सद्गुरु बताते हैं कि नशीले पदार्थ लेकर आप उस पदार्थ का आनंद लेने की कोशिश नहीं करते, बल्कि जीवन का आनंद लेने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब आप मनुष्य होने की पूरी क्षमता को भी नहीं जानते, तो खुद को सुलाने के लिये समय ही कहाँ है? सद्गुरु बताते हैं, कि परमानन्द और पूरी तरह से नशे में होते हुए, पूरी तरह सजग रहने की संभावना भी मौजूद है - और वो भी बिना किसी पदार्थ का इस्तेमाल किए।
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