में बदल सकते हैं, तो हम इसको प्राण-प्रतिष्ठा कहते हैं; यह एक शानदार विज्ञान है। बदकिस्मती से हम अब भूल चुके हैं कि पवित्र प्राण-प्रतिष्ठा सचमुच में क्या होती है। इसके आसपास तमाम चीजें होने लगी हैं; और लोगों ने इसको कारोबार बना दिया है।
उज्जैन ज्योतिर्लिंग का अनुभव
मैं आम तौर पर मंदिरों में नहीं जाता, लेकिन मैं उज्जैन में ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए गया था। इस मंदिर को कई तरह से बरबाद किया गया है। हमलावरों ने मंदिर को तोड़ डाला था और दो-तीन बार इसका फिर से निर्माण किया गया था; फिर भी अगर आप वहां जा कर बैठते हैं, तो शिला की यह छोटी-सी आकृति जो हजारों साल से यहां स्थापित है, आपको भीतर तक हिला कर रख देगी। यह इस तरह अपनी तरंगें फैला रही है मानो कल ही स्थापित हुई हो।
हर लिंग के साथ जुड़ी है ख़ास साधना
अगर किसी को उनका उपयोग करने आता हो, तो ज्योतिर्लिंग बहुत शक्तिशाली साधन हैं। अगर आप इनका उपयोग करना जानते हों, तो ऐसे शक्तिशाली लिंग की मौजूदगी में आप अपने सिस्टम को पूरी तरह से बदल सकते हैं; आप उसमें एक नई जान फूंक सकते हैं। जितने भी प्रकार के लिंग स्थापित किए गए हैं, उनके साथ एक खास तरह की साधना जुड़ी होती है। वैसे आजकल साधना वाला पहलू तो लगभग खत्म-सा हो गया है। अब मंदिर ऐसे हो गए हैं मानो बहुत समय पहले मरे किसी व्यक्ति का स्मारक हों। कुछ ज्योतिर्लिंग अब सजीव नहीं हैं, लेकिन कई अब भी बहुत शक्तिशाली साधन हैं।
Image Courtesy: Wikipedia