चीनी की जगह गुड़ अपनाने के फायदे
बाज़ार में मिलने वाली चीनी से जुड़ी बिमारियों के बारे हम अक्सर सुनते रहते हैं। क्या हैं चीनी से होने वाले नुक्सान और क्या हम चीनी की जगह गुड़ अपना सकते हैं? अगर हम गुड़ अपनाने का फैसला करते हैं तो किस तरह का गुड़ हमें अपनाना चाहिए?
बाज़ार में मिलने वाली चीनी से जुड़ी बिमारियों के बारे हम अक्सर सुनते रहते हैं। क्या हैं चीनी से होने वाले नुक्सान और क्या हम चीनी की जगह गुड़ अपना सकते हैं? अगर हम गुड़ अपनाने का फैसला करते हैं तो किस तरह का गुड़ हमें अपनाना चाहिए?
चीनी का सामान्य अर्थ टेबल शुगर है और इसका रासायनिक नाम सुक्रोज है। चीनी का उत्पादन सबसे पहले लगभग 500 ई.पू. में भारत में ही होने का सबूत मिलता है। शुरुआत में, चीनी को सीधे गन्ने से बनाकर अपरिष्कृत यानी कच्चे रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
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आज बाजार में उपलब्ध ज्यादातर चीनी अपने कच्चे प्रकार का रासायनिक तरीके से संशोधित रूप है। संयुक्त राज्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के मुताबिक, ऐसी परिशोधित चीनी से केवल कैलोरिज मिलती हैं क्योंकि परिष्करण की विधि से उसके लगभग सारे विटामिन और खनिज नष्ट हो जाते हैं, जिससे चीनी की पौष्टिकता जबर्दस्त रूप से कम हो जाती है।
शोध से पता चला है कि अधिक मात्रा में चीनी लेने से हानिकारक भोजन-संबंधी आदतें हो सकती हैं। चीनी खाने से बहुत से लोगों में और चीनी खाने की इच्छा होने लगती है जिससे बिंज ईटिंग (बीच-बीच में छुटपुट खाना) की आदत हो सकती है।
चीनी की जगह इसे आजमाएं
गुड़
चीनी का एक बढ़िया विकल्प गुड़ है। गुड़ चीनी का अशोधित, कच्चा प्रकार है, जिसे हमारे पूर्वज इस्तेमाल करते थे और जिसे देखकर नाचोस चकरा गया था। गुड़ को भारत और दक्षिण एशिया में बड़े पैमाने पर भोजन में मिठास लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें गन्ने के रस में मौजूद खनिज, पोषक तत्व और विटामिन बरकरार रहते हैं और प्राचीन भारत की चिकित्सा व्यवस्था - आयुर्वेद में सूखी खांसी का उपचार, पाचन बेहतर करने और बहुत सी अन्य बीमारियों के इलाज में उसका इस्तेमाल किया जाता है।
ध्यान रखें
गुड़ कह कर बेचे जाने वाले कुछ उत्पादों में सुपर-फॉस्फेट नामक एक रसायन होता है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होता है। सफेद, साफ-सुथरा दिखने वाला गुड़ सुपर-फॉस्फेट वाला गुड़ होता है, जिससे बचना चाहिए। बदसूरत सा, गहरे रंग का गुड़ आम तौर पर असली गुड़ होता है।