नए साल की शुरुआत ... हर जगह, हर तरफ कुछ नया करने का होड़ , लेकिन क्या जो भी नया है वो सार्थक है ? क्या करें कुछ ऐसा कि नया भी हो, सार्थक भी हो और बेमिसाल भी हो। तो आइए करते हैं कुछ नया, गढ़ते हैं कुछ नया। लेकिन क्या ? कुछ और नहीं, खुद की छवि को, जो हो पहले से अधिक मानवीय, अधिक निपुण, अधिक प्रेममय। लेकिन कैसे ? आइए जानते हैं