5 मिनट प्रेम के लिए
इस ब्लॉग में सद्गुरु हमें बता रहे हैं कि प्रेम कोई रिश्ता नहीं है, यह आपकी भावनाओं की मधुरता है। और इसी वजह से प्रेम में होने के लिए किसी की जरुरत नहीं है।
आप जिसे प्रेम कहते हैं, वह मूल रूप से आपकी भावना की मिठास है। आप कहीं बैठकर प्रेम को महसूस कर सकते हैं... आप किसी ऐसे व्यक्ति से प्रेम को महसूस कर सकते हैं, जो आपके पास है भी नहीं।
जब इंसान अपने प्रकृति के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूक हो जाता है, तो वह समझ जाता है कि प्रेम का अनुभव करने के लिए, आनंद का अनुभव करने के लिए, परमानंद का अनुभव करने के लिए, यहां तक कि जीवन के चरम सुखों का अनुभव करने के लिए भी आपको असल में किसी की जरूरत नहीं होती। आप सिर्फ कहीं एक जगह बैठकर अपने भीतर प्रेम पैदा कर सकते हैं, क्योंकि आखिरकार यह आपका शरीर है, यह आपका मन है, यह आपकी भावना है, यह आपकी केमिस्ट्री है और अपने जीवन के सभी अनुभवों को आप खुद ही पैदा करते हैं। लोग इस बारे में जागरूक नहीं होते कि आप खुद ही अपने जीवन के निर्माता हैं, आप ही अपने जीवन को जैसे चाहते हैं, वैसे चलाते हैं। अब भी ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि उनके अनुभव उनके आस-पास रहने वाले लोगों और हालात पर निर्भर होते हैं।
आजमाइए प्रेम पैदा करने का यह नुस्खा
प्रेम दो लोगों के बीच होने वाली किसी चीज का नाम नहीं है। उसे रिश्ता कहते हैं।
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एक सरल योग प्रेम के लिए
सावधान : डिप्रेशन प्रेम को कड़वा बना सकता है
जब भी चीजें आपके मन मुताबिक नहीं होतीं, तो आप उदासी या डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।
डिप्रेशन का मतलब है कि आप किस्तों में आत्महत्या कर रहे हैं। आप अपने जीवन में जितना अधिक तर्क को लागू करते हैं, आप उतने ही कम जीवंत होते जाते हैं। सिर्फ अपने जीवन के भौतिक पहलुओं के मामले में ही तर्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अगर आप अपने जीवन में ही तर्क को लागू करने लगेंगे, तो आप डिप्रेशन में आ जाएंगे। अगर आप उस हर चीज को अपने जीवन से हटा दें, जो आपके लिए कुछ मायने रखती है, मसलन आसमान में उड़ते पक्षी, आपके बगीचे के फूल, आपके बच्चे का चेहरा और तर्क से अपने जीवन की चीड़-फाड़ करने लगें, तो आपकी मंजिल डिप्रेशन ही होगी। यह अपने जीवन को फिर से व्यवस्थित करने का समय है। आपके जीवन की सबसे कीमती चीज खुद जीवन है। आप कहां रहते हैं, कौन सी गाड़ी चलाते हैं, कैसे कपड़े पहनते हैं, क्या खाते हैं – ये सब जीवन में सहायक चीजें होती हैं। आप अभी जीवित हैं। यही सबसे बड़ी चीज है। अभी आप जिंदा हैं, यह सबसे बड़ी घटना है। यह सबसे बड़ी खुशी है।
आपको साफ तौर पर समझना होगा। दुखी, उदास या बीमार रहने से कोई लाभ नहीं होता। खुश और आनंदित रहना काम आता है और अगर काम न भी आए तो क्या!