सद्‌गुरुसद्‌गुरु से प्रश्न पूछा गया कि अगर हम खुद ही अपने लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हों, तो क्या शाम्भवी महामुद्रा हमारी मदद कर सकती है? सद्‌गुरु बता रहे हैं व्यक्तित्व की प्रकृति के बारे में और शाम्भवी महामुद्रा करने के सही तरीके के बारे में –


प्रश्न : सद्‌गुरु, मेरी एक आदत है कि जब सब कुछ ठीक चल रहा होता है, उस समय मैं खुद को ही नुकसान पहुंचा लेता हूं। क्या शांभवी महामुद्रा इस पैटर्न को तोड़नें में मेरी मदद कर सकती है?

सद्‌गुरु : तो आप कंप्यूटर पर सोलीटैर खेलकर आप खुद ही अपना विरोधी होना चाहते हैं। आपके आस-पास पर्याप्त जीवन घटित हो रहा है, जिनके साथ आप खेल सकते हैं, आपको अपने  साथ खेलने की जरूरत नहीं है।

एक व्यक्ति से मतलब है कि उसे आगे और विभाजित नहीं किया जा सकता। यह सिर्फ एक है, आप उससे दो नहीं बना सकते। मगर लोग अक्सर उससे दो बनाने में लगे हुए हैं।
जब आप अकेले होते हैं, तो यह अपने ऊपर ध्यान देने, विकास  करने का समय होता है – अपने ही अंदर प्रतिस्पर्धा या कॉम्पीटीशन का नहीं। अगर आप अपने अंदर डबल गेम खेलते हैं और वह अच्छा चलने लगता है, तो आप स्कितज़ोफ्रेनिक यानी मानसिक रूप से बीमार हो जाएंगे। आपको जो साधना दी गई है, वह कुछ बुनियादी तैयारी के बाद ही दी गई है जो आपको यह दिखाता है कि आप एक व्यक्ति हैं।

एक व्यक्ति से मतलब है कि उसे आगे और विभाजित नहीं किया जा सकता। यह सिर्फ एक है, आप उससे दो नहीं बना सकते। मगर लोग अक्सर उससे दो बनाने में लगे हुए हैं। आपने कहा, ‘मैं खुद को नुकसान पहुंचाता हूं।’ लेकिन आम तौर पर लोग कहते हैं, ‘मैं बहुत अच्छा कर रहा हूं, मगर मेरा अहं आड़े आ जाता है।’ यह अहं कहां है? उनका अहं, उनकी आत्मा, उनकी चेतना और परम चेतना रास्ते में आ जाती है – वे एक में कई चरित्र बन जाते हैं, जो सुरक्षित नहीं है। यहां सिर्फ एक व्यक्ति है – सिर्फ आप।

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हर भीतरी अनुभव हमारा खुद का बनाया हुआ है

पहली और सबसे महत्वपूर्ण चीज यह स्थापित करना है कि कोई दूसरा कारक नहीं है, ‘मेरे अंदर अनुभव के रूप में जो कुछ उत्पन्न हो रहा है, उसकी वजह मैं ही हूं।’

पहले आपको कमिटमेंट के साथ शुरुआत करनी होगी कि चाहे जो भी हो जाए, आप अगले एक साल तक साधना जारी रखेंगे।
आपने जो कार्यक्रम किए हैं, उनमें हमने इस बात को पर्याप्त रूप से प्रमाणित किया है। भारत में पहले लोगों को यह कहते हुए आम तौर पर सुना जा सकता - ‘यह मेरे कर्म हैं,’ जिसका मतलब है ‘यह सब मेरा किया हुआ है, इसकी वजह मैं खुद हूं। अपना जीवन मैंने खुद बनाया है, इसे किसी और ने नहीं बनाया। मुझ पर किसी और चीज का नहीं, सिर्फ मेरा प्रभाव है।’ यह बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप इस कारक को स्थापित नहीं करते, तो आप बाकी जीवन इन्हीं खेलों को खेलते रहेंगे।

लाभ का विचार किये बिना, शाम्भवी का अभ्यास करते रहें

आपको जो साधना दी गई है, उसे व्यक्ति को स्थापित करने, व्यक्ति को मजबूत और स्थिर बनाने के लिए तैयार किया गया है ताकि उसके अंदर दो न रहें, सिर्फ एक रहे। एक बार ऐसा होने के बाद ये खेल कम होने लगेंगे। पहले आपको कमिटमेंट के साथ शुरुआत करनी होगी कि चाहे जो भी हो जाए, आप अगले एक साल तक साधना जारी रखेंगे। चाहे उससे आपको कोई लाभ हो या नहीं, बस उसे करते रहें। हर दिन यह न देखें ‘क्या हो रहा है? क्या ऐसा हुआ, क्या वैसा हुआ?’ – बस उसे करते रहें। मैं किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन नहीं कर रहा हूं। बस इसे करते रहें।

संपादक की टिप्पणी:

*कुछ योग प्रक्रियाएं जो आप कार्यक्रम में भाग ले कर सीख सकते हैं:

21 मिनट की शांभवी या सूर्य क्रिया

*सरल और असरदार ध्यान की प्रक्रियाएं जो आप घर बैठे सीख सकते हैं। ये प्रक्रियाएं निर्देशों सहित उपलब्ध है:

ईशा क्रिया परिचय, ईशा क्रिया ध्यान प्रक्रिया

नाड़ी शुद्धि, योग नमस्कार