सद्‌गुरु को भोजन पकाने का कितना शौक़ है, यह तो सभी जानते हैं। सद्‌गुरु की जीवनी, “मोर दैन ए लाइफ” में, अरूंधति सुब्रमण्यम लिखती हैं, “जीवन के प्रति प्रेम उनका प्रेम अन्य पहलुओं से भी झलकता है। उन्हें जब भी समय मिलता है, वे कुछ पकाना पसंद करते हैं और इस ग्रह का सबसे शानदार दोसा बनाने का दावा करते हैं। उनकी बेटी इसकी गवाह रही है (और चेहरे पर चहकती हुई मुस्कान के साथ यह भी कहती हैं, “वे इस दुनिया के सबसे बेस्ट कुक हैं”।) अपने अनूठे तरीक़ों के लिए लोकप्रिय, बातूनी ब्रिटिश शेफ गोर्डोन रामसे जब ईशा योग केंद्र में आए, तो उन्होंने सद्‌गुरु की पाककला और आश्रम के भोजन की बहुत तारीफ़ की।

 

हालाँकि, सद्‌गुरु कहते हैं कि आजकल वे अपनी व्यस्तता की वजह से दोसा नहीं बना पाते।

सद्‌गुरु: एक समय था, जब मैं तक़रीबन हर रोज़ कुछ न कुछ पकाता ही था, ख़ास कर अपनी बेटी के लिए। जब भी वह मेरे साथ होती तो मैं उसके खाने के लिए कुछ तैयार करता। इन दिनों, सुबह के समय पर मेरा वश नहीं रहा और बहुत सारे दूसरे काम भी करने होते हैं। मैं अब भी कभी-कभी शाम को कुछ पकाता हूँ, पर वह भी बहुत कम ही संभव हो पाता है।