अन्ना विश्वविद्यालय, जिसमें कोलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, गिंडी(सी ई जी) शामिल है, भारत में 10 श्रेष्ठ इंजीनियरिंग कॉलेजों की सूचि में शामिल है। यहाँ के विख्यात विद्यार्थियों में भारत के महान वैज्ञानिक एवं पूर्व राष्ट्रपति डा. ए. पी. जे. अब्दुलकलाम शामिल हैं। अन्ना विश्वविद्यालय ने माइक्रो सेटेलाईट(अनु उपग्रह) ‘अनुसेट’ का भी निर्माण किया था, जो यहाँ के विद्यार्थियों ने बनाया था। अनुसेट भारत का पहला उपग्रह था जिसे भारतीय उपग्रह शोध संस्थान(आई. एस. आर. ओ.) ने नहीं, बल्कि किसी अन्य संस्था ने बनाया एवं चलाया।

अन्ना विश्वविद्यालय ने माइक्रो सेटेलाईट(अनु उपग्रह) ‘अनुसेट’ का भी निर्माण किया था, जो यहाँ के विद्यार्थियों ने बनाया था। अनुसेट भारत का पहला उपग्रह था जिसे भारतीय उपग्रह शोध संस्थान(आई. एस. आर. ओ.) ने नहीं, बल्कि किसी अन्य संस्था ने बनाया एवं चलाया।

कार्यक्रम के दिन, जब हम अन्ना विश्वविद्यालय परिसर के अन्दर पहुंचे तब हमने विद्यार्थियों के कई छोटे छोटे समूहों को बातचीत करते पाया जिनमें हल्के-हल्के ‘सद्‌गुरु’ शब्द सुनाई दे रहा था। जैसा कि किसी भी ईशा कार्यक्रम में होता है, स्वयंसेवक सुबह से इस स्थान पर मौजूद थे और पूरे जोश एवं गति से काम में जुटे थे। लेकिन एक अंतर था, ये स्वयंसेवक केवल ईशा स्वयंसेवक ही नहीं थे, बल्कि विद्यार्थी स्वयंसेवक भी थे। वे सब यह सुनिश्चित कर रहे थे कि कार्यक्रम के आयोजन के लिये सब कुछ ठीक से तैयार हो। निश्चित समय पर विद्यार्थी बड़ी संख्या में सभागृह में आ गये और जल्दी ही सभागृह पूरी तरह से भर गया।

अन्ना विश्वविद्यालय के विद्यार्थी स्वयंसेवकों ने ईशा स्वयंसेवकों के साथ मिलकर की तैयारियां

कार्यक्रम की एक महत्वपूर्ण बात ये थी कि अन्ना विश्वविद्यालय के विद्यार्थी स्वयंसेवकों ने ईशा स्वयंसेवकों के साथ कार्यक्रम के आयोजन की जिम्मेदारी उठाई। लोगों का अभिवादन करने से लेकर उन्हें सभागृह तक पहुँचने में मदद करने, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा करने और कार्यक्रम के पहले एवं बाद में उत्साहपूर्वक विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया जानने तक उनकी उर्जा जबरदस्त दिख रही थी। परिसर में होने वाले कार्यक्रम के बारे में जानकारी फैलाने के लिये उन्होंने सप्ताहांत में कई स्थानों पर छोटे छोटे नाटकों का आयोजन किया। इसके कारण मूल रूप से केवल सी. ई. जी. के लिये आयोजित होने वाला कार्यकम बड़ा हो गया तथा परिसर में स्थित अन्य तीन महाविद्यालयों, मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी, अलगप्पा कोलेज ऑफ़ टेक्नोलोजी एवं स्कूल ऑफ़ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग के विद्यार्थी भी इसमें शामिल हो गये।

कार्यक्रम का प्रारम्भ साउंड्स ऑफ़ ईशा के कदमों को थिरकाने वाले संगीत से हुआ जिसके बाद ईशा संस्कृति के विद्यार्थियों ने परंपरागत भरतनाट्यम नृत्य की चकाचौंध कर देने वाली प्रस्तुति पेश की।

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700 से अधिक प्रश्नों की सूचि

गायक कलाकार कार्तिक तथा उसके बैंड की अनपेक्षित लेकिन अदभुत संगीत पेशकश ने दर्शकों को आश्चर्यचकित एवं उत्साहित कर दिया. वे और भी दंग रह गए जब सद्‌गुरु ने कार्तिक के गीत की धुन पर नृत्य कर के सब को मंत्रमुग्ध कर दिया।

तब सद्‌गुरु के साथ सत्र आरम्भ हुआ। अपने मन में उठ रहे सैकड़ों सवालों को लेकर विद्यार्थी तैयार थे। हमें बाद में पता लगा कि प्रश्नों की अंतिम सूची बनाने के लिये विद्यार्थियों को 700 से अधिक अलग-अलग एवं अद्वितीय प्रश्नों से जूझना पड़ा था।

छात्रों को मिले हर तरह के प्रश्न के उत्तर

हरेक सवाल के साथ धीरे-धीरे कार्यक्रम गति पकड़ता गया और श्रोताओं ने हर प्रश्न पर ऐसे ख़ुशी ज़ाहिर की जैसे वह उनके ही दिमाग की प्रतिध्वनी हो। सद्‌गुरु पर बहुत प्रकार के प्रश्न बहुत बड़ी संख्या में दागे गये जो राजनीति, धर्म, ड्रग्स, लोगों के आपसी सम्बन्ध, शिक्षा, खेतीबाड़ी, बच्चों की परवरिश से लेकर पहली नज़र के प्रेम जैसे विषयों पर थे।

एक और प्रश्न के लिये विद्यार्थियों के अनुरोध करने पर जब सद्‌गुरु ने यह कहा कि “आपके प्रश्न ख़त्म हो जायेंगे पर मेरे उत्तर नहीं”, तब सभी लोग ठहाका मार कर हंस पड़े।

बाद में विद्यार्थियों ने साझा किया कि उन्होंने सोचा था सद्‌गुरु आध्यात्मिक प्रवचन देंगे, लेकिन सद्‌गुरु ने उन्हें अपने एकदम सीधे एवं गहन अंतर्दृष्टि से भरे तर्कशुद्ध जवाबों से पूरी तरह से जीत लिया। लोग उनसे बहुत प्रभावित हुए तथा सद्‌गुरु के उत्तरों से चकित भी रह गये। एक और प्रश्न के लिये विद्यार्थियों के अनुरोध करने पर जब सद्‌गुरु ने यह कहा कि “आपके प्रश्न ख़त्म हो जायेंगे पर मेरे उत्तर नहीं”, तब सभी लोग ठहाका मार कर हंस पड़े। कार्यक्रम की समाप्ति पर सभी छात्र मंत्रमुग्ध दिख रहे थे और उन सभी के चेहरे मुस्कान से खिले हुए थे।

घर लौटते समय विद्यार्थी ख़ुशी से चहक रहे थे तथा कार्यक्रम के बारे में उनका उत्साह वातावरण को चमत्कृत बना रहा था।

कार्यक्रम के बाद कुछ विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया:

“सद्‌गुरु एक जबरदस्त रूप से अदभुत व्यक्ति हैं!”

“ओह, मैंने ऐसा नही सोचा था कि वे या उनके जवाब इतने गज़ब के होंगे, मुझे तो लगा था कि वे कुछ आध्यात्मिक बोलेंगे”।

“उनके पहली नज़र में प्रेम तथा पीड़ा और समय से जुड़े प्रश्नों के उत्तर अदभुत थे।”

“वीडियो गेम खेलने या यू ट्यूब पर वीडियो देखने के बजाय हम अब अपना समय राष्ट्र हित में लगायेंगे”।

“यहाँ आने वाला हर व्यक्ति हॉल में आने से पहले जितना होशियार था, वो हॉल से जाते समय उससे ज्यादा होशियार है।”

“जब वे आये, तब सद्‌गुरु की जितनी उर्जा थी उतनी ही बाहर जाते समय भी थी, मेरी उम्र इतनी कम होते हुए भी मैं वैसा नही हूँ।”

“आप सभी ईशा स्वयंसेवकों से पुनः मिलने का अवसर हमें कब मिलेगा?”

संपादक का नोट : चाहे आप एक विवादास्पद प्रश्न से जूझ रहे हों, एक गलत माने जाने वाले विषय के बारे में परेशान महसूस कर रहे हों, या आपके भीतर ऐसा प्रश्न हो जिसका कोई भी जवाब देने को तैयार न हो, उस प्रश्न को पूछने का यही मौक़ा है! - unplugwithsadhguru.org
 

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