नवरात्रि से दशहरा - एक यात्रा है अंधकार से प्रकाश की ओर
विजयदशमी से जुड़ी कहानियां तो आपने सुनी होंगी, लेकिन क्या कभी सोचा है कि यह त्यौहार आपके विजय का भी दिन बन सकता है। लेकिन कैसे?
विजयदशमी से जुड़ी कहानियां तो आपने सुनी होंगी, लेकिन क्या कभी सोचा है कि यह त्यौहार आपके विजय का भी दिन बन सकता है। लेकिन कैसे?
दशहरा एक यात्रा है - अंधकार से प्रकाश की ओर। अंतिम दिन विजय का होता है, जब सत्य की जीत हुई। यह जीत किसी से लड़ कर हासिल नहीं हुई, बल्कि आपके जागरूक होने के कारण हुई। इस यात्रा में आप कई लोगों से मिलते हैं - आप लक्ष्मी से मिलते हैं, सरस्वती से मिलते हैं, और भी कई लोगों से मिलते हैं, मगर सबसे बढ़कर आप जिन उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं, उनके प्रति श्रद्धापूर्ण होते हैं।
अगर आप किसी चीज के प्रति श्रद्धा का भाव रखते हैं, तो स्वाभाविक रूप से आप उससे एक खास दूरी पैदा कर लेते हैं। जब आप किसी चीज के प्रति श्रद्धापूर्ण हो जाते हैं, तो वह चीज आपसे ऊपर हो जाती है। जब आप अपने ही शरीर और मन के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं, तो आप अपने और अपने शरीर के बीच, अपने और अपने मन के बीच एक स्पष्ट दूरी बना लेते हैं। जब आप ऐसा करने में कामयाब हो जाते हैं, तो अगला दिन विजय का – यानी विजयादशमी होता है।
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