जिंदगी के एक खास पहलू को खूबसूरत बनाने के लिए देवी यंत्र को तैयार किया जाता है। यह एक बहुत ही शक्तिशाली यंत्र है। अपनी अपार शक्ति से यह यंत्र हमारे घर के माहौल को यों रूपांतरित कर देता है कि हमारी जिंदगी सहज व खुशहाल हो जाती है।  सद्‌गुरु 

प्राचीन काल की संस्कृतियां हमेशा ऐसे स्थानों के इर्द-गिर्द ही फली-फूली हैं जो या तो शक्तिशाली ऊर्जा वाले क्षेत्र हैं या फिर जिनकी आध्यात्मिक अहमियत बहुत ज्यादा है। किसी इंसान की अंदरूनी विकास में मदद करने की नजर से इन संस्कृतियों में जिंदगी के हर पहलू को बड़ी बारीकी से जाना-समझा गया है। इन शुरुआती सभ्यताओं के के लिए किसी मंदिर या पवित्र स्थान का बड़ा महत्‍व था। किसी पवित्र स्थान में रहने से इंसान का कुशल-मंगल होता है और उसकी जिंदगी के कई पहलुओं को फायदा पहुंचता है।

जीवन की ऊर्जाओं के उपयोग से इंसान की खुशहाली बढ़ाने और उसकी जिंदगी के तमाम पहलुओं को फायदा पहुंचाने की प्रक्रिया को ही प्राण-प्रतिष्ठा कहा जाता है। इस प्रक्रिया के द्वारा किसी पदार्थ का बहुत ही सूक्ष्‍म रूप से ऊर्जाकरण किया जाता है तकि वह अपने चरम कंपन में सबके लिए उपलब्‍ध हो। यह किसी पत्थर, किसी स्‍थान, या किसी इंसान के शरीर को रूपांतरित करने का विज्ञान है। किसी पवित्र स्थान में रहने का लाभ पाने का एक अच्छा जरिया है कि आप उस स्‍थान में एक ऐसे यंत्र को रखें, जिसकी प्राण-प्रतिष्‍ठा की गई हो।

 यंत्र क्या है?

यंत्र एक आकृति है, मंत्र एक ध्वनि है। आधुनिक विज्ञान कहता है कि हर आकृति के साथ  एक ध्वनि जुड़ा हुआ है और हर ध्वनि के साथ एक आकृति। यंत्र-मंत्र के उपयोग के विज्ञान को तंत्र कहा जाता है। तंत्र विज्ञान के इस्तेमाल से तरह-तरह के यंत्र बनाये जाते हैं, जिनसे अलग-अलग प्रकार के फायदे पहुंचते हैं।

यंत्र को एक मशीन भी कहा जा सकता है। मशीन में लगी हर आकृति यानी कल-पुर्जे का इंसान के लिए एक खास मकसद होता है। मशीन का इंसानी काम-काज में तेजी लाने और उसको आसान बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अपार सूक्ष्म ऊर्जा वाले ये यंत्र हमारे घर के माहौल को यों रूपांतरित कर देते हैं कि हमारी जिंदगी सहज व खुशहाल हो जाती है।

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सिद्ध व्यक्ति इस प्रकार के विज्ञान का इस्तेमाल हमेशा से करते आये हैं। जीवन के बारे में उनकी अवधारणा और उनका ज्ञान गहरी अंतर्दृष्टि और जागृति से उपजा था। उन्होंने ऐसे यंत्रों की संकल्पना कर के उनको इस तरह से रचा और ऊर्जावान किया कि यह लोगों के कुशल-मंगल और उनके परम कल्‍याण का जरिया बन गया।

सद्‌गुरु एक योगी, दिव्यदर्शी और बुद्धपुरुष हैं। सद्गुरु ने विभिन्न लिंग भैरवी यंत्रों की प्रतिष्‍ठा की है। इनमें से कुछ प्राचीन रस-वैद्य विज्ञान के आधार पर ठोस किये गये पारे के  उपयोग से बने हैं– जैसे कि पेंडैंट, जिनको लोग गले में पहन सकते हैं या अपनी गाड़ी में रख सकते हैं। कई ऐसे यंत्र हैं जिनको लोग अपने घर, दफ्तर या व्यापार-व्यवसाय के स्थान में रख सकते हैं। ये हर तरह की प्रतिकूल ऊर्जा से सुरक्षा देंगे, साथ ही भौतिक समृद्धि और सेहत को बढ़ाते हैं ।

 लोगों ने अपना अनुभव साझा किया

पहले मुझे चिंता, व्यग्रता, डर और गुस्सा जैसी कमजोरियां घेरे रहती थी, पर जिस दिन से हमने सद्गुरु से लिंग भैरवी यंत्र प्राप्त किया है, उस दिन से वह सब खत्म हो गईं और उसकी जगह अब मेरे भीतर धैर्य, स्थिरता और शांति आ गई है। अब देवी का वास हमारे घर में है और हमारा घर जबरदस्त ऊर्जा व खुशी से भर उठा है। इस चीज को हमारे घर पर आने वाले ऐसे लोगों ने भी महसूस किया है, जो देवी के बारे में कुछ भी नहीं जानते।

--जेडी घोषव्यवसायीएसेक्सयू.के.

जब से हमें यह यंत्र मिला है, तब से सेहत, भावनात्मक स्थिरता, भौतिक व आध्यात्मिक विकास जैसे हर स्तर पर हमारा फायदा और कल्याण हुआ है। यह यंत्र चमत्‍कारिक ढंग से काम करता है, जैसे जैसे देवी के प्रति आपकी भक्ति बढ़ती है, यह आपकी जिंदगी को और खूबसूरत बनाता जाता है।

--पूर्णिमा राठौड़निदेशकएंडोस्कोपी एशियामुंबई

 

 सद्‌गुरु इन यंत्रों की प्रतिष्ठा करते हैं। आप अपना लिंग भैरवी या लिंग भैरवी अविघ्न यंत्र ईशा योगा केंद्र में 21 दिसंबर 2014 को अमावस्या की रात में आयोजित एक विशेष समारोह में सद्‌गुरु से पा सकते हैं।

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यंत्र के बारे में अधