#1. युवाओं ने सदगुरु से 1 लाख से भी ज्यादा प्रश्न पूछे हैं--

शुरू होने के एक महीने के भीतर ही, ‘युवा और सत्य’ अभियान मीडिया और देश के युवाओं के बीच एक बड़ी चर्चा का विषय बन गया था। युवाओं ने अपने आप को स्पष्ट दृष्टिकोण की शक्ति से भरते हुए, इस मंच का काफी सदुपयोग किया। राष्ट्र निर्माण से यौन संबंधों तक, अंतर्ज्ञान का दावा करने वालों की सच्चाई से तकनीक की लत तक, और इनके बीच में और भी बहुत कुछ – सदगुरु से बहुत सारे विषयों पर कई तरह के सवाल पूछे गए।

 

#2. सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले और कई मजेदार व्यक्तिगत प्रश्न कुछ ऐसे थे..

‘मुझे अपने जीवन में क्या करना चाहिए?’ इस प्रश्न को अलग-अलग कई तरीक़ों से पूछा गया – जैसे ‘मुझे अपने लिए एक रेगुलर कैरियर चुनना चाहिए या अपने पैशन पर ध्यान देना चाहिये या फिर अपने माता-पिता की बात माननी चाहिये?’ ’मुझे दुनिया के लिये कुछ करना चाहिये या विदेश जा कर पैसा कमाना चाहिए?’ और यह भी... ‘अगर सब कुछ पहले से नियति ने तय कर रखा है तो मुझे क्या करना चाहिए?’

संयोगवश बने यौन संबंध और लोगों के बीच प्रेमप्रदर्शन (पीडीए), सोशल मीडिया का उपयोग, आज की दुनिया में धर्म का स्थान, यौन शोषण एवं स्त्रीवाद, किसी से जुड़े होने की ज़रूरत, तनाव, कॉम्पटीशन तथा रिश्तों से जुड़ी समस्याओं पर भी काफ़ी प्रश्न थे।

सदगुरु को पूछा गया सबसे अनोखा, व्यक्तिगत प्रश्न संभवतः यह था, ‘आप अपना दाहिना पैर नीचे और बायां पैर ऊपर कर के क्यों बैठते हैं?’ यह प्रश्न श्रीराम कॉमर्स कॉलेज, दिल्ली में पूछा गया था।

दूसरे व्यक्तिगत सवालों में ये भी थे, ‘आप हर समय सक्रिय कैसे रहते हैं?’ और ‘आप की सफलता का राज़ क्या है?’ कुछ कॉलेजों में विद्यार्थियों ने अपने सिलेबस और ‘कोर्स मैनजमेंट’ से संबंधित बहुत प्रश्न पूछे तो कई प्रश्न योग, राष्ट्रवाद, भीड़ द्वारा हत्या की बढ़ती घटनाएं, आर्टिफिशियल इनटिलिजेंस और 2019 के चुनावों के बारे में भी थे।

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#3.

27 दिनों में 34 कार्यक्रम हुए। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों के साथ सदगुरु की बातचीत के मुख्य कार्यक्रमों के अलावा, इंस्टाग्राम लाइवस्ट्रीम्स, वाराणसी और मैसूर में सत्संग, मीडिया-इंटर्व्यूज़ तथा कई प्रकार के लोगों के साथ लंबी बातचीत भी थे।

 

#4

एनआईडी, अहमदाबाद में बहुत अधिक भीड़ और उत्साह के कारण विद्यार्थी रेलिंग्स पर चढ़े जा रहे थे तो आईआईएम अहमदाबाद में एक सुरक्षाकर्मी यह जानना चाहता था कि इतने सारे विद्यार्थी कैसे इस कार्यक्रम के लिये इकट्ठा हो गये? नलसर में तो सभागृह के गलियारे और सीढियां भी विद्यार्थियों से भरे हुए थे। आरआईई मैसूर में एक वालंटियर ने विद्यार्थियों के अटेंशन लेवल के बारे में बताया, ‘वे लोग सदगुरु के साथ जबरदस्त रूप से लिप्त और एकाग्र हो गये थे। ईशा संगीत पर तो बच्चे, विद्यार्थी, आम श्रोता, स्कूल के कर्मचारी, सभी लोग उत्साह से थिरक रहे थे।’

 

#5. सदगुरु कोबरा टेस्ट के बारे में बोले...

‘क्या आप जानते हैं, कोबरा टेस्ट क्या होता है?’ सदगुरु ने कुछ ऐसे बताया . . . ‘सभी सांप पूरी तरह बहरे होते हैं। उनके पास सुनने के साधन होते ही नहीं। अतः वे पूरी तरह जमीन से लगे रहते हैं। उनका पूरा शरीर जमीन के संपर्क में होने से उन्हें हर बारीक से बारीक हलचल का भी तुरंत अनुभव होता है। आप के बारे में उन्हें आप की भावनाओं के कम्पनों से ही पता चल जाता है। सांप आपको अच्छी तरह देख नहीं सकता पर आपकी भावनाओं को, हलचल को, रासायनिक बदलावों को अच्छी तरह भांप लेता है, जानता है।

अगर आप एक कोबरा को पकड़ कर उठा लें और आपमें कोई चिंता, व्याकुलता, असहजता न हो तो वह आप के हाथ में बिना किसी विरोध के आ जाएगा। अगर आप में जरा सी भी चिंता, व्यग्रता, हिचक हुई तो वह आप के पीछे पड़ जाएगा क्योंकि उसको तुरंत ही खतरे का आभास हो जाता है’।

लोग पूछ रहे थे, "सदगुरु, हम कैसे जानें कि हम सही मायने में ध्यानमग्न और आराम से हैं या नहीं?’ मैंने कहा कि हमें आप पर कोबरा टेस्ट करना चाहिए। यदि आप एक कोबरा को पकड़ते हैं और वह आसानी से आप के हाथ में आ जाता है तो आप आराम से हैं, सहज हैं। अगर वह कोई प्रतिक्रिया देता है तो इसका अर्थ है कि आप आराम से नहीं हैं।

 

#6. विमान कर्मियों में था उत्साह

सितंबर में, जब युवा और सत्य के सभी कार्यक्रम सम्पन्न हो गये, सद्गुरु यूनेस्को के दो कार्यक्रमों के लिये पेरिस जाने की तैयारी में थे। वे जब विमान में सवार हुए तो विमान के सभी युवा कर्मचारी, महिला-पुरूष, सभी इस बात को ले कर बहुत उत्साहित थे कि सदगुरु उनके साथ यात्रा करेंगे। उन्होंने बताया कि लोकप्रिय यू- ट्यूबर, प्राजक्ता कोहली के साथ उनके साक्षात्कार को उन सब ने बहुत पसंद किया था। (सदगुरु इन सब के लिये किसी हीरो से कम नही थे)

 

#7. एक कार्यक्रम-- लीक से हट कर

बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय ने सदगुरु को चकित कर दिया। उन्होंने एक अलग तरह का कार्यक्रम आयोजित किया-- संगीत विभाग के विद्यार्थियों और शिक्षकों की मनोहर संगीत प्रस्तुति। 15 से 20 विद्यार्थी 3 से 4 के समूह में आते थे और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की पेशकश करते थे- कबीर के भजन एवं शास्त्रीय संगीत की बंदिशें।

संगीत सीखने में आने वाली मुश्किलों के बारे में दिलचस्प सवाल विद्यार्थियों ने पूछे। एक छात्रा का प्रश्न था, ‘अगर संगीत दिव्य अनुभव की ओर बढ़ने का मार्ग है तो हमें इसका अभ्यास करते समय कभी-कभी इतनी निराशा, कुंठा क्यों होती है?’

कार्यक्रम के अंत में सदगुरु ने कांति सरोवर के बारे में अपने अनुभव की बात की और विद्यार्थियों के साथ नाद ब्रह्म गाया।