सद्‌गुरुपतंजलि की तस्वीर में उनका शरीर सांप का और सिर इंसान का दिखाया जाता है। जानते हैं कि कैसे ये कुण्डलिनी शक्ति का प्रतीक है। साथ ही जानते हैं साँपों की प्रकृति के बारे में

प्रश्न : सद्‌गुरु, मैं संत पतंजलि के जन्म व उनके शारीरिक संरचना के बारे में जानना चाहता हूं - उनको सांप से क्यों जोड़ा जाता है?

सद्‌गुरु : सांप एक ऐसा जीव है जो कुछ खास तरह की ऊर्जा के प्रति संवेदनशील होता है। अगर आपने मिस्टिक्स म्यूज़िंग्स पढ़ी होगी, तो हमने उसमें विशुद्धि चक्र व सांपों की बात की है।

इस तरह उन्होंने पतंजलि को आधे सांप की तरह दिखाया क्योंकि वे इस बात को स्वीकारना चाहते थे कि पतंजलि कोई बाहरी नहीं बल्कि भीतरी शक्ति हैं।
अगर आप एक खात तरह की ऊर्जा पैदा करते हैं, तो सांप सबसे पहले उस ओर आकर्षित होते हैं। पतंजलि को आधे सांप के रूप में दिखाना केवल एक प्रतीक है। सांप को कुंडलिनी का प्रतीक माना जाता है। ये उन लोगों के प्रेम की अभिव्यक्ति है जिन्होंने पतंजलि कोे शक्तिशाली तरीके से महसूस किया। उन्होंने पतंजलि का सिर और शरीर एक सांप के ऊपर रख दिया, ताकि यह दिखाया जा सके कि वे आपके भीतर की उस बुनियादी शक्ति से बिलकुल अलग नहीं हैं। वह व्यक्ति अपने जीवन की प्रक्रियाओं से इतनी सूक्ष्मता से जुड़ा था, कि लोगों ने कहा कि वे स्वयं बुनियादी ऊर्जा हैं। कम से कम उसका आधा हिस्सा तो वे खुद ही हैं। वे उस मूलभूत शक्ति से अलग नहीं थे जो आपको आपकी भौतिक सीमाओं से परे ले जाती है, जो आपको आत्म ज्ञान के क्षेत्र तक ले जाती है। इस तरह उन्होंने पतंजलि को आधे सांप की तरह दिखाया क्योंकि वे इस बात को स्वीकारना चाहते थे कि पतंजलि कोई बाहरी नहीं बल्कि भीतरी शक्ति हैं। इतनी गहराई से वे आपके जीवन में शामिल हो सकते हैं।

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‘सांप मेरा पीछा नहीं छोड़ते’

मैं जहां भी जाता हूं, सांप मेरा पीछा नहीं छोड़ते। यह बात उन लोगों को समझाना कठिन होगा जिनके मन में संदेह बैठा हुआ है। आप ऐसे कितने लोगों को जानते हैं, जो सांप के काटने से मरे? एक भी नहीं।

अगर आप ध्यान करते हैं तो यह आ कर आपके साथ लिपट जाएगा और कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन अगर आपने व्याकुलता दिखाई तो यह आपको सहन नहीं कर सकता।
तो आपके मन में इतना डर क्यों है? आप ऐसे कितने लोगों को जानते हैं जो गाड़ियों के एक्सीडेंट में मारे गए? बहुत से लोग। ये गाड़ियां इतनी खतरनाक हैं, फिर भी आप आराम से सवारी कर लेते हैं। सांपों से भय ठीक नहीं है। साँपों के बारे में आपका भय और आपकी जानकारी उलटे अनुपात में होते हैं। आप उनके बारे में जितना अधिक जानेंगे, उनसे उतना ही कम भयभीत होंगे। सांपों के बारे में आपका जितना कम जानते हैं आपका भय उतना ही अधिक होता है।

जब मैं एक फार्म में रहता था तो वहाँ बड़े-बडे़ करीब बीस साँप रहते थे। उनमें अधिकतर वाइपर और कोबरा थे। वे हर जगह थे। मैं बारह बाई चौबीस फीट के कमरे में रहता था और जब मैं रात को सोता तो वे कंबल में घुस आते, और वे कंबल में कहीं भी हो सकते थे। अगर मैं अचानक करवट लेता, तो वे भी अचानक भागते। फिर मैंने उनके साथ सोना सीख लिया . जब मुझे करवट बदलनी होती तो मैं बहुत सजग रहता कि मेरे आसपास क्या है। धीरे से करवट लेनी पड़ती थी, अगर आप तेजी से करवट लेते तो फिर शायद कभी उठते ही नहीं।

यह संसार का इकलौता ऐसा जीव है जो अगर जंगल में भी हो और अगर आप खुद को एक खास तरह से रखें तो इसे आराम से अपने हाथों में उठा सकते हैं। यह बिना विरोध के आपके हाथ में आ जाएगा। यह आपको कुछ नहीं करेगा। लेकिन अगर आपने अपनी सोच भी बदली तो यह आपको उसी समय काट सकता है। अगर आप ध्यान करते हैं तो यह आ कर आपके साथ लिपट जाएगा और कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन अगर आपने व्याकुलता दिखाई तो यह आपको सहन नहीं कर सकता। फिर यह आपकी मुसीबत बन जाएगा।

अधिकतर भारतीय साँप जहरीले नहीं होते। ये इस धरती के सबसे सुंदर जीवों में से हैं। अधिकतर सर्पों के पास विष के दांत ही नहीं होते। उनके मुंह में आरी जैसी संरचना होती है जिससे ये आपको काट ही नहीं सकते। सांपों से डरना ही अजीब बात है। कुछ मुट्ठी भर सापों के अलावा कोई भी सांप आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। वे आपसे डरते हैं। वे आपको देखते ही भाग जाते हैं पर आप भी उनसे डरते हैं। साँपों का भय बेतुका और बढ़ाया-चढ़ाया गया भय है।

सांप और आध्यात्मिकता के बीच सम्बन्ध

मेडिकल संगठनों में अक्सर दो लिपटे सांपों को प्रतीक रूप में दिखाया जाता है। यह एक यौगिक प्रतीक भी है - दो सांप छह स्थानों पर आपस में मिल रहे हैं, और इसके ऊपर इड़ा और पिंगला का प्रतीक है, जो सुष्मुना से होते हुए जा रही हैं।

भारत में सांपों का प्रतीक और आध्यात्मिकता बहुत ही गहराई से आपस में गुँथे हैं। ऐसा संसार के लगभग हर भाग में है क्योंकि जहां भी लोग जागरूक हुए, वे सहज रूप से जान गए कि सांप एक खास तरह की ऊर्जा के प्रति संवेदनशील होते हैं, वे ध्यान के प्रति आकर्षित होते हैं।

कथा के अनुसार, सांप ने हव्वा को ज्ञान का फल खाने के लिए प्रेरित किया और सिर्फ इसी वजह से ग्रह पर जीवन संभव हो सका। इसमें क्या बुरा है?
बात बस इतनी है कि पंडित और पादरी युगों से सांपों की निंदा करते आए हैं। अगर आप ईसाई धर्म को देखें, तो वे भी कहते हैं कि ये सांप की गलती थी कि उसने हव्वा को सेब खाने के लिए बहकाया और उनके कारण कितनी परेशानी हो गई। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे किस नज़रिए से देखते हैं। सांप ने हव्वा को ज्ञान का फल खाने को कहा और आप भी निरंतर अपने बच्चों से यही तो कहते रहते हैं। तभी तो आप उन्हें स्कूल भेजते हैं। यही सांप ने किया। और उसके कारण ही जीवन संभव हुआ। कथा के अनुसार, सांप ने हव्वा को ज्ञान का फल खाने के लिए प्रेरित किया और सिर्फ इसी वजह से ग्रह पर जीवन संभव हो सका। इसमें क्या बुरा है? सांप ने उस जोड़े को थोड़ा ज्ञान दिया जिन्हें कुछ पता ही नहीं था। वे किसी भी चीज के बारे में कुछ नहीं जानते थे। कहानी के अनुसार, मैं और आप आज यहां इसलिए ही हैं क्योंकि सांप ने उन्हें थोडा ज्ञान दिया।

अगर आप जीवन विरोधी होंगे, तभी आप सांप को शैतान का एजेंट कहेंगे। अगर आप जीवन के लिए हैं, तब वह आपको दैवीय दूत लगेगा। जिसने धरती पर जीवन लाने में मदद की उसे आप शैतान का दूत कहेंगे या भगवान का? जो भी थोड़ी समझ रखता है, जीवन के प्रति जोश रखता है, वह निश्चित रूप से इसे दैवीय मानेगा। जिसे जीवन की सारी प्रक्रिया ही बुरी लगती हो, वही सांप को शैतान का एजेंट कहेगा।