सद्गुरु बता रहे हैं कि कैसे मन खुद ही शरीर के भीतर जहरीला सूप तैयार कर सकता है। वे बताते हैं कि आजकल आधुनिक समाज बीमारियों को सहज प्रक्रिया मानता है जो कि एक बहुत बड़ी गलती है। एक इंसान बेहतरीन "सूप" तैयार करके खुशी के साथ अपना जीवन जी सकता है।
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