प्राचीन मार्शल आर्ट कलारी पयट्टू
कलारी पयट्टू एक बेहद प्राचीन कला है। पारंपरिक तौर पर माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति स्वयं भगवान द्वारा की गई है। लेकिन भारतीय संस्कृति के कई अन्य आयामों की तरह यह असाधारण मार्शल आर्ट भी किसी और की नहीं, बल्कि अगस्त्य मुनि की देन है...
कलारी पयट्टू एक बेहद प्राचीन कला है। पारंपरिक तौर पर माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति स्वयं भगवान द्वारा की गई है। लेकिन भारतीय संस्कृति के कई अन्य आयामों की तरह यह असाधारण मार्शल आर्ट भी किसी और की नहीं, बल्कि अगस्त्य मुनि की देन है।
सद्गुरु कहते हैं:
कलारी शायद इस धरती की सबसे प्राचीनतम सामरिक कला व मार्शल आर्ट है। मूलरूप से अगस्त्य मुनि ने यह मार्शल आर्ट सिखाई थी। शुरुआती दौर में इसका मतलब सिर्फ लात चलाना, घूंसा मारना या छुरा प्रहार करना भर नहीं था, बल्कि इस कला में अपने शरीर का हर प्रकार से उपयोग करना शामिल था। यह कला सिर्फ व्यायाम और शारीरिक चुस्ती फुर्ती तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि इसमें अपने शरीर के ऊर्जा व्यवस्था को अच्छी तरह समझना भी शामिल था। इसी का एक हिस्सा कलारी चिकित्सा और कलारी मर्म भी होता है, जिसमें शरीर के तमाम रहस्यों और शारीरिक उपचार की जानकारी भी शामिल होती है, जिससे शरीर को तुरंत ऊर्जावान बनाकर खड़ा किया जा सकता है।
हो सकता है कि आज के दौर में कलारी के बहुत कम सच्चे साधक बचे हैं, जो अपना समय, ऊर्जा और ध्यान पूर्ण रूप से इस कला के लिए समर्पित करते हैं। लेकिन जब आप इसकी गहराई में जाते हैं तो आप खुद को योग की तरफ जाते हुए पाते हैं, क्योंकि अगस्त्य मुनि की तरफ से जो भी आता है, वह आध्यात्मिकता के सिवाय और कुछ हो ही नहीं सकता। यह बस एक और आयाम है, हर संभव तरीके से खोज करना संभव है।
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लोग अपने शरीर के खाने, सोने और साधारण सुख-सुविधा जैसी चीजों के बारे में ही जानते हैं, उन्हें इससे ज्यादा शरीर के और उपयोग के बारे में पता ही नहीं है। लेकिन शरीर के कई अज्ञात आयाम हैं। क्या आप जानते हैं कि कुछ कराटे मास्टर सिर्फ आपके शरीर का स्पर्श कर आप को मौत के घाट उतार सकते हैं। स्पर्श मात्र से किसी की हत्या करना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन स्पर्श से हम इंसान को उठ खड़ा करना, यह बड़ी बात है। स्पर्श से हम उन्हें जीवित भी कर सकते हैं, यह बड़ी बात है। सिर्फ एक साधारण स्पर्श से और वह भी किसी और के नहीं, बल्कि जब आप खुद ही अपने शरीर का किसी खास ढंग से स्पर्श करते हैं तो आपका पूरा तंत्र या सिस्टम जाग उठता है।
अगर हम सिर्फ लोगों के आध्यात्मिक विकास में लगे होते तो यह हमारे लिए बहुत आसान बात होती। इसमें मुझे कोई बड़ी चुनौती नहीं दिखाई देती। लेकिन हमारा मकसद इंसानी जीवन के गूढ़ आयामों को खोलना है। इसके लिए काम करने की, एक अलग तरह की प्रतिबद्धता, एकाग्रता और समर्पण की जरूरत होती है। मानवता में मौजूद सीमितताओं को भेदने, कुदरत की ओर से मानव के लिए तय की गई सीमाओं के परे जीवन को खोजने के लिए कुछ खास तरह के लोगों की जरूरत होती है। अब वो समय आ रहा है, जब हम इसपर ज्यादा ध्यान लगाकर काम करेंगे।
अपने जाने से पहले मैं अपने पीछे बहुत कुछ छोड़ कर जाना चाहता हूं क्योंकि मानव शरीर रूपी इस असाधारण यंत्र के कई पहलु हैं। 99.99 प्रतिशत इंसान अपने शरीर के बारे में बिना जाने जीते हैं। अगर उन्हें जरा भी सुख मिलता है तो वे संतुष्ट हो जाते हैं। जबकि शरीर वास्तव में ऐसा है नहीं। अगर आप इसके बारे में खोजना शुरू करते हैं, तो यह अपने आप में ब्रम्हांड है। जो सिर्फ बैठे-बैठे ही आपके लिए अद्भुत चीजें कर सकता है। यही योग का मार्ग है। कलारी उसका एक सक्रिय रूप है।
कलारी के बारे में और अधिक जानकारी लेने के लिए इंतजार करें अगले शनिवार का: