सद्‌गुरु: पिछले कुछ हफ्तों में मैं अपनी नई किताब को लिखने में डूबा हुआ था, जो महाशिवरात्रि पर प्रकाशित होने वाली है। पुस्तक का नाम है, “मृत्यु: अन्दर की कहानी।” यह किताब केवल उन लोगों के लिए जो एक दिन मरने वाले हैं!

मैं इसको पढ़ रहा हूं, और मैं उन सभी मूढ़तापूर्ण चीजों को देख रहा हूं, जो जीवन के गहन आयामों के बारे में कही गयी हैं, क्योंकि किताब से चीजों को लोग बिना संदर्भ के बोलने वाले हैं।

लेकिन यह ठीक है। मैं अपने जीवन के एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गया हूं, जहां मुझे "पॉलिटिकली करेक्ट" होने की जरूरत नहीं है, मैं वही कहूंगा जो मैं कहना चाहता हूं। अपने जीवन के आरंभिक भाग में मैंने इसे बहुत कठोर तरीके से कहा था, लेकिन क्योंकि हमारे दिमाग में ध्यानलिंग था, इसलिए मैं थोड़ा कूटनीतिक बन गया और उन्हीं चीजों को एक अच्छा परिधान पहनाकर बोला। मैंने भी अच्छे से कपड़े पहनना शुरू कर दिया! वरना मैं हर तरह से कठोर था। इस पुस्तक की अधिकांश सामग्री उस समय से आती है, जो बहुत ही कठोर और स्पष्ट है।

मैं अब इस अंदाज में इसलिए हूं क्योंकि मुझे लगता है कि दुनिया सीधी चोट को लेने के लिए आज इस प्रकार तैयार है, जैसी इससे पहले कभी नहीं रही।

एक बार फिर, कूटनीति करने का समय समाप्त हो गया है। हम शायद एक आध साल और थोड़ी कूटनीति करेंगे, लेकिन उसके बाद हम यह सब छोड़ देने वाले हैं क्योंकि सामाजिक वास्तविकताएं बदलती रहती हैं, लेकिन किसी को सरल तरीके से यह बताना है कि सच क्या है। इस धरती के अधिकांश प्राणी जो अपने भीतर कुछ गहन आयामों पर पहुंचे थे, आमतौर पर उनके जीवन काल में, उनको समझा नहीं गया। हमारी ऐसी बदकिस्मती नहीं है। हम सब ठीक कर रहे हैं। कम से कम कुछ लोग इसे समझते हैं। कुछ लोग इसे प्यार करते हैं, कुछ लोग इससे नफरत करते हैं। लेकिन इन प्राणियों में से अधिकांश को उनके जीवन में कोई समझ नहीं सका। आम तौर पर, लोगों ने उन्हें मारने की कोशिश की। उन्होंने उनसे नफ़रत की, उन्हें जहर दिया या उन्हें सूली पर चढ़ाया। यही इस दुनिया का इतिहास रहा है। उस दृष्टिकोण से, हम बहुत अच्छा कर रहे हैं। कुछ इंटरनेट विशेषज्ञों ने मुझे बताया कि अब तक एक अरब से अधिक लोग हमारे वीडियो देख चुके हैं। लेकिन वह मेरे लक्ष्य का केवल सोलह प्रतिशत है।

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कट्टर होने का समय

जब भी समझदार व्यक्ति आये, उनमें से बुद्धिमानों ने कभी अपना मुंह नहीं खोला। मेरे जैसे अतिउत्साही लोगों ने अपना मुंह खोला और आमतौर पर मारे गए। उनमें से कुछ बुद्धिमान थे जो इसे अलग-अलग तरीकों से ढंकते थे और इसे सामाजिक प्रक्रिया का हिस्सा बनाने की कोशिश करते थे, लेकिन कुछ समय बाद, उन्होंने जो कुछ भी कहा उसे एक हजार अलग-अलग और गलत तरीके से समझा गया और लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार इसे घुमा दिया।

आज हमारे पास एक फायदा है कि हम जो भी कहते हैं वह दर्ज होता है। लोग आसानी से इसका गलत अर्थ नहीं निकाल सकते क्योंकि हम फिर से वीडियो चलाकर देख सकते हैं। ऐसा नहीं है कि हम अतीत में बोलने से हिचकिचाते थे, लेकिन कभी-कभी हम कुछ बातें कहने से बचते थे, सिवाय कुछ नज़दीकी लोगों के दायरे को छोड़कर। लेकिन मुझे लगता है कि एक अरब लोगों द्वारा हमारे वीडियो देखने के बाद, अब पूरी धरती एक नज़दीकी दायरा बन गई है। यह अब आश्रम में रहने वालों तक सीमित नहीं है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ऐसे लोग हैं जिन्होंने मुझे अपने जीवन में कभी नहीं देखा है, लेकिन वे बहुत करीब और अंतरंग हैं।

