सद्गुरु बताते हैं कि योग में रीढ़ को ब्रह्माण्ड की धुरी माना जाता है, क्योंकि ब्रह्माण्ड की हर चीज़ का आपका अनुभव आपकी रीढ़ से संचालित होता है। अगर आप अपनी रीढ़ पर थोड़ी सी महारत हासिल कर लें, तो आपका इस चीज़ पर कण्ट्रोल हो जाता है, कि अपने लिए कैसा अनुभव तैयार करना है।
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