कृष्ण भगवान ने गोवर्धन पर्वत उठाया
गोवर्धन पर्वत ने एक बार वृंदावन के गोप गोपियों की एक भयंकर बाढ़ से रक्षा की थी। पूरा गोवर्धन पर्वत ज़मीन से ऊपर उठ गया था। तो कैसे उठ गया था इतना बड़ा गोवर्धन पर्वत?
![krishna govardhan leela painting of krishna lifting mount govardhan](https://static.sadhguru.org/d/46272/1635527995-1635527993792.jpg)
गोवर्धन पर्वत ने एक बार वृंदावन के गोप गोपियों की बाड़ से रक्षा की थी। गोवर्धन पर्वत उठाने की यह घटना तब की है जब भगवान कृष्ण को आत्म बोध हुआ था। भगवान आत्म बोध होने के बाद एक संकेत की प्रतीक्षा कर रहे थे।
जब गुरु गार्गाचार्य ने कृष्ण को याद दिलाया कि वह कौन हैं और उनके जीवन का ध्येय क्या है, तो गोवर्धन पर्वत पर खड़े-खड़े कृष्ण को एक तरह का बोध हुआ। फिर भी, गोकुल, गायों और गोप-गोपियों के लिए अपने प्यार के कारण उनका मन अब भी उहापोह में था।
इंद्रोत्सव मनाना बंद करने और गोपोत्सव का नया उत्सव मनाना शुरू करने के इस क्रांतिकारी कदम के बाद, गोवर्धन पहाड़ की तराई में हर कोई जश्न मना रहा था। अचानक बारिश की जोरदार बौछारों के साथ एक भयानक तूफान उठा और नदी उफनने लगी। गोकुल के सीधे-सादे लोगों को लगा कि इंद्रोत्सव न मनाने के कारण वर्षा के देव इंद्र उनसे कुपित हो गए हैं और बारिश की इन बौछारों में उन्हें डुबाने वाले हैं। यमुना का पानी बढ़ता रहा और सारी जगहें पानी में डूबने लगी। हालात को खतरनाक होते देख, बलराम और उनके कुछ दोस्तों ने एक सुरक्षित जगह की तलाश शुरू कर दी, जहां वे हर किसी को ले जा सकें।
पहले से घूमते-फिरते रहने के कारण, कृष्ण इस इलाके को अच्छी तरह जानते थे। उन्होंने गोवर्धन पहाड़ में कई जगह सुराख देखे थे। वह गोकुल के युवाओं को वहां लेकर गए। जब उन्होंने ज्यादा जगह बनाने के लिए कुछ चट्टानें हटाईं, तो उन्हें पहाड़ के भीतर एक विशाल गुफा का पता चला। बहुत कठिनाई से, बलराम के बल का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने गुफा का द्वार खोलने के लिए एक-एक करके चट्टानें हटाईं। पशुओं सहित हर कोई उस विशाल गुफा के अंदर जाने लगा, मगर वह जगह काफी नहीं थी।
इस चमत्कारी घटना से हर किसी को विश्वास हो गया कि वह खुद भगवान हैं। खुद उन्होंने भी इस घटना के बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उनके मन में यह साफ हो गया था कि उन्हें अपने जीवन के साथ क्या करना है। इसने उन्हें इतनी शक्ति दी कि वह पीछे मुड़कर देखे बिना चले गए और अपने जीवन के ध्येय को पूरा किया। जबकि वह यहां के लोगों और खास कर राधे से बहुत प्यार करते थे। राधे से तो वह इस हद तक जुड़े थे कि विवाह करना चाहते थे।
इस अद्भुत घटना के कारण - जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था - कृष्ण को गोविंदा कहा जाने लगा।
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