क्या रंग लाई है आपकी आनंद की खोज?
सद्गुरु से एक साधक ने प्रश्न पूछा कि क्या धरती पर आत्म-ज्ञान घटने के लिए युद्ध, नफरत जैसी चीज़ें होना जरुरी है? सद्गुरु बता रहे हैं कि जिस चीज़ को हम बुराई का नाम देते हैं, वो किसी मनुष्य की आनंद की खोज का नतीजा है
प्रश्न: सद्गुरु, मेरा सवाल अस्तित्व की द्वैतता के बारे में है और मैं जानना चाहता हूं कि जिसे हम बुरा और नकारात्मक समझते हैं, क्या वह हमारे विकास के लिए जरूरी है?
सद्गुरु : आप बुरा किसे समझते हैं?
प्रश्नकर्ता : हत्या, नफरत, युद्ध – इन सभी को मैं बुरा समझता हूं। क्या आत्मज्ञान के लिए इन चीजों का होना जरूरी है?
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हर कोई आनंद की खोज में है
सद्गुरु : जिसे आप बुरा मानते हैं, वह मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि आप सीमा के किस तरफ हैं। मैं आपको समझाना चाहता हूं कि धरती पर एकमात्र बुराई यह है कि लोग आनंद की खोज में हैं।
जब आप आनंद या खुशी की खोज में होते हैं, तो आप हर समय किसी न किसी रूप में दूसरों को पीड़ा पहुंचा रहे होते हैं। क्या आपको पता है कि हमारा आरामदेह घर का सपना पूरा करने के लिए कितने कीड़े-मकोड़े और प्राणियों ने कष्ट उठाया है? इंसानी आनंद की खोज में इस धरती के हर प्राणी को अनकही पीड़ा से गुजरना पड़ा है। अगर आप कीड़े-मकोड़ों से पूछें, तो वे कहेंगे कि इंसान बुरे हैं।
आनंद की खोज दूसरों के लिए परेशानी बन रही है
हम ये चीजें अपने आनंद की खोज में कर रहे हैं, मगर यह दूसरों के लिए आसान नहीं है। हम सोचते हैं, ‘अरे यह तो सिर्फ एक कीड़ा है,’ मगर कीड़ा ऐसा नहीं सोचता। एक कीड़े के दिमाग में इस धरती पर सबसे महत्वपूर्ण जीवन कीड़े का है।
जिस पल आप आनंद की खोज में होते हैं, आप नहीं जानते कि आप दूसरों के साथ क्या कर रहे हैं। अगर आपका जीवन आपके आनंद की एक अभिव्यक्ति हो, तो आप इनमें से कुछ चीजें तो करेंगे, मगर उतना ही जितना जरूरी है, उससे अधिक नहीं। आप पूरी तरह सब कुछ छोड़ नहीं सकते। आपके सिर्फ सांस लेने और छोड़ने से लाखों सूक्ष्मजीव मर जाते हैं। अगर आप इस तरह देखना चाहें तो आपका अस्तित्व ही बुरा है। लेकिन अगर आप अपने भीतर बहुत आनंद से भरे हैं, तो आप उसे अनावश्यक समय और हद तक नहीं करेंगे।
हिंसा और युद्ध भी हमारी आनंद की खोज का नतीजा है
हमें लोगों को अच्छा या बुरा नहीं मानना चाहिए। मूलभूत समस्या यह है कि हम बहुत सी ऐसी चीजों पर विश्वास करते हैं जिन्हें हम नहीं जानते। अगर आप समझ लें कि ‘मैं जो जानता हूं, वह जानता हूं, जो मैं नहीं जानता, वह नहीं जानता,’ तो आपका किसी से झगड़ा नहीं होगा। अगर आप विश्वास करते हैं कि एक चीज सही है और दूसरी गलत, तो किसी और को कोई दूसरी चीज सही लग सकती है और पहली गलत। क्या आपको लगता है कि यह झगड़ा कभी खत्म होने वाला है?
हिंसा और युद्ध वैसे ही नहीं घटित नहीं हो रहे हैं। वे किसी के आनंद की खोज की प्रक्रिया के कारण होते हैं। अगर आप अपनी प्रकृति से ही आनंदित होंगे, तो आप कोई अनावश्यक चीज नहीं करेंगे। आप अपने जीवन को समझदारी से चलाएंगे, जिस हद तक वह जरूरी है।