चीन को असली योग की आवश्यकता क्यों है?
एक चीनी साधक के प्रश्न के उत्तर में, सदगुरु यहाँ समझा रहे हैं कि योग को उसके सच्चे अर्थ में अपनाने के लिये चीन के पास यही सबसे अच्छा समय है।
लेख: जुलाई 18, 2019
.......और अब योग
सदगुरु: कई बार, जैसे ही लोग अपनी धन-संपत्ति खो बैठते हैं, वे सोचते हैं कि उनका जीवन समाप्त हो गया है, और वे स्वयं तक को मार डालने के लिए तैयार हो जाते हैं, है कि नहीं? पर, नहीं, अगर आप का धन चला गया है तो योग के लिये यही समय है!Subscribe
यही कारण है कि जीवन पर एक जबर्दस्त, अनूठे दस्तावेज 'योग -सूत्र' का आरंभ, उसके रचयिता पतंजलि ने, आधे वाक्य से किया है, ...और अब योग! अगर आप अभी भी यही सोचते हैं कि विवाहित होने से या अविवाहित रहने से आपका जीवन अपना उद्देश्य प्राप्त कर लेगा तो आपके लिए अभी योग का समय नहीं आया है। यदि आपको विश्वास है कि कुछ धन-संपत्ति पाने से आपका जीवन सही हो जाएगा, तो भी यह योग का समय नहीं है। आपको अगर यह लगता है कि एक नया मकान बनाने से या नयी गाड़ी खरीदने से आपके जीवन का उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा, तब भी यह समय योग का नहीं है। हाँ, यदि आप जान जाते हैं कि ये सब चीजें हमारे जीवन में सुविधाएं तो लाएंगी पर हमारे अंदर किसी भी प्रकार का रूपांतरण नहीं लाएंगी - अगर आप ये एक बात समझते हैं तो - अब योग का समय है!
तो अब, चीन का समय आ गया है - "और अब योग!" चाहे कुछ भी कहा जाए पर चीन एकमात्र देश है जिसने अपने 200 करोड़ लोगों को, दो पीढ़ियों में, लगभग 50 वर्ष के समय में, घनघोर गरीबी से निकालकर खुशहाली के अच्छे स्तरों पर ला दिया है। किसी अन्य देश में ऐसा नहीं हुआ। भारत अभी सिर्फ इस सीमा पर ही है। जो काम चीन ने बहुत ज्यादा बलपूर्वक किया, भारत वह लोकतांत्रिक तरीके से कर सकता है - पर हम अभी भी सीमा पर बैठे हैं - हमें अभी भी कुछ दूर चलना है।
हम बहुत सारी चीजों पर राय व्यक्त सकते हैं, बड़े बड़े भाषण दे सकते हैं - बोलने की स्वतंत्रता, योग करने की स्वतंत्रता, मेरे अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने की स्वतंत्रता वगैरह। पर हमें यह समझना चाहिए कि चीनी लोगों की वर्तमान खुशहाली का कारण है कि इसे बलपूर्वक, जबरदस्ती कराया गया है। तो क्या रहने का अभी भी यही तरीका है? वे जब असहाय गरीबी में थे, तो आगे बढ़ने का यही तरीका था - सही या गलत - वही उनके लिए एक समाधान बना। हमें इसकी प्रशंसा करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा हुआ है। बलपूर्वक कुछ चीजें करने की अपेक्षा लोगों की एक पूरी पीढ़ी को खराब गरीबी की अवस्था में रखना ज्यादा बड़ा अपराध है। बलपूर्वक की जाने वाली चीजें निर्दयी होती हैं, वे पीड़ा और दुःख देती हैं, कई बार लोगों की जान भी ले लेती हैं। पर लोगों की एक पूरी पीढ़ी को भयंकर गरीबी में रखना एक ज्यादा बड़ा अपराध है - क्योंकि मानवीय संभावनाएं समाप्त कर देना और लोगों को बस किसी तरह से जीवित रखना ये कोई समाधान, कोई हल नहीं है।
योग लोगों के लिए अफीम जैसा नहीं है
चीन के लिए, अब योग का समय आ गया है। शरीर को तोड़ने-मरोड़ने वाला योग नहीं, पर असली योग! योग का अर्थ है - अपनी निजी सीमाओं को मिटा देना। चीन जैसा देश इसलिए विकसित हुआ क्योंकि उन लोगों में यह भावना मजबूत है, "यही वो चीज है, जो हम करेंगे" - राष्ट्र की ओर एक दृढतापूर्ण दृष्टिकोण! अब, जब कि उन उद्देश्यों को प्राप्त कर लिया गया है, तो अब उन चीजों को धीरे-धीरे हटाने का काम होना चाहिए। मुझे लगता है कि वे ऐसा कर रहे हैं पर फिर भी यह इतना तेज नहीं है कि इसका लाभ वर्तमान पीढ़ी को मिले। इसे होना चाहिए पर विरोध प्रदर्शनों अथवा राष्ट्र के लिए बनाई गई स्थिरता की भावना को धमकी देकर नहीं। उसको धमकी देकर, खतरे में डालकर आप कहीं नहीं पहुँच सकते।
भूतकाल के धर्मों को अफीम की तरह बताया गया था - क्योंकि वास्तव में वे वैसे ही थे ! वे लोगों को सुला रहे थे। आध्यात्मिक प्रक्रिया की खोज, योग, पुराने काल की अफीम की तरह काम नहीं करेगा, जो लोगों को नींद में रखने का काम करता था, पर यह एक स्फूर्तिदायक, मजबूत बनाने वाली शक्ति के रूप में काम करेगा - यह समझ उन लोगों में लानी होगी जो उस देश का शासन चला रहे हैं। योग को आगे बढ़ाने का यही तरीका है।
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