लीडर होने के बारे में सद्गुरु क्या कहते हैं......

1. एक लीडर के रूप में आपके विचार, भावनाएं और काम बहुत से लोगों के जीवन पर असर डालते हैं। इसलिए इस पर काम करना बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने अंदर से कैसे हैं।

2. एक लीडर होने का मतलब हालात पर या लोगों पर हावी होना नहीं है। लीडर होने का मतलब तो यह है कि आप लोगों को इतना सक्षम बना सकें कि वे वह कर सकें जो उन्हें पहले संभव न लगता हो।

3. जब तक लीडर प्रेरणा का ऐसा स्तर नहीं बनता जो सभी लोगों को जबरदस्त रूप से प्रभावित करे, तब तक लोगों में आलस और जड़ता बनी रहेगी।

4. एक नेता के रूप में जब आप अपना सौ प्रतिशत लगाते हैं, तब आप लोगों में ऐसा विश्वास भर पाते हैं कि आप हर हाल में उनका साथ दे रहें हैं।

 

लीडरशिप पर सद्गुरु के सूत्र :

1. लीडरशिप के लिए पुरुष या महिला होना कोई मुद्दा नहीं है। एक लीडर को आप पुरुष या महिला के रूप में मत देखिए, उनके गुणों की वजह से उनकी तरफ देखिए।

2. तीन आई – इंटेग्रिटी (निष्ठा), इनसाइट (अंतर्दृष्टि) और इंक्लूसिवनेस (सबको साथ लेकर चलने की भावना) एक लीडरशिप के लिए ज़रूरी तत्व हैं।

3. लीडरशिप का मतलब ख़ुद को दूसरों पर थोपना नहीं है। यह सबकी आकांक्षाओं को पूरा कराने की कला है।

4. लीडरशिप किसी की महत्वाकांक्षा नहीं होनी चाहिए, यह आपकी क़ाबिलियत का परिणाम होना चाहिए।

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5. लीडरशिप का मतलब है साझेदारी, सहयोग, परामर्श और संभाल। इसका मतलब किसी पर वर्चस्व बनाना नहीं है। वर्चस्व जमाना तो अत्याचार है।

 

कारोबार पर सद्गुरु के सूत्र :

1. कारोबार को मानवता की सेवा करनी चाहिए, उसका नेतृत्व नहीं।

2. जब आप लोगों को प्रेम और आदर दे कर उनका प्रेम और आदर जीतते हैं तो यह सिर्फ आप के कारोबार को ही समृद्ध नहीं करता बल्कि आप के जीवन को भी समृद्ध करता है।

3. आप चाहे किसी भी तरह के कारोबार में हों, असली कारोबार तो सिर्फ एक ही है और वो है इंसान की खुशहाली।

 

कामकाजी जीवन पर सद्गुरु के सूत्र :

1. अपनी इच्छाओं को बढ़ाने की बजाय अगर आप अपनी क़ाबिलियत बढ़ाते हैं तो आप इस जीवन को सहजता और सुंदरता से जी सकते हैं और अपने जीवन में बहुत बढ़िया काम कर सकते हैं।

2. क्या संभव है और क्या संभव नहीं है, यह सोचना आप का काम नहीं है, प्रकृति यह तय करेगी। आप का काम वह करना है जिसकी आप को वास्तव में परवाह है।

3. आप को इस बारे में सोचना चाहिए कि आपको अपने काम में ब्रेक क्यों चाहिए। अगर आप कुछ ऐसा कर रहे हैं जिसके बारे में आप को बहुत अधिक परवाह है तो क्या आप उसके बीच में आराम चाहेंगे?

4. जो भी काम किए जाने की ज़रूरत है, जो भी अवसर आपके सामने आ रहे हैं, जो कुछ भी आपको दूसरों के साथ बांटना है, उन सबके लिए सही वक्त अभी ही है, कल नहीं।

5. जो बहुत शिद्दत से काम करते हैं, आराम का आनंद वही समझ पायेंगे।

6. कोई काम तनावपूर्ण नहीं होता। अपने शरीर, मन एवं भावनाओं को संभालने की आपकी अक्षमता ही इसको तनावपूर्ण बनाती है।

7. शैक्षणिक योग्यता आप को सिर्फ कहीं प्रवेश दिला सकती है, आखिर में आपकी क़ाबिलियत ही काम आती है।

 

सफलता पर सद्गुरु के सूत्र

1. जिसने कुछ भी सफलतापूर्वक किया है वही जानता है कि किसी काम का कोई पर्फ़ेक्ट तरीक़ा नहीं होता, यह हमेशा की बाज़ीगरी है।

2. लोग कठिन मेहनत की वजह से सफल नहीं होते हैं, बल्कि वे सही काम करने की वजह से सफल होते हैं।

3. जिसे आमतौर पर असफलता कहा जाता है, वास्तव में वही आपके जीवन के अनुभव को गहरा बनाती है, बजाय उसके, जिसे आप सफलता कहते हैं।

4. अगर आपके लिए सफलता का मतलब दूसरों से आगे होना है, तो आप कभी अपने जीवन की पूर्ण संभावना को साकार नहीं कर पायेंगे।

5. अगर आप सफलता का आनंद लेना चाहते हैं तो परिस्थितियों को तैयार करने से पहले ख़ुद को तैयार करना होगा।

6. अगर आप सफलता चाहते हैं तो सबसे पहली और ज़रूरी बात यह है कि आप यह तय करें कि आप ख़ुद उसमें एक बाधा नहीं होंगे।