कृष्ण का आभामंडल नीला क्यों?
कृष्ण की हर छवि में एक नीलिमा जरूर दिखाई जाती है। एक व्यक्ति या एक व्यक्तित्व के रूप में उनके साथ आखिर क्यों जुड़ा है यह रंग? क्या है इस रंग की खासियत? आइए जानते हैं-
कृष्ण की हर छवि में एक नीलिमा जरूर दिखाई जाती है। एक व्यक्ति या एक व्यक्तित्व के रूप में उनके साथ आखिर क्यों जुड़ा है यह रंग? क्या है इस रंग की खासियत? आइए जानते हैं-
नीला रंग विस्तार को दर्शाता है। आप देखेंगे कि इस जगत में जो कोई भी चीज बेहद विशाल और आपकी समझ से परे है, उसका रंग आमतौर पर नीला है, चाहे वह आकाश हो या समुंदर। जो कुछ भी आपकी समझ से बड़ा है, वह नीला होगा, क्योंकि नीला रंग सब को शामिल करने का आधार है।
Subscribe
आपको पता ही है कि कृष्ण के शरीर का रंग नीला माना जाता है। इस नीलेपन का मतलब जरूरी नहीं है कि उनकी त्वचा का रंग नीला था। हो सकता है, वे श्याम रंग के हों, लेकिन जो लोग जागरूक थे, उन्होंने उनकी ऊर्जा के नीलेपन को देखा और उनका वर्णन नीले वर्ण वाले के तौर पर किया।
चूंकि श्रीकृष्ण की ऊर्जा या यूं कहिए कि उनके प्रभामंडल का सबसे बाहरी घेरा नीला था, इसीलिए उनमें गजब का आकर्षण था। उनके आकर्षक होने की वजह उनकी नाक का सुडौल होना या उनकी आंखों की खूबसूरती नहीं थी। दुनिया में अच्छी नाक, सुंदर आंखों वाले और खूबसूरत कद-काठी के कितने ही लोग हैं, लेकिन उन सभी में उतना आकर्षण नहीं होता। यह किसी व्यक्ति विशेष के प्रभामंडल की नीलिमा है, जो अचानक उसे जबर्दस्त तरीके से आकर्षक बना देती है। लोग कहते हैं कि कृष्ण प्रत्यक्ष रूप से नीले थे, लेकिन यह तीन हजार साल पुरानी जनश्रुति है।
उनकी नीलिमा या सबको सम्मोहित करने की उनकी क्षमता कुछ ऐसी थी कि जो लोग उनके कट्टर दुश्मन हुआ करते थे, अनजाने में ही सही, लेकिन वे भी उनके सामने हार मान लेते थे।
पुरुषों के साथ यह दुर्भाग्य रहा है कि वे अपने प्रेम को आसानी से व्यक्त नहीं कर पाते। केवल एक शब्द कहने में ही आदमी की सारी उम्र निकल जाती है, लेकिन कृष्ण ऐसे नहीं थे। वह पूरी आजादी से खुद को व्यक्त करते थे। वैसे मुझे भी ऐसा करने में कोई समस्या नहीं होती। आमतौर पर देखें तो पुरुष का स्वभाव ही ऐसा होता है कि अगर उसमें प्रेम का अहसास जागने लगे तो वह बेवकूफियों से भरी मजेदार हरकतें करने लगता है। जबकि किसी स्त्री के साथ अगर ऐसा हो तो वह और भी सुंदर लगने लगती है। पुरुष प्रेम में खुद को अजीब और असहज महसूस करने लगता है। वह प्रेम नहीं चाहता, बस प्रेम-क्रीड़ा करना चाहता है।