सद्‌गुरुएक बहुत ही सहज प्रश्न कई बार लोगों के मन में उठता रहता है कि अगर जन्म के बाद पुर्नजन्म का सिद्धान्त सही है तो फिर हर दिन ये आबादी बढ़ कैसे रही है?

प्रश्न : सद्‌गुरु, मैं जन्म, पुनर्जन्म और कर्म के बारे में एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। अगर ब्रह्मांड की संपूर्ण ऊर्जा स्थिर (कॉन्स्टेंट) है, तो क्या ब्रह्मांड में आत्माओं की संख्या भी स्थिर है?

क्या बन्दर इन्सान बन गए?

सद्‌गुरु : आप अंकगणित के बारे में पूछ रहे हैं? यह बहुत पुराना प्रश्न है जिसे लोग लाखों बार पूछ चुके हैं? इसकी कैलकुलेशन यह है कि आज दुनिया में सात अरब लोग हैं।

‘कुछ’ को जगह देने के लिए ‘कुछ नहीं’ की जरूरत होती है। इन सारी चीजों का आधार वही ‘कुछ नहीं’ यानी शून्यता है।
मान लीजिए एक हजार साल पहले सिर्फ एक अरब लोग थे। अगर लोग पुनर्जन्म लेकर वापस आते हैं, तो वे कहां से आए? ‘क्या सभी बंदर इंसान बन गए?’ हो सकता है। हजार साल पहले दुनिया में जितने बंदर थे, अब उतने नहीं हैं। क्या इतनी व्याख्या आपके प्रश्न के लिए काफी है?

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मगर ऐसा नहीं है। सृष्टि का आधार एक असीम शून्यता या खाली जगह है। खालीपन इतना अधिक है कि सृष्टि किसी भी स्तर पर घटित हो सकती है। अगर खालीपन नहीं होता, तो सृष्टि की संभावना नहीं होती। ‘कुछ’ को जगह देने के लिए ‘कुछ नहीं’ की जरूरत होती है। इन सारी चीजों का आधार वही ‘कुछ नहीं’ यानी शून्यता है।

शून्य और अनंत अंकगणित से परे हैं

शून्यता के लिए कोई अंकगणित नहीं है। अंकगणित सिर्फ संख्याओं के लिए होता है।

मान लीजिए हमने हजार बुलबुले बनाए जो हवा में उड़ रहे हैं। अगर हम दस हजार बुलबुले बनाना चाहें, तो क्या हवा कम पड़ जाएगी?
एक, दो, तीन, चार जैसी संख्याएं अंकगणित से जुड़ी हैं।  जीरो या  अनंत अंकगणित का हिस्सा नहीं है। मान लीजिए हमने हजार बुलबुले बनाए जो हवा में उड़ रहे हैं। अगर हम दस हजार बुलबुले बनाना चाहें, तो क्या हवा कम पड़ जाएगी? वह कोई ठोस चीज नहीं है, वह हर जगह मौजूद है। अगर वह भौतिक चीज होती, तो आप उसकी गिनती करके हैरान हो सकते थे कि सात अरब कैसे हुए। ‘ठीक है, सिर्फ दो अरब बंदर मरे, मगर एक अरब अब भी एक्सट्रा हैं। क्या कीड़े-मकोड़े इंसान बन गए।’ आप इस तरह भी देख सकते हैं क्योंकि हमने धरती पर जिन दूसरे जीवों को मारा है, उनकी संख्या बहुत बड़ी है। हो सकता है कि उन सभी ने इंसान का रूप ले लिया हो।

कर्म भी पैदा हो सकते हैं

‘ठीक है, मगर इन लोगों के लिए कर्म कहां से आए। वे तो सिर्फ खाली बुलबुले हैं।’

ऐसी कोई समस्या नहीं होगी कि अगर इस साल बहुत सी स्त्रियों ने गर्भ धारण कर लिया, तो इन नए शरीरों में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त जीवन नहीं होगा!
आप एक दिन में दस जीवनकालों के लिए कर्म इकट्ठा कर सकते हैं। भौतिक दुनिया के मामले में देखें तो क्या आज आपका एक काम दस सालों तक आपके लिए मुसीबत नहीं पैदा कर सकता? आप ऐसा कर सकते हैं।

तो चाहे हम बच्चे पैदा करके इन सात अरब को सौ सालों में बीस अरब बना दें, तब भी उस पदार्थ की कोई कमी नहीं होगी, जो जीवन का आधार है। उसकी कभी कमी नहीं होगी। आप शरीर बनाएंगे, और उसमें जीवन भर जाएगा। जब आप एक बुलबुला बनाते हैं, उसमें हवा भर जाती है। इसी तरह जब आप शरीर तैयार करते हैं, तो उसमें जीवन भर जाता है। जब भी कोई उपयुक्त शरीर होगा, जो जीवन को धारण करने लायक होगा, तो जीवन वहाँ चला जाएगा। ऐसी कोई समस्या नहीं होगी कि अगर इस साल बहुत सी स्त्रियों ने गर्भ धारण कर लिया, तो इन नए शरीरों में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त जीवन नहीं होगा!