क्यों होती हैं रेप जैसी वारदातें, क्या है समाधान?
दिसंबर 2012 में नई दिल्ली में एक 23 वर्षीय लड़की के निर्मम गैंग रेप ने देश भर में विरोध प्रदर्शनों और गुस्से को भड़का दिया। यह हमला इतना क्रूरतापूर्ण था कि पीड़िता ने गहरे जख्मों की पीड़ा को झेलते हुए आखिरकार दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद अदालत ने अपराधियों को मौत की सजा सुनाई। क्या यह समाधान सही है या गलत आइये जानते है।
दिसंबर 2012 में नई दिल्ली में एक 23 वर्षीय लड़की के निर्मम गैंग रेप ने देश भर में विरोध प्रदर्शनों और गुस्से को भड़का दिया। यह हमला इतना क्रूरतापूर्ण था कि पीड़िता ने गहरे जख्मों की पीड़ा को झेलते हुए आखिरकार दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद अदालत ने अपराधियों को मौत की सजा सुनाई। क्या यह समाधान सही है या गलत आइये जानते है...
हालांकि यह समाधान उचित दिखाई देता है, मगर क्या कानूनी सजा से वाकई इस समस्या को हल किया जा सकता है? क़ानूनी सजाएं इस समस्या का हल नहीं हैं। ‘आंकड़े कहते हैं कि 96 फीसदी बलात्कार घर की चारदीवारी के भीतर होते हैं। कानून कभी इसमें दखल नहीं देता। इसे कानून से नियंत्रित नहीं किया जा सकता।’ उनका कहना है कि जीवन की भौतिकता में बहुत ज्यादा डूबना इस समस्या की जड़ है।
क्या है बलात्कार की घटनाओं का कारण
यह समझना जरूरी है कि हालांकि बलात्कार में यौन जरूरतों की भूमिका हो सकती है, मगर यह सिर्फ सेक्सुअलिटी या यौनिकता से ही संबंधित नहीं है। इसका संबंध अधिकार या काबू करने की ताकत से है। नियंत्रित करने की यह चाह बहुत सी चीजों से उपजती है। समाजों में एक बुनियादी गलती यह की जाती है कि हमने युवाओं के दिमाग में कहीं न कहीं यह बात डाल दी है कि स्त्री एक वस्तु है, एक चीज है, जिस पर आप कब्जा कर सकते हैं। या तो किसी का पिता उसे दान कर दे, या वह इनकार कर दे, तो आप उस पर अधिकार कर सकते हैं। यह भावना अब भी है, है न? कहीं न कहीं हमारे मन में यह विचार गहराई में बसा हुआ है कि स्त्री एक वस्तु है। वस्तु का अपना मन या दिमाग नहीं होता। इसलिए यह बात लोगों के दिमाग में कई जगहों पर जानबूझकर डाली जाती है, और कई जगहों पर अनजाने में। मगर लोगों के दिमाग में यह बहुत गहराई से जमा हुआ है।
क्या सजा से वाकई असर पड़ेगा
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लोगों को लगता है कि सजा से लोग ऐसे कामों को करने से डरते हैं। कुछ हद तक, यह सच है। ज्यादातर लोगों के लिए यह सच नहीं है। वे बस अगली बार और सावधानी से ऐसा करने की कोशिश करेंगे। वे और एहतियात रखने की कोशिश करेंगे। हो सकता है कि ज्यादा एहतियात रखने के कारण अपराध थोड़े कम हो जाएं। मगर जब अपराध किसी के दिमाग में हो रहा होता है, तो इसका मतलब है कि मौका मिलते ही वह हकीकत बन जाएगा।
एक जबर्दस्ती दूसरी जबर्दस्ती की ओर ले जाती है
इस समस्या का समाधान
इंसान को बहुत सारी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। बलात्कार के एक मामले ने पूरे देश की चेतना को कगार पर ला खड़ा किया है। यही समय है कि हम जीवन के मूल तथ्यों पर ध्यान दें।
इसलिए इसका समाधान बस उस पर काबू पाना नहीं है, इसका समाधान हर इंसान का रूपांतरण है। अगर दुनिया को बदलना है, तो सबसे पहले आपको अपने रूपांतरण के लिए तैयार रहना होगा। यह सबसे अहम चीज है। अगर हम एक-एक इंसान को रूपांतरित नहीं करेंगे, तो आपको अपराधियों से भरी दुनिया के साथ काम चलाना होगा। बंद कमरे के बलात्कारी या सड़क के बलात्कारी में बहुत फर्क नहीं है, है न?
अगर हमें इस हालात को बदलना है, तो हमें समझना चाहिए कि व्यक्ति का रूपांतरण सबसे अहम चीज है। अगर हम इसमें अपनी ताकत या क्षमता लगाना नहीं चाहते, तो हमें इन्हीं परिस्थितियों से काम चलाना होगा। आने वाले समय में हालात और बदतर हो सकते हैं। रूपांतरण का मतलब है कि आप क्या हैं, यह दूसरे लोगों की राय या दूसरे लोगों की मौजूदगी से तय नहीं होता। हर माता-पिता को इस दिशा में अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए। ताकि उन्हें अधिक संपूर्ण और सब को शामिल करने वाले इंसान में बदला जा सके।
सब को शामिल करने का मतलब सिर्फ यह है कि आप अपने आप को अपनी भौतिकता में सीमित न करें। अगर आप अपने आप को भौतिकता से परे अनुभव करेंगे, तो आपके चलने, सांस लेने और इस धरती पर आपके अस्तित्व का तरीका ही अलग होगा। इसकी वजह सिर्फ इतनी है, कि आपका होना आपकी भौतिकता की सीमाओं से परे है। अगर यह एक चीज इंसान के साथ होती है, तो वह अचानक हर संभव तरीके से रूपांतरित हो जाता है।
इसलिए एक आध्यात्मिक संभावना, जिसका मतलब है - अपनी भौतिकता से परे की एक संभावना के लिए कोशिश करना - ही इसका एकमात्र असली जवाब है। अगर आप लंबे समय तक चलने वाले फायदे चाहते हैं, तो इस समस्या का हल यही है।