जीवन में 3 के अंक का क्या महत्व है?
हमें जीवन में कई जगह तीन का अंक दिख जाता है, चाहे वो इलेक्ट्रान प्रोटोन या न्यूट्रॉन हो या फिर ब्रह्मा, विष्णु और महेश। शंकर महादेवन जानना चाहते हैं कि इस 3 के अंक का क्या महत्व है।
शंकर महादेवन: सद्गुरु जी प्रणाम। आप जानते हैं, हम पिछले तेईस सालों से शंकर-एहसान-लॉय के रूप में संगीत बनाते रहे हैं। तीन का विचार मुझे हमेशा से आकर्षित करता रहा है। न्यूट्रॉन, प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन, ब्रह्मा, विष्णु, महेश जैसे तमाम पहलुओं में तीन अंक का संबंध दिखाई देता है और आप जानते हैं कि हम तीन मिलकर संगीत बना रहे हैं। तो, तीन का क्या महत्व है? तीन का महत्व और उसका प्रभाव क्या है।
सद्गुरु: शंकर, एहसान, लॉय की त्रिमूर्ति को नमस्कारम। यहां त्रिमूर्ति, त्रिनेत्र, त्रिशूल, त्रिकाल, होते हैं, ये सभी चीजें मानव जीवन के बुनियादी अनुभव से जुड़े विचारों का विकास है। सारा इंसानी अनुभव इन तीन चीजों में निहित है, हमारी याददाश्त अतीत से जुड़ी है, जिसे भूतकाल कहते हैं, हमारा अनुभव हमेशा वर्तमान में होता है, और हमारी कल्पनाएं तथा आकाक्षाएं हमेशा भविष्य की होती हैं। तो इंसान के जीवन का अनुभव मूल रूप से याददाश्त, अनुभव और कल्पना के बीच घटित होता है। इसके आधार पर इन तीन अनुभवों से पैदा होने वाले कई पहलुओं को हमारी संस्कृति में त्रिनेत्र, त्रिकाल, त्रिशूल और आप लोगों की त्रिमूर्ति में ठोस रूप दिया गया।
3 आयाम वर्तमान में ही हैं
तो एक बुनियादी बात को समझने की जरूरत है, कि ये तीनों आयाम वर्तमान में मौजूद हैं। यह सारा अतीत और भविष्य असल में अभी मौजूद है क्योंकि अभी ही आप याद कर सकते हैं, अभी ही आप कल्पना कर सकते हैं। दुनिया में, खास तौर पर अमेरिका में काफी उपदेश दिया जा रहा है... मगर मेरे ख्याल से यह भारत के पश्चिमी तट पर भी पहुंच चुका है। लोग बोल रहे हैं, ‘इस पल में रहो, इस पल में रहो।’ वे वर्तमान के पूजक हैं। मगर मैं समझ नहीं पाता कि कोई आपको इस पल में रहने के लिए क्यों कह रहा है क्योंकि आप कहीं और हो ही नहीं सकते। आप और कहां हो सकते हैं? तो हमारी जड़ें वैसे भी वर्तमान में हैं मगर हमारी यादें अतीत में, हमारी कल्पना और आकांक्षाएं भविष्य में हैं।
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अतीत और भविष्य से परेशान हैं लोग
तो जो लोग वर्तमान के पूजक हैं, वे लोग दरअसल आपसे यह कह रहे हैं कि आप सिर्फ इसी पल में रहें, अतीत के बारे में न सोचें, भविष्य के बारे में न सोचें। दिमाग को इस तरह विकसित करने, एक स्पष्ट याददाश्त और शानदार कल्पना के लिए इस स्तर की दिमागी क्षमता लाने में लाखों साल लगे हैं – लाखों सालों के विकास के बाद ऐसा हुआ। मगर आज कोई आपसे कह रहा है कि वह सब छोड़कर एक केंचुए की तरह हो जाओ। मुझे केंचुए से कोई परेशानी नहीं है, वह बहुत इकोफ्रेंडली जीव(पर्यावरण को मदद करने वाला जीव) है। मगर हमारी दिमागी क्षमता को इस स्तर तक लाने के लिए जो क्रमिक विकास(इवोल्युशन) हुआ है, उसे किसी मामूली सिद्धांत की वजह से नहीं छोड़ देना चाहिए।
लोगों के ऐसा कहने की वजह यह है कि लोगों के कष्ट के दो आधार सिर्फ यही हैं। लोग दस साल पहले हुई किसी चीज से परेशान होते हैं और परसों जो हो सकता है, उससे अभी से परेशान होने लगते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें जीवन से कोई परेशानी नहीं है, वे अपनी याददाश्त और अपनी कल्पना से परेशान हैं – यही वे दो सबसे शानदार क्षमताएं हैं, जो इंसान के पास हैं। स्पष्ट याददाश्त और शानदार कल्पना की ये दो क्षमताएं ही हमें हर दूसरे जीव से अलग करती हैं।
अतीत और भविष्य से मुक्ति पाने की जरुरत नहीं है
इसे वे छोड़ना चाहते हैं क्योंकि वे नहीं जानते कि अपने विचार और भावनाओं को कैसे संभालें। अगर आप खुशी-खुशी याद कर सकते हैं और बहुत ही उल्लास तथा उत्साह से चीजों की कल्पना कर सकते हैं, तो आप उसे छोड़ना क्यों चाहेंगे? बात बस यह है कि आपकी यादें और कल्पनाएं बाध्यकारी हो गई हैं(आप सोचने को मजबूर या विवश हो गये हैं) और वे आपके लिए दुनिया भर का दुख पैदा कर रही हैं। इसलिए लोग चर्चा करते हैं कि अतीत को कैसे भूलें, भविष्य के बारे में कैसे नहीं सोचें। इंसानी जीवन को चलाने का यह तरीका नहीं है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि ये सभी त्रिकाल, तीन आयाम, त्रिशूल, त्रिनेत्र हों, जीवन को देखने और अनुभव करने के ये तीन आयाम मौजूद रहें, और हमें खुशी है कि शंकर, एहसान और लॉय की त्रिमूर्ति भी यहां हैं। कृपया कुछ बढ़िया संगीत बनाएं और त्रिमूर्ति का जश्न मनाएं!
संपादक का नोट : चाहे आप एक विवादास्पद प्रश्न से जूझ रहे हों, एक गलत माने जाने वाले विषय के बारे में परेशान महसूस कर रहे हों, या आपके भीतर ऐसा प्रश्न हो जिसका कोई भी जवाब देने को तैयार न हो, उस प्रश्न को पूछने का यही मौक़ा है! - unplugwithsadhguru.org