मेरे दिल और दिमाग में, वे पहले से ही करीब थे, लेकिन अब उनके दिल और दिमाग में भी, मैं उनके करीब हूं। हम अब सीधी, कठोर बातें सिर्फ यहां बैठे लोगों से ही नहीं बोल सकते। हमें सभी से बोलना शुरू करना चाहिए। जो लोग इसे पचा नहीं सकते, उन्हें शौचालय जाना होगा!

पहुंच और जोखिम के संदर्भ में, मानवता कभी भी इस प्रकार उपलब्ध नहीं रही है। यह एक सुपर ओवर है और हमें हर गेंद पर छक्का मारने की जरूरत है।

मैं अब इस अंदाज में हूं क्योंकि मुझे लगता है कि दुनिया अब सीधी चोट के लिए इस प्रकार तैयार है जैसी इससे पहले कभी नहीं रही। कम उम्र से ही सभी तरह की चीजों तक उनकी पहुँच ने लोगों को कट्टर बना दिया है। जब वे चौदह वर्ष के होते हैं, तब तक वे काफी कट्टर हो चुके होते हैं। आज, एक आठ साल का लड़का या लड़की उन सभी चीजों को जानता है जो आप चौदह वर्ष की अपनी उम्र में कल्पना भी नहीं कर सकते थे। वे काफी कट्टर हैं, इसलिए उनके साथ नरम तरीके से बात करने का कोई मतलब नहीं है।

मृत्यु पुस्तक एक बहुत ही कठोर बयान है और हमने जानबूझकर इसे ऐसा ही रखा है जैसा कहा गया था, भाषा को परिष्कृत किए बिना क्योंकि यह एक वास्तविक साधक से की गई बात थी जो उस समय एक वास्तविक प्रश्न पूछ रहा था। अब हम दुनिया के लिए उसी तरह से बता रहे हैं, जो कि बहुत परेशान करने वाला हो सकता है।

लेकिन मानवता के जीवन में, यह समय बहुत महत्वपूर्ण है। पहुंच और जोखिम के संदर्भ में, मानवता कभी भी इस तरह उपलब्ध नहीं रही है। यह एक सुपर ओवर है और हमें हर गेंद पर छक्का मारने की जरूरत है। कुछ लोग इसे पसंद नहीं करेंगे। जो कोई अनजान है वह गेंद से परेशान हो सकता है, लेकिन बाकी जनता इसे पसंद करेगी।

यह इस बारे में नहीं है कि लोग इसे पसंद करेंगे या नहीं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे क्या ढूंढ़ रहे हैं। वे प्यार, कामुकता की तलाश में हो सकते हैं, वे बस अमेज़ॅन पर कुछ खरीदने की कोशिश कर रहे होंगे, या वे ज्ञान की तलाश में हो सकते हैं - जो कुछ भी वे ढूंढ़ रहे हैं, उन सबको हिट करना ही होगा। जिस तरह की आबादी के साथ हम बने हैं और जिस स्तर तक हम सशक्त हुए हैं,अगर अब भी हम भीतर की ओर नहीं मुड़ते, तो हम मानवता के लिए अब तक की सबसे बड़ी आपदा बनने जा रहे हैं।

एकमात्र समस्या

दुनिया में एक ही समस्या है - इंसान। और इंसान के सामने एक ही समस्या है कि वह अचेतन और विवश है। यह अचेतना और विवशता युद्ध के रूप में खुद को प्रकट करती है या घरेलू स्थिति के रूप में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ये अनिवार्य रूप से मानव के विवशतापूर्ण व्यवहार के विभिन्न भाव हैं। आपको इस स्तर की बुद्धिमत्ता, जागरूकता और सामर्थ्य दी गयी है क्योंकि प्रकृति को आपसे उम्मीद थी कि आप एक सचेतन प्रक्रिया बन जाएंगे। आपको एक पूर्ण-मस्तिष्क इस भरोसे के साथ दिया गया था कि आप इसका सचेतन रूप से उपयोग करेंगे। लेकिन आप चाहे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राजनीति, धर्म, उद्योग, व्यवसाय को देखें - धरती पर सभी प्रमुख ताकतें बाध्यकारी रूप से और अनभिज्ञता में काम कर रही हैं। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि शिक्षण में एक आघातिक भाव भी हो अन्यथा वे जानते हैं कि इसे अनदेखा कैसे करना है।

यह सिर्फ प्रभाव के लिए नहीं है। सच्चाई वैसे भी ऐसी ही होती है। सच्चाई चौंकाने वाली होती है। लोग उन लोगों से भी झूठ बोलते हैं जिनसे वे प्यार करते हैं क्योंकि हर छोटी चीज के बारे में सच्चाई चौंकाने वाली होती है। बहुत कम मनुष्यों के पास सच को निगलने और उसके बाद भी ठीक रहने लायक पाचन तंत्र होता है। यदि आप उन्हें उनके बारे में सच्चाई बता देते हैं, तो वे पागल हो जायेंगे, क्योंकि उन्हें हमेशा तथाकथित सभ्य लोगों और धर्मों द्वारा अच्छा होना ही सिखाया गया है। यदि आप एक पूर्ण मानव के रूप में खिलते हैं, तो आपको अच्छा बनने की आवश्यकता नहीं है। यह सिर्फ अच्छा है, बस इतना ही। एक फूल खिल गया है। यह आपके लिए अच्छा बनने की कोशिश नहीं कर रहा है। यह अच्छा ही है। यह अपने स्वभाव से ही अद्भुत है।

स्वयं से संबंध जोड़ें!

आपको अपने आप से संबंध जोड़ना होगा क्योंकि कई प्रक्रियाएं हो रही हैं। हमने कई जगहों पर आग लगा दी है, जिसे हम धीरे-धीरे सुलगाएँगे। दुर्भाग्य से, हमें पर्यावरण से भी निपटना होगा। काश यह हमारे लिए नहीं होता, लेकिन यह एक बड़ी समस्या है कि लोग मुझे एक पेड़ लगानेवाले के रूप में दर्शा रहे हैं, जो मुझे पसंद नहीं है। अब, इस ट्रिलियन ट्री अभियान के साथ, मैं एक प्रसिद्ध "पेड़ लगानेवाला" बन जाऊंगा। उससे खुद को निकालने के लिए, मुझे आध्यात्मिक पहलू को थोड़ी और मजबूती से बताने की जरूरत है। अन्यथा, लोग सोचेंगे कि मैं एक "पेड़ लगानेवाला" हूं। "पेड़ लगानेवाला" बनना कोई बुरा पेशा नहीं है, लेकिन मेरा काम लोगों को खिलने में सक्षम बनाने का है, न कि पेड़ लगाने का।

एक बार ऐसा हुआ कि बहुत उत्साही विक्रेता ने एक नई कालोनी को बनते देखा। उसने देखा कि कुछ घरों में लोगों ने रहना शुरू कर दिया है और उसने सोचा कि उस नई कालोनी में सबसे पहले जाकर मैं अपने वैक्यूम क्लीनर को बेचूं। उसने जाकर एक दरवाजा खटखटाया। एक महिला ने दरवाजा खोला, वह घर में घुसा, एक बैग से घोड़े के गोबर का पूरा ढेर निकाला और उसे नए कालीन पर फेंक दिया। उसने कहा, "मेरे पास वास्तव में एक शानदार वैक्यूम क्लीनर है, जो बिना किसी चीज के निशान छोड़े सब कुछ साफ कर देता है, धब्बा तक नहीं रहता, थोड़ी सी भी गंध नहीं रहती और आपके कालीन से अच्छी गंध ही आयेगी। मैं इस गंदगी को सिर्फ पांच मिनट में साफ कर दूंगा। अगर मैं ऐसा नहीं कर सका, तो मैं इस घोड़े के गोबर के हर टुकड़े को खाऊंगा। तब महिला ने कहा, "रुको, मुझे कुछ टमाटर केचप ले आने दो।" उसने कहा, "क्यों?" महिला बोली, "क्योंकि हमारा घर नया है और हमारे घर में अभी बिजली नहीं है।”

यदि आप गोबर खाने के लिए मजबूर हैं, तो टमाटर केचप मदद करेगा। लेकिन इस टमाटर केचप की वजह से दुनिया में बहुत सारा गोबर खाया जा रहा है। यदि कोई टमाटर केचप नहीं होता, तो आपको स्पष्ट रूप से पता होता कि यह वह नहीं है। बस थोड़ी सी केचप की वजह से आप यह नहीं बता पा रहे हैं कि गोबर क्या है और असली पोषण क्या है। तो हम टमाटर केचप को निकाल देंगे।

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