आलोचना करने वालों से कैसे निपटें?
आलोचना करने वालों से कैसे निपटें?
चाहे आप कोई भी काम करते हों, किसी भी क्षेत्र में सक्रिय हों, प्रशंसा और आलोचना दोनों मिलती रहेंगी। प्रशंसा हमें अच्छी लगती है तो आलोचना हमारे उत्साह को कम कर देती है। ऐसे में कैसे निबटें अपनी आलोचनाओं सेः
दुनिया से मिलीं चीज़ों से कुछ कारगर बनाना होगा
एक बार अगर आप इस दुनिया में सक्रिय हो गए तो लोग आप पर हर तरह की चीजें फेकेंगे।
सवाल उठता है कि आलोचकों और नकारात्मक ताकतों से कैसे निबटें? इसके लिए ‘असतो मा सद्गमय’ पर चलना होगा, जिसमें हमेशा सच की ओर चलना होगा, वही करना होगा, जो काम करे। हमेशा कोई न कोई होगा, जो आपके काम में बाधा डालने की कोशिश करेगा। पिछले सत्ताइस सालों से हमारे खिलाफ कई बार हमें बदनाम करने की मुहीमें चलाई गई। कुछ खास ताकतें हमारी कोशिशों को नकारने और उन पर पानी फेरने में लगी थीं, लेकिन आज हमने ईशा को हर स्तर पर एक बड़े आंदोलन का रूप दे दिया है। नकारात्मक ताकतों से उचित तरीके से निपटने की जरूरत होती है। इसे लेकर किसी तरह से भी दार्शनिक या फिलोसोफिकल होने की जरूरत नहीं है। लेकिन अफसोस की बात है कि लोगों के मन में पर्याप्त समझदारी की जगह फिलोसोफि घुमड़ती रहती है।
अच्छी नियत वाले लोगों को सक्रीय होना होगा
यहां तक कि लाॅ इंफोर्समेंट के कुछ आला अफसरों ने मुझसे कहा, ‘सद्गुरु, जितनी भी महान हस्तियां हुई हैं, उन सबके साथ ऐसा हुआ है। आपको तो पता ही है कि राम व कृष्ण के साथ क्या हुआ।
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अगर हम चाहते हैं कि यह देश आगे बढ़े तो हम सब को वह करना होगा, जो कारगर हो। इस देश में सक्रियतावाद ज्यादा और सक्रियता कम है। यह हम पर आजादी से पहले का हैंगओवर ही है कि हम अब भी ऐसे लोगों का सम्मान कर रहे हैं, जो इस देश को आगे बढ़ने व काम करने से रोक रहे हैं। हो सकता है कि रास्ता रोको, रेल रोको, हड़ताल व बंद जैसी चीजें आजादी की लड़ाई में हम पर शासन करने वालों के खिलाफ एक उचित साधन रही हों। लेकिन आज खुद अपने देश को बंद करने का क्या मतलब है? आखिर इसमें कैसी समझदारी है? किसी देश को किसी एक जगह ठहरा देने के लिए एक खास तरह के कौशल की जरूरत होती है, लेकिन किसी देश को बनाने के लिए दूसरे तरह के कौशल की जरूरत होती है। अगर कोई व्यक्ति किसी भी समय इस देश के विकास में बाधा बनता है तो फिर उसे नेता बनने का कोई मौका नहीं मिलना चाहिए। समाज में ऐसे भी लोग हैं, जो दूसरों की समस्याओं को बढ़ाने में लगे रहते हैं। यह चीज खत्म होनी चाहिए। देश में काफी काम किए जाने की जरुरत है।
महत्वपूर्ण लोगों की सोच में बदलाव लाना होगा
अगर हम देश के कुछ महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों की सोच में बदलाव ला सकें तो इस देश में काफी चीजें बदल जाएंगी।
अब जब भी कोई आपके सामने आए तो हर हाल में आपकी कोशिश होनी चाहिए कि कैसे उन पर सकारात्मक असर डाला जाए। अगर आप उन्हें थोड़ा और मुस्कुराने में मदद कर पाए तो आपने उन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। कम से कम इतना तो आप कर ही सकते हैं। भले ही आप सामने वाले को जानते हों या नहीं, भले ही वह कोई अजनबी हो या किसी दुश्मन देश का हो, क्या आप उसे देखकर एक सच्ची मुस्कान दे सकते हैं। मैं यहां जबरदस्ती वाली मुस्कान की बात नहीं कर रहा। अगर आप बिना दिल में खुश हुए रोज मुस्कुराते रहेंगे तो यह चीज आपको खत्म कर देगी। अगर आपके दिल में खुशी होगी तो स्वाभाविक तौर पर आपके चेहरे पर मुस्कान आएगी। अगर आपको लगता है कि आप जो कर रहे हैं, वह महत्वपूर्ण है तो सबसे पहली चीज है कि आप खुद पर काम कीजिए। आप हर महीने अपने जीवन का लेखा-जोखा क्यों नही लेते? क्या आप इस महीने पिछले महीने से थोड़़ा बेहतर इंसान हुए हैं? क्या आप पहले से थोड़ा ज्यादा खुश हुए हैं?
भीतरी स्थिति पर काम करने की जरुरत है
आलोचना तो हर हाल में होनी है। अगर आप तारीफ सुनते हैं, अगर आप सराहना से खुश होते हैं तो आपका आलोचना से परेशान होना तय है।
समाज में रहते हुए आप आलोचना से भाग नहीं सकते। इनके प्रति असंवेदनशील होना भी इस समस्या का समाधान नहीं है - ऐसा करके आप बस उससे दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप सच्चा जवाब चाहते हैं तो आपको खुद पर काम करना होगा। आपके भीतरी आयाम को इस तरह विकसित होना होगा कि आपके भीतरी हालात इस पर निर्भर नहीं करे की आपके बाहरी हालात कैसे हैं। अगर आप अपनी भीतर अच्छी तरह से स्थापित हैं तो आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि लोग आपके बारे में क्या कहते हैं। कुछ लोग आपको महान बताएंगे तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोग आपको खराब करार देंगे, कुछ लोग कहेंगे कि आप जो भी कर रहे हैं, वह जबरदस्त है, कुछ लोग कहेंगे कि यह ठीक नहीं है - आप बस सुन लीजिए। गाड़ी चलाते समय मेरी आंखें कभी भी गाड़ी के रियर व्यू मिरर पर नहीं होतीं, मेरी नजरें हमेशा सामने सड़क पर होती हैं। पिछले शीशे में हो सकता है कि आपको दिखे कि कोई आपके प्रति नाराजगी दिखा रहा हो, वहीं दूसरी ओर कोई आपकी तारीफ कर रहा हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
जो आपके लिए मूल्यवान है, उसके लिए जीवन लगा दें
यह समय अपनी कामयाबी का जश्न मनाने या अपनी नाकामयाबी पर अफसोस करने का नहीं है।