तंत्र : सपनों को साकार करने का विज्ञान
तंत्र को ज्यादातर लोग या तो अंधविश्वास मानकर नकार देते हैं, या फिर कोई डरावनी चीज़ मानकर उससे दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन यह एक विज्ञान है, जिसमें लोगों ने कल्पना के साथ काम करना शुरू किया और एक ऐसे स्तर तक किया कि आप चाहें तो एक पूरा संसार रच सकते हैं। आइए जानते हैं थोड़े विस्तार से इसके बारे में
तंत्र को ज्यादातर लोग या तो अंधविश्वास मानकर नकार देते हैं, या फिर कोई डरावनी चीज़ मानकर उससे दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन यह एक विज्ञान है, जिसमें लोगों ने कल्पना के साथ काम करना शुरू किया और एक ऐसे स्तर तक किया कि आप चाहें तो एक पूरा संसार रच सकते हैं। आइए जानते हैं थोड़े विस्तार से इसके बारे में –
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सद्गुरु:
योग कल्पना की शक्ति पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं होता है, क्योंकि उसमें अलग तरह की तकनीकें और साधन हैं। लेकिन तंत्र-योग कल्पना पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है। इसमें कल्पना की एक बेहद व्यवस्थित प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है। कल्पना को एक माध्यम में बदला जाता है जो आपके मौजूदा अस्तित्व की सीमाओं को खत्म कर देता है। यह आपको अनुभव और वास्तविकता के एक पूरी तरह से अलग पहलू में ले जाता है। आपने गूढ़ तांत्रिक मंडल देखे हैं? वे बहुत विस्तृत और परिष्कृत होते हैं। अगर उन्हें एक मंडल बनाना है तो तीन या चार लोग दिन और रात काम करेंगे क्योंकि ये काम बहुत गूढ़ होते हैं और उन्हें एक खास तरह से ही बनाना होता है। यह एक तरह से अपने मन को कल्पना करने का प्रशिक्षण देने और उसके इस्तेमाल करने का तरीका है, लेकिन बहुत ही नियंत्रित तरीके से। एक कलाकार भी तो यही करता है, बस फर्क सिर्फ इतना है कि वो ये सब अपनी सहज प्रवृत्ति के साथ करता है, एक सिस्टम के साथ नहीं। लेकिन तंत्र कल्पना को एक खास तरह से प्रयोग करके, एक विज्ञान की तरह इस्तेमाल कर रहा है।
अगर आप तांत्रिक पद्धति को देखें, तो आप पाएंगे कि उसमें बहुत तरीके की देवियों की पूजा की जाती है। कल्पना शक्ति से एक खास देवी की कल्पना की जाती है और यह कल्पना सारी बारीकियों को समेटे होती है, मसलन उसके कपड़ों से लेकर आभूषण तक, उसके नाखूनों से लेकर बाकी हर चीज तक के बारे में पूरी सजगता के साथ कल्पना की जाती है। कुछ समय के बाद यह कोई कल्पना नहीं रह जाती, यह एक जीती-जागती वास्तविकता बन जाती है। एक तांत्रिक के जीवन में यह एक जीती-जागती ताकत बन जाती है और इस ताकत का इस्तेमाल वह कई अनोखे तरीकों से करता है जो कई बार अविश्वसनीय भी होती हैं। इसके कई और भी पहलू हैं, लेकिन कल्पना बहुत शक्तिशाली तरीका है।
अगर मैं आपको एक विचार दूं तो आप सिर्फ उस विचार से पूरा एक जीवन बना सकते हैं। यही तंत्र की कला है। आप इसे करके देख सकते हैं। इस पर कुछ समय लगाकर देख सकते हैं। किसी पेड़ या घास के पास जाकर बैठ जाइए। अपनी आंखें बंद कीजिए और अपने मन में उसकी कल्पना कर के दोबारा बनाइए। इस घास के तिनके की तस्वीर पूरी स्पष्टता से अपने मन में बनाइए। नीचे से या बिल्कुल ऊपर से शुरू कीजिए और धीरे-धीरे इस पूरे तिनके को अपने दिमाग में बनाइए। इस तिनके को पूरी सजीवता और स्पष्टता के साथ शत-प्रतिशत अपने दिमाग में बनाना होगा। इसमें बहुत काम करने की जरूरत होगी।
अपने बचपन में मैं तमाम चीजों को अपने मन में बनाया करता था। अगर आप कर सकें तो एक और चीज आपको बताता हूं। अगर आप अपने दिमाग में बना सकते हैं, तो इस छोटी उंगली की स्मृति को भी अपने मन में विस्तार से बनाइए। जब मैं स्मृति कहता हूं, तो उसका मतलब होता है कि इस छोटी सी उंगली में बहुत सारे गुण हैं। आप माइक्रोमिलीमीटर की हद तक बारीकी से आगे बढ़ें और हर छोटी से छोटी चीज को अपने दिमाग में बनाएं। ऐसा करने से आपके मस्तिष्क में एक जबर्दस्त संभावना पैदा हो जाएगी। अब अगर आप चाहें तो आप घास से अपनी छोटी उंगली को पैदा कर सकते हैं। यही तंत्र है। ऐसा भी होता है कि आपने आम का कोई बीज बोया, तो तांत्रिक उसे वहीं उगा देगा और एक या दो घंटे के भीतर ही उसमें से फल भी आने लगेगा, क्योंकि यह एक सपना है। पेड़ एक सपना ही तो है, आपका शरीर भी एक सपना ही है, यह संसार भी एक सपना है। एक तरीके से यह सपना है, यह सब सापेक्षिक है – इन चीज़ों का होना हमारे होने पर आधारित है। यही है, जिसे हम माया कहते हैं। माया का मतलब यह नहीं है कि इसका अस्तित्व ही नहीं है। उसी तरह सपने का मतलब यह नहीं है कि उसका कोई अस्तित्व नहीं है। अस्तित्व तो है, लेकिन वह वैसा नहीं है जैसा आप उसे समझ रहे हैं। अपनी पांच ज्ञानेंद्रियों के जरिए जो आप समझ रहे हैं, यह उस तरह का नहीं है। इसकी प्रकृति बिल्कुल अलग है।
तो इस तरह से तंत्र एक विज्ञान है, जिसमें उन लोगों ने कल्पना के साथ काम करना शुरू किया और एक ऐसे स्तर तक किया कि आप चाहें तो एक पूरा संसार रच सकते हैं।