क्या भगवान इंसान से प्रेम करते हैं?
दुनिया में कई जगह ये विचार मशहूर है कि भगवान हमसे प्रेम करते हैं। क्या ऐसा है? जानते हैं सद्गुरु से।
प्रेम के विषय के साथ बहुत सारे भाव जुड़े हैं और इसके बारे में बहुत सारी सुंदर काल्पनिक बातें कही गई हैं। लेकिन मैं आपसे प्रेम की तकनीक के बारे में बात करना चाहूँगा।
भगवान के प्रेम के बारे में हमें नहीं पता
मिसाल के लिए, लोग कहते हैं, ‘भगवान आपसे प्रेम करते हैं।’ लेकिन क्या वास्तव में कोई जानता है कि भगवान प्रेम करते हैं या नहीं? देखिए प्रेम एक मानवीय भाव है। मनुष्य अगर इच्छुक हो, तो प्रेम कर सकता है। परंतु दुर्भाग्यवश, हम अपने जीवन की हर सुंदर चीज़ को स्वर्ग भेज देते हैं और इस ग्रह पर निर्दयतापूर्वक रहते हैं। प्रेम, आनंद व परमानंद आदि मानवीय संभावनाएँ हैं। तो आइए हम दैवीय प्रेम की बात नहीं, इंसानी प्रेम की बात करते हैं।
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जीवन के चार पहलूओं में होते हैं सुखद अनुभव
आम तौर पर, जब हारमोन आपकी समझ पर क़ब्ज़ा कर लेते हैं, तो लोगों को लगता है कि उन्हें प्रेम हो गया है – यह एक पहलू है। जब आप कहते हैं, ‘मैं’, ‘मेरा’, तो आप किसकी ओर संकेत कर रहे हैं? एक तो आपका भौतिक शरीर है, दूसरा आपका मन है – जिससे आप सोचते हैं, तीसरी चीज़ आपके भाव हैं। एक है ऊर्जा, जो इन तीनों को संचालित करती है - इन सबको मिलाकर ही आप ‘मैं’ कह रहे हैं। जब यही ‘मैं’ अलग-अलग स्तरों पर सुखद लगता है तो हम इसे अलग-अलग नामों से बुलाते हैं। अगर आपके भाव बहुत सुखद होते हैं तो हम इसे प्रेम कहते हैं।
भावनाएं सबसे मजबूत पहलू है
प्रेम जीवन का केवल एक पक्ष या पहलू है। हमने इसे इतना अधिक महत्व इसलिए दे दिया है क्योंकि लंबे समय से अधिकतर लोगों के लिए भावनाएँ ही उनके जीवन का सबसे मजबूत पहलू रही हैं। यहाँ तक कि आज भी लोग ख़ुद को बुद्धि-जीवी मानते तो हैं, फिर भी भाव उनके लिए सबसे मजबूत पहलू हैं - उनकी बुद्धि, शरीर या ऊर्जा मजबूत नहीं है। तो इसे सुखद बनाना बहुत महत्व रखता है।
अगर आप बहुत प्रसन्न अनुभव कर रहे हैं तो अचानक आप एक फूल की तरह हो जाते हैं। जब कोई प्रेम में होता है, तब आप उसका चेहरा देखें, वह आपको एक फूल जैसा दिखेगा क्योंकि वह भीतर से बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं। आप जिसके प्रेम में हैं, उसे पता हो या न हो, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। आप प्रेम में हैं, यही सबसे बड़ी बात है। यह आपका भाव है। ये आपके होने का तरीका है।
अपनी भीतरी स्थिति खुद तय करें
प्रेम कोई ऐसी चीज नहीं, जिसे आपको करना है। प्रेम आपके होने का एक तरीक़ा है। या तो आप किसी का सहारा ले कर ख़ुद को प्रेमी बना सकते हैं या आप ख़ुद ही प्रेमी हो सकते हैं। जो भी हो, यह किसी दूसरे की विशेषता नहीं, यह आपकी विशेषता है। आप दूसरे व्यक्ति की मदद ले रहे हैं इसे अपने भीतर खोलने के लिए। लेकिन आप इसे दूसरे व्यक्ति की मदद के बिना भी अपने भीतर इसे ख़ुद ही खोल सकते हैं। तब यह निश्चित तौर पर लंबे समय तक बना रहने वाला होगा। क्योंकि अगर आप इसे पाने के लिए किसी दूसरे के सहारे रहेंगे तो इस ग्रह पर सौ प्रतिशत भरोसेमंद कोई नहीं है।
अगर आप किसी से प्रेम, आनंद या मन की प्रसन्नता हासिल करना चाह रहे हैं तो यह दोनों के लिए विनाशक हो सकता है। मैं नहीं कहता कि अकेले रहना बेहतर होता है। मैं कह रहा हूँ कि आप जो हैं, उसे आपको ही तय करना चाहिए। अगर ऐसा है और आप लोगों के साथ अपना प्रेम बाँटने को तैयार हैं, या कहें कि अगर आप अद्भुत महसूस कर रहे हैं, और इसे किसी के साथ बाँटना चाहते हैं - तो यह बहुत सुंदर बात होगी।