सात्विक प्रकृति: बढ़ाए स्थिरता और शुद्धता
नवरात्रि का सातवां, आठवां और नौवां दिन सरस्वती का होता है और उस समय सत्व गुण प्रबल होता है। आज सद्गुरु, इस गुण के बारे में बता रहे हैं ...
नवरात्रि का सातवां, आठवां और नौवां दिन सरस्वती का होता है और उस समय सत्व गुण प्रबल होता है। हमारे जीवन के चार मुख्य भाग हैं - शरीर, मन, भावनाओं और उर्जा। लेकिन जीवन का स्त्रोत जो कि इन चारों से परे है, वह भी हममें मौजूद है। सात्विक बननें का मतलब है इन चारों को शुद्ध करना, ताकि हम जीवन के स्त्रोत को भी महसूस कर पाएं। आज सद्गुरु बता रहे हैं इस शुद्धता के बारे में...
सद्गुरु:
तामसी प्रकृति से सात्विक प्रकृति की ओर जाने का मतलब है कि आप स्थूल शरीर, मानसिक शरीर, भावनात्मक शरीर और ऊर्जा शरीर को स्वच्छ कर रहे हैं। अगर आप उसे इतना स्वच्छ कर दें कि उससे आर-पार दिखने लगे, तो आप अपने भीतर मौजूद सृष्टि के स्रोत को देखने से नहीं चूक सकते। फिलहाल, वह इतना अपारदर्शी है, इतना धुंधला है, कि आप उससे आर-पार देख नहीं सकते। शरीर एक ऐसी दीवार बन गया है, जो हर चीज का रास्ता रोक रहा है। इतनी अद्भुत चीज, सृष्टि का स्रोत यहां, शरीर के भीतर मौजूद है लेकिन यह दीवार उसका रास्ता रोक देती है क्योंकि वह बहुत अपारदर्शी है, धुंधली है। अब उसे साफ करने का समय आ गया है। वरना आप सिर्फ दीवार को जान पाएंगे, यह नहीं जान पाएंगे कि उसके अंदर कौन रहता है।
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राजसी प्रकृति: जरुरत है सही दिशा की
हम अक्सर सुनते हैं कि कुछ ख़ास तरह के आहार या फिर कुछ ख़ास कार्य, ख़ास गुणों – तमस, रजस, सत्व – से जुड़े होते हैं। आज जानते हैं कि हमारे अंदर के रजस गुण का भरपूर फायदा कैसे लिया जा सकता है…
तामसी प्रकृति: नवरात्रि के पहले तीन दिन
तमस, रजस और सत्व – इन तीन गुणों की चर्चा योग में की गई है। नवरात्रि के नौ दिनों की प्रकृति भी इन तीन गुणों के अनुसार होती है। इनमे पहले तीन दिन तमस से जुड़े हैं। क्या है तमस की प्रकृति? पढ़िए और जानिए सद्गुरु से...
नवरात्रि मनाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
नवरात्रि स्त्री शक्ति के तीन आयामों – दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का उत्सव है। देवी दुर्गा हमें शक्ति प्रदान करतीं हैं, लक्ष्मी धन-दौलत प्रदान करतीं हैं, और देवी सरस्वती हमें ज्ञान प्रदान करतीं हैं। कैसे पा सकते हैं हम इन देवियों की कृपा?
नवरात्रि : 9 शक्तिशाली दिन दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती के
नवरात्रि ईश्वरत्व के स्त्री गुण यानी – दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की कृपा से जुड़ने का एक अवसर है। ये तीन देवियाँ अस्तित्व के तीन मूल गुणों – तमस, रजस और सत्व की प्रतीक हैं। तमस का अर्थ है जड़ता। रजस का गुण सक्रियता और जोश से जुड़ा है। और सत्व गुण, ज्ञान और बोध का गुण है। सभी नवरात्रि देवी को समर्पित होते हैं, और दसवां दिन दशहरा तीनों मूल गुणों से परे जाने से जुदा होता है…