आइये गढ़ें अपनी एक नयी छवि
नए साल की शुरुआत ... हर जगह, हर तरफ कुछ नया करने का होड़ , लेकिन क्या जो भी नया है वो सार्थक है ? क्या करें कुछ ऐसा कि नया भी हो, सार्थक भी हो और बेमिसाल भी हो। तो आइए करते हैं कुछ नया, गढ़ते हैं कुछ नया। लेकिन क्या ? कुछ और नहीं, खुद की छवि को, जो हो पहले से अधिक मानवीय, अधिक निपुण, अधिक प्रेममय। लेकिन कैसे ? आइए जानते हैं
नए साल की शुरुआत ... हर जगह, हर तरफ कुछ नया करने का होड़ , लेकिन क्या जो भी नया है वो सार्थक है ? क्या करें कुछ ऐसा कि नया भी हो, सार्थक भी हो और बेमिसाल भी हो। तो आइए करते हैं कुछ नया, गढ़ते हैं कुछ नया। लेकिन क्या ? कुछ और नहीं, खुद की छवि को, जो हो पहले से अधिक मानवीय, अधिक निपुण, अधिक प्रेममय। लेकिन कैसे ? आइए जानते हैं :
सद्गुरु: हर इंसान, अपने जीवन में जाने-अनजाने अपनी एक खास छवि, एक खास शख्सियत बनाता है। अपने अंदर गढ़ी गई छवि का असलियत से कोई लेना-देना नहीं है। इसका आपके अस्तित्व, आपकी भीतरी प्रकृति से कोई संबंध नहीं है। यह एक खास छवि है, जो आपने खुद, बहुत हद तक अनजाने में, बनाई है। बहुत कम लोगों ने पूरी चेतनता में अपनी छवि बनाई है। बाकी लोग जिस तरह के बाहरी हालातों में फंसते हैं, उसके अनुसार अपनी छवि बना लेते हैं।
जो चीज़ें अपनी अंदरूनी प्रकृति की तरह नहीं हैं – अपना गुस्सा, अपनी सीमाएं - उन्हें हमें खत्म करने की जरूरत है। अपनी एक नई छवि बनाएं, जो सूक्ष्म हो मगर बहुत ही शक्तिशाली हो। अगले एक-दो दिन तक इसके बारे में सोचें और अपने लिए एक उपयुक्त छवि बनाएं, जो आपके विचारों और भावनाओं की मूलभूत प्रकृति होनी चाहिए। इससे पहले कि हम कोई छवि बनाएं, हमें यह देखना चाहिए कि हम अब जो छवि तैयार करना चाह्ते हैं, या कहें कि तैयार करने जा रहे हैं, क्या वह हमारी मौजूदा छवि से बेहतर है। ऐसे समय जब आप किसी भी वजह से शांत न हो सकें, पीठ पीछे टिकाकर आराम से बैठ जाएं। अब अपनी आंखें बंद करें और कल्पना करें कि दूसरे लोग आपके बारे में कैसा महसूस करें, आपको लेकर उनका अनुभव कैसा हो। एक बिल्कुल नया इंसान गढ़ें। उसे जितना संभव हो, उतनी बारीकी और विस्तार से देखें। देखें कि क्या यह नई छवि अधिक मानवीय, अधिक निपुण, अधिक प्रेममय है।
इस नई छवि की कल्पना आप जितने प्रभावशाली ढंग से कर सकते हैं, करें। उसे अपने अंदर जीवंत बना दें। अगर आपके विचार पर्याप्त शक्तिशाली हैं, अगर आपकी कल्पना पर्याप्त प्रभावशाली है, तो वह कर्म के बंधनों को भी तोड़ सकती है। आप जो बनना चाहते हैं, उसकी एक शक्तिशाली कल्पना करते हुए कर्म की सीमाओं को तोड़ा जा सकता है। यह विचार, भावना और कर्म की सभी सीमाओं से परे जाने का मौका है।
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