जीवन क्या है? तीव्रता!
जीवन क्या है? कौन सी चीजें जीवन के प्रवाह में बाधक हैं और कौन सी सहायक ? हम अपने अन्दर तीव्रता और जीवंतता कैसे ला सकते हैं? ऐसे ही कुछ जटिल समझे जाने वाले प्रश्नों का सहज और सरल उत्तर दे रहे हैं सद्गुरु –
जीवन क्या है? कौन सी चीजें जीवन के प्रवाह में बाधक हैं और कौन सी सहायक ? हम अपने अन्दर तीव्रता और जीवंतता कैसे ला सकते हैं? ऐसे ही कुछ जटिल समझे जाने वाले प्रश्नों का सहज और सरल उत्तर दे रहे हैं सद्गुरु –
प्रश्न:
सद्गुरु, तीव्रता क्या है? जीवन में तीव्रता या प्रवाह कैसे पैदा करें?
Subscribe
सद्गुरु:
बहुत सारे लोगों का मानना है कि उनका अस्तित्व केवल इसलिए है क्योंकि वे सोच रहे हैं। नहीं, ऐसा नहीं है। चूंकि आपका अस्तित्व है, इसलिए आप सोच पा रहे हैं, नहीं तो आप सोच ही नहीं सकते। आपकी जीवंतता आपके विचारों और भावों से कहीं ज्यादा मौलिक और महत्वपूर्ण हैं। लेकिन होता यह है कि आप केवल वही सुनते हैं जो आपके विचार और भाव कह रहे हैं। अगर आप जीवन की प्रक्रिया के हिसाब से चलें, तो यह एक निरंतर प्रवाह है, चाहे आप सो रहे हों या जाग रहे हों। जब आप सो रहे होते हैं तो क्या जीवन आपके भीतर सुस्त पड़ जाता है? नहीं, यह आपका मन है जो कहता है, 'मुझे यह पसंद है इसलिए मैं इसे पूरे जुनून के साथ करूंगा, मुझे वह पसंद नहीं है इसलिए उसे दिल से नहीं करूंगा।' लेकिन आपकी जिंदगी इस तरह की नहीं है। यह हमेशा एक प्रवाह और तीव्रता में है।
अगर आप लगातार इस तथ्य के प्रति जागरूक या सजग रहेंगे कि बाकी सभी चीजें गुजर जाने वाली चीजें हैं और मैं मूल रूप से जीवन हूं, तो आपके अंदर एक प्रवाह और तीव्रता बनी रहेगी। आपके अस्तित्व में होने का कोई और तरीका ही नहीं है, क्योंकि जीवन को कोई दूसरा तरीका मालूम ही नहीं है। जीवन हमेशा प्रवाह में है, यह तो बस भाव और विचार ही हैं जो भ्रम पैदा करते हैं।
अपनी खुद की मान्यताओं की ओर देखिए। उनमें से कोई भी किसी भी तरह की जांच का सामना नहीं कर पाएगी। अगर मैं आपसे तीन सवाल पूछूं, तो आपकी मान्यताएं पूरी तरह लडख़ड़ा जाएंगी। लेकिन जीवन में अलग-अलग मौकों पर आपका मन आपको अलग-अलग बातों पर भरोसा कराएगा और वह तब आपको बिल्कुल सच लगेगा।
कैसे बनाए रखें तीव्रता?
तीव्रता का अर्थ है जीवन के प्रवाह के साथ चलना। अगर आप यहां सिर्फ जीवन के रूप में, एक शुद्ध जीवन के रूप में मौजूद हैं, तो यह स्वाभाविक रूप से अपनी परम प्रकृति की ओर जाएगा। जीवन की प्रक्रिया अपने स्वाभाविक लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। लेकिन आप एक विचार, भाव, पूर्वाग्रह, क्रोध, नफरत और ऐसी ही तमाम दूसरी चीजें बनकर एक बड़ी रुकावट पैदा कर रहे हैं। अगर आप बस जीवन के एक अंश के रूप में मौजूद हैं, तो स्वाभाविक रूप से आप अपनी परम प्रकृति तक पहुंच जाएंगे।
यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसके लिए आपको जूझना या संघर्ष करना पड़े। मैं हमेशा कहता हूं - बस अपनी तीव्रता को बनाए रखें, बाकी चीजें अपने आप होंगी। आपको स्वर्ग का रास्ता ढूंढने की जरूरत नहीं है। बस अपनी तीव्रता को बनाए रखिए। ऐसा कोई नहीं है जो इस जीवन को इसकी परम प्रकृति की ओर ले जाए या जाने से रोक दे। हम इसमें देरी कर सकते हैं या हम बिना किसी बाधा के इसे तेजी से जाने दे सकते हैं। बस यही है जो हम कर सकते हैं।
यह जितनी तेजी से हो सकती है, उतनी तेजी से इसे होने देने के लिए ही आध्यात्मिक प्रक्रियाएं होती हैं। मदद के लिए आपको देवताओं को बुलाने की जरूरत नहीं है, आपको जीवन होना होगा, विशुद्ध जीवन। अगर आप यहां एक विशुद्ध जीवन के रूप में जी सकते हैं, तो आप परम लक्ष्य तक स्वाभाविक रूप से पहुंच जाएंगे।