आध्यात्मिक पथ : क्यों रुक जाता है विकास?
इस स्पॉट में सद्गुरु हमें बता रहे हैं कि अध्यात्मिक पथ पर प्रगति करने के लिए क्या करना होगा। वे बताते हैं कि सबसे पहले हमें उस बाधा पर गौर करना होगा, जो हमें प्रगति करने से रोक रही है। फिर वे कुछ ऐसी बाधाओं के समाधान बता रहे हैं, जिनका सामना बहुत से लोग करते हैं
इस स्पॉट में सद्गुरु हमें बता रहे हैं कि अध्यात्मिक पथ पर प्रगति करने के लिए क्या करना होगा। वे बताते हैं कि सबसे पहले हमें उस बाधा पर गौर करना होगा, जो हमें प्रगति करने से रोक रही है। फिर वे कुछ ऐसी बाधाओं के समाधान बता रहे हैं, जिनका सामना बहुत से लोग करते हैं...
अलग-अलग लोगों के लिए आध्यात्मिक प्रक्रिया का अलग-अलग मतलब होता है। बहुत सारे लोगों को लगता है कि आध्यात्मिक प्रक्रिया का मतलब हमेशा प्रेममय होना, हमेशा मुस्कुराते रहना और हमेशा शिष्टता से व धीरे चलना है। जबकि कुछ लोग आध्यात्मिकता को एक तरह की अक्षमता मानते हैं। इसके बारे में एक और सामान्य अवधारणा है कि आध्यात्मिकता का मतलब अच्छा होना होता है। कुछ लोगों को लगता है कि आध्यात्मिकता का मतलब कुछ निरंकुशता भरे काम करने से है, मसलन - धूम्रपान करना, पागलपन या दीवानगी भरा काम और गैरजिम्मेदार दिखना। जबकि कुछ लोगों के लिए आध्यात्मिक होने का मतलब प्रसन्न होना, शांतिमय होना और आनंदमय होना है। आध्यात्मिक होने का मतलब ये सब कुछ नहीं है। आध्यात्मिक होने का मतलब है कि आपका अस्तित्व आत्मा के रूप में हो, और शरीर के रूप में कम हो।
क्यों रुकी हुई है आपकी अपनी आध्यात्मिक प्रगति ?
हो सकता है कि आपके सामने कुछ खास तरह की बाधाएं हों, जो आपको फिलहाल इसका अनुभव नहीं होने देतीं। आपको पता होना चाहिए कि आपकी बाधा क्या है। हो सकता है कि आप इतने अच्छे हों कि आपको अपने आस-पास के जीवन के बारे में पता ही न हो या हो सकता है कि आप इतने मतवाले हों कि आपको अपने भीतर व बाहर के जीवन के बारे में अहसास ही न हो।
चलिए हम कुछ सामान्य से अवरोधों के बारे में बात करते हैं।
अगर जड़ता बाधा है – तो हठ योग समाधान है
अगर आपको लगता है कि आपके शरीर में कुछ अकड़ या जड़ता है तो आप सुबह हठ योग करके इस पर काम कर सकते हैं। शरीर एक ऐसी मशीन है, जो इस्तेमाल के साथ बेहतर होती जाती है। शरीर में अकड़ व जड़ता एक तरह से मृत्यु के निशानी है, क्योंकि मरने के बाद शरीर में एक कड़ापन आ जाता है। अगर आपके शरीर में लचीलापन नहीं है, अकड़ है, तो इसका मतलब एक तरह से मरने के बाद की स्थिति आपके शरीर में धीरे-धीरे आ रही है। हठ योग उसे आपके भीतर आने नहीं देता है। जब आप जीवित हों तो आपको पूरी तरह से जीवंत रहना चाहिए। जीवंत होने का मतलब है कि आप अपने भीतर उस कड़ेपन या जड़ता को न आने दें। जहां तक हो सके आपका शरीर, मन और ऊर्जा तरल बनी रहनी चाहिए। केवल तभी आप जिंदगी को गहराई से समझ पाएंगे।
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आलस्य को दूर भगाने के लिए समर्पण होना चाहिए
कुछ लोगों के मन में साधना करने का इरादा तो होता है, लेकिन अंततः वे आलस के शिकार हो जाते हैं। हर व्यक्ति के भीतर एक जैसी तीव्रता नहीं होती, लेकिन जो होना चाहिए, वह होना ही चाहिए। इसे आप ऐसे तय कर सकते हैं - अगर शांभवी नहीं तो खाना नहीं। यह मत सोचिए कि यह बहुत कठोर या मुश्किल है। योगिक मार्ग पर लोगों ने इससे भी उग्र कदम उठाए हैं।
बाधा शारीरिक रोग है, तो थोड़ी ज्यादा मेहनत लगेगी
अगर आपके भीतर कोई शारीरिक रोग है तो हो सकता है कि आपको थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़े। उसकी वजह है कि अगर शरीर ही समस्या बन जाए तो वह समस्या ही आपके जीवन का पूरा फोकस अपने पर बनाए रखती है। उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए आपको दमा का दौरा पड़ा है, जहां आप सांस भी नहीं ले पा रहे। उस समय में बस आप सांस लेना चाहेंगे, तब कोई और चीज आपके लिए मायने ही नहीं रखेगी। यही बात किसी भी तरह के दर्द या रोग पर लागू होती है।
मन भी बाधा बन सकता है
इस रास्ते में मुख्य अवरोध आपका मन भी हो सकता है। जीव के विकास की प्रक्रिया ने लाखों साल का समय लिया था। परें बंदर से इंसान में बदलाव की प्रक्रिया अपेक्षाकृत कहीं तेजी से हुई थी। अगर शारीरिकी के आधार पर बात की जाए तो कहते हैं कि इंसान और चिंपांजी के डीएनए में सिर्फ 1.23 प्रतिशत का फर्क होता है। लेकिन अगर बुद्धि और जागरूकता के लिहाज से देखा जाए तो हम इंसान चिंपांजियों से बहुत अधिक आगे हैं। बुद्धि या प्रज्ञा का यह स्तर अपेक्षाकृत हमारे लिए भी नया है।
हमारे कर्म
इस रास्ते में एक और अवरोध हो सकता है, और वह है आपका कर्म। कर्म कोई ऐसी चीज नहीं है, जो बस हो जाता है। कर्म का मतलब अपने जीवन का जिम्मा लेना है।
दूसरों द्वारा फायदा उठाये जाने का डर
उसके बाद यहां बहुुत सारे ऐसे लोग हैं, जो हमेशा खुद को बचा कर रखने की कोशिश करते हैं, जिन्हें यह डर होता है कि कोई उनका फायदा उठा सकता है। उन्हें फायदा उठाने दीजिए। मेरे पास भी अपनी ओर से सलाह देने वाले ऐसे कई सलाहकार हैं जो मुझे लगातार बताते रहते हैं कि सावधान रहें, कोई आपका इस्तेमाल कर सकता है। मैं उनसे कहता हूं कि उन्हें मेरा इस्तेमाल कर लेने दीजिए।
केवल भौतिक शरीर को सुरक्षा या बचाव की जरूरत होती है। और कभी कभी कुछ चीजें संभव नहीं होतीं। अन्यथा तो हर चीज ‘हां’ है। इस पूरे ब्रम्हांड में ऐसा एक भी अणु या परमाणु नहीं है जो आपके लिए संभावना का कोई द्वार न खोलता हो। ‘हां’ से मेरा मतलब आपके नजरिए से नहीं है, बल्कि यह आपके अस्तित्व की झलक हो। सृष्टि या अस्तित्व हमेशा से ‘हां’ में है। अगर आप खुद को इस अस्तित्व का हिस्सा समझेंगे तो आप भी एक ‘हां’ होंगे। आप जिस हवा में सांस लेते हैं, अगर वह आपको ना कह दे तो आप मर जाएंगे। अगर आपके आसपास का जीवन आपको ना कह दे तो आप मर जाएंगे। आपके शरीर में जो भोजन अंदर जा रहा है, अगर वह आपको ना कह दे तो आप मर जाएंगे। जब यह सृष्टि आपको हां कह रही है तो आप फिर आप ‘हां या ना’ की दुविधा में क्यों पड़े हैं? अब समय आ गया है कि आप जीवन को सौ प्रतिशत हां कहें।
अपने उपहास या लोगों की राय का डर
कुछ लोगों के लिए सबसे बड़ा अवरोध अपने बारे में लोगों की राय या अपने उपहास का डर है। सबसे पहली बात, क्या दूसरे लोगों की वाकई इस बात में दिलचस्पी है कि आप क्या करते हैं और उनके पास क्या सचमुच इतना समय है कि वे आपके बारे में राय बनाएं। इसकी चिंता मत कीजिए कि दूसरे क्या सोचेंगे। दूसरों के मन में क्या चलता है, यह उनकी समस्या है।
सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है - संतुलन
सबसे बड़ी बात कि आपको अपने लिए एक स्थायी आधार तैयार करना चाहिए। जीवन में सबसेे महत्वपूर्ण चीज संतुलन बनाना है। अगर संतुलन नहीं होगा तो आपका शरीर और आपका मन आपके खिलाफ काम करेंगे। एक स्थायी आधार का मतलब एक ऐसे शरीर व मन से है, जो आपसे निर्देश लेता हो। आपको अपने भीतर सही तरह के रसायन तैयार करने का कौशल आना चाहिए। यह आपके स्वास्थ्य और आपके कल्याण के लिए जरूरी है। अपने सिस्टम को संभालने का कौशल आपमें होना चाहिए। इसीलिए योग है। योग के आसान से झुकाव या मुड़ाव आपके शरीर की मांसपेशियों के कसरत के लिए नहीं है, बल्कि यह आपके भीतर की बुनियाद को बदलने के लिए हैं। कम से कम आप इसकी शुरुआत 21 मिनट की शांभवी से कीजिए। अगर हो सके तो इसके साथ योग नमस्कार या फिर सूर्य क्रिया कीजिए। यह आपके सिस्टम में संतुलन और स्थिरता लाएगी। अगर आप जीवन की सवारी का मजा लेना चाहते हैं तो आपको संतुलन की जरूरत है। हर व्यक्ति को इसके लिए काम करना चाहिए।