एक महिला ने सद्गुरु से पूछा कि हमें बच्चों के मन में पवित्र विचार लाने और अपवित्र विचारों को रोकने की प्रक्रिया कब से शुरू करनी चाहिए? सद्गुरु पवित्र विचारों और अपवित्र विचारों की धारणा को खारिज करते हुए बताते हैं कि पवित्र विचार और अपवित्र विचार जैसी कोई चीज़ नहीं होती। वे कहते हैं कि पवित्रता और अपवित्रता का ये भेद एक बहुत बड़ी बीमारी है।
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