मृत्यु पर सद्गुरु के 21 कोट्स
संसार के ज्यादातर समाजों में मृत्यु शब्द को अच्छा नहीं माना जाता और इसके बारे में बोलने पर भी मनाही है। पर ये भी तो हो सकता है कि हमने इसे बिल्कुल ही गलत समझा हो? क्या होगा अगर हम मृत्यु को त्रासदी ना मान कर जीवन का एक ज़रूरी भाग समझें, जीवन से परे, मुक्ति की आध्यात्मिक संभावनाओं से भरपूर।
ArticleJun 6, 2021
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अपनी हर साँस के साथ आप अपनी कब्र के और पास चले जाते हैं। पर अपनी हर साँस के साथ आप अपनी मुक्ति के पास भी जा सकते हैं।
वे लोग जिन्होंने एक दूसरे को वास्तव में बहुत प्यार किया है, सिर्फ वही लोग अपने प्रिय व्यक्ति की मौत को शालीनता से संभालते हैं।
समय पर होने वाली मौत कोई आपदा नहीं है। बहुत सारे जन्म होना वास्तव में आपदा है।
जब आप इस बारे में लगातार जागरूक रहते हैं कि आप मरने वाले हैं, तो आपकी आध्यात्मिक खोज डगमगाती नहीं है।
जैसा जीवन होता है, वैसे ही मृत्यु होती है। इस बारे में आपकी जागरूकता आपको अपना जीवन पूरी तरह से और पूरी तीव्रता से जीने देती है।
जिसने अपना जीवन पूरी तरह से जिया हो, सिर्फ वही शालीनता के साथ मर सकता है।
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ज्यादातर लोगों के लिये जीवन और जीवन के अनुभव अलग-अलग होते हैं। पर मौत निष्पक्ष होती है, सबके लिए समान। मृत्यु की निष्पक्षता ही लोगों को जगाती है।
मृत्यु सबसे ज्यादा विश्राम की स्थिति है। जीवन को जारी रखने के लिये एक खास तनाव चाहिये।
अगर आप ये समझ लें कि आपका जीवन कितना क्षणभंगुर है, और किसी भी पल में उलट- पलट हो सकता है, तो आप इस धरती पर बहुत ध्यान से रहेंगे।
लोगों को मौत का इतना डर होता है, इसका कारण यही है कि वे इस शरीर से आगे कुछ जानते ही नहीं।
मनुष्य को पूरा होने के लिये, जीवन की गतिशीलता और मृत्यु की स्थिरता बहुत ज़रूरी है। मृत्यु को जीना ये अस्तित्व का स्वभाव है।
अगर आप ये लगातार याद रखते हैं कि आप मरने वाले हैं, तो आप इस धरती पर कोमलता और समझदारी के साथ चलेंगे।
जन्म और मृत्यु तो बस मार्ग हैं, जीवन के नहीं समय के।
मौत एक ब्रह्मांडीय मजाक है। अगर आप इस मजाक को समझ लें, तो जीवन के दूसरी तरफ गिरना बहुत अद्भुत होगा।
जीवन एक लगातार चलने वाली अनिश्चितता है। मौत ही एकमात्र निश्चितता है।
सिर्फ वही मनुष्य पूरी तरह से जी सकता है, जो मरने के लिये तैयार है।
जो जागरूक नहीं है, उसके लिये मौत एक काल्पनिक कहानी ही है। यहाँ तो जीवन है, बस जीवन है और सिर्फ जीवन ही है, जो एक आयाम से दूसरे आयाम की ओर चलता रहता है।
अगर आप इस बारे में जागरूक हैं कि आप मरने वाले हैं, तो आप सिर्फ वही करेंगे जो आपके और आसपास के हर किसी के लिये बहुत ज़रूरी होगा, और कुछ भी नहीं।
हम जैसे जन्म का उत्सव मनाते हैं, वैसे ही अगर मौत का उत्सव नहीं मना सकते तो हम जीवन को नहीं जान पायेंगे।
मृत्यु वह चीज़ है जो हमारे जीवन में सिर्फ एक बार होती है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इसे अच्छी तरह से होने दें।
जिस तरह जीवित लोगों के लिये हमारी जिम्मेदारी होती है, वैसे ही मरे हुए लोगों के लिये भी हमारी जिम्मेदारी होती है। मृत्यु के बाद एक सीमित समय के लिये, मरे हुए व्यक्ति पर प्रभाव डालने के लिये हमारे पास अवसर होता है।
संपादकीय टिप्पणी: "डेथ: एन इनसाइड स्टोरी" ऐमेज़ॉन पर खरीदने के लिये यहाँ क्लिक करें। जब से ये किताब जारी हुई है, तब से ऐमेज़ॉन पर सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों की सूची में है।