सद्गुरु हमें बता रहे हैं कि भारतीय संस्कृति में मुक्ति ही परम लक्ष्य है, और भगवान खुद हमें मुक्ति तक ले जाने वाले सोपान की तरह हैं। जानते हैं कि कैसे ये संस्कृति आध्यात्मिक प्रक्रियाओं का एक जटिल संगम थी, जहाँ हर किसी को अपना भगवान बनाने की आज़ादी थी।
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