सद्गुरु श्री ब्रह्मा - एक प्रचंड योगी
प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया के दौरान सद्गुरु श्री ब्रह्मा की तस्वीर रखी गई थी। आखिर क्या थी इसकी वजह ?
प्रश्न: सद्गुरु, मेरे मन में एक सवाल हैं कि सितंबर में जब ‘एबोड ऑफ योग’ की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, उस प्रक्रिया के दौरान वहां सद्गुरु श्री ब्रह्मा की तस्वीर रखने की क्या कोई खास वजह थी?
सद्गुरु: याद्दाश्त बहुत अद्भुत चीज है। काश आप अभी जितना याद रखते हैं, उससे अधिक चीजें याद रख पाते। बीते हुए कल के कार्यों और अनुभवों को याद रखते हुए ही आप आज और आने वाले कल के कार्यों को रूपांतरित कर सकते हैं। गुजरे कल को भूलने पर दोहराव आएगा।
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जब भी हम इस तरह की कोई महत्वपूर्ण प्रक्रिया करते हैं, तो मैं हमेशा सद्गुरु श्री ब्रह्मा को सामने रखता हूं। एक वजह है उनकी शख्सियत- जो वह थे, उसे स्वीकार करना है।
इसकी वजह यह थी कि उनके अंदर आग तो बहुत थी, मगर पानी पर्याप्त नहीं था। उनके अंदर अग्नि का तेज था मगर जल की स्थिरता नहीं थी क्योंकि उन्हें लगता था कि इस काम को करने का यही तरीका है। वह सोचते थे कि वह जलकर दुनिया में अपना रास्ता बना लेंगे मगर यह तरीका कारगर नहीं हुआ। चाहे आप कितने भी महान हों, आपके पास कितने भी महान विचार हों, आप कोई भी काम कर रहे हों, आखिकार सिर्फ आपके काम की कामयाबी ही मायने रखती है। वर्ना आप सिर्फ एक बड़ा स्पष्टीकरण बनकर रह जाते हैं। सफलता क्यों नहीं मिली? आप हमेशा देखेंगे कि असफलताओं से जूझने वाले इंसान के पास ढेर सारी सफाई होती है। जो लोग लगातार सफल होते हैं, उन्हें कुछ नहीं कहना पड़ता क्योंकि सफाई विफलता के बाद ही दी जाती है। आप सफाई देना चाहते हैं कि आप कैसे फेल हुए। उसका कोई फायदा नहीं है।
सद्गुरु श्री ब्रह्मा मेरे लिए एक तरह से चेतावनी हैं क्योंकि मेरे अंदर भी भरपूर आग है। मगर हम हमेशा उस आग को काबू में रखते हैं।
दूसरी चीज है, खुद को याद दिलाना, खास तौर पर जब हम इस तरह की प्रक्रियाएं करते हैं, जहां आपको ऊर्जा का पिंड बन जाना होता है। उस स्थिति में आग भड़क जाना, जल जाना और कुछ अलौकिक करना बहुत आसान होता है। मान लीजिए, अगर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मैं यहां आदियोगी जितना विशाल हो गया, तो क्या होगा। ये 1400 लोग इसे याद करते हुए चले जाएंगे और हर किसी से ये बातें कहेंगे, फिर हर कोई सोचेगा कि ये पागल हो गए हैं। कल होकर वैज्ञानिक आएंगे और कहेंगे, ‘हमारे सामने इसे प्रमाणित करो, फिर से ऐसा करो। जब तक कि किसी चीज को दोहराया न जा सके, वह विज्ञान की नजरों में असली नहीं होता।’ वैज्ञानिक माप का आधार यही है ‘क्या आप इसे तीन बार दोहरा सकते हैं?’ वरना यह वैज्ञानिक नहीं है – यह सच नहीं है।
लोगों के अंदर हमेशा कुछ अलौकिक देखने की ललक होती है। उनकी कल्पना हमेशा कुछ खास देखने के लिए लालायित रहती है। मगर उस खास चीज को न होने देना मेरा काम है., क्योंकि अगर मैं कुछ अलौकिक करता हूं, तो वह तो हो जाएगा मगर जिस मकसद से हम लोग यहां हैं, वह पूरा नहीं हो पाएगा।
मेरे लिए जीवन का मूल हमारे कार्यों की सफलता में है, नाटक में नहीं। इसलिए, उनकी तस्वीर लगाने की एक वजह उनकी शक्तियों को सम्मान देना है, और दूसरी वजह खुद को यह याद दिलाना है कि नाटक की कोई जरुरत नहीं है। आपको वह पसंद आ सकता है मगर वह मुझे कहीं और ले जाएगा। जिन प्रभावशाली लोगों ने अपनी ऊर्जा के साथ नाटक किए, हमेशा युवावस्था में ही मृत्यु को प्राप्त हुए क्योंकि जीवन की प्रकृति यही है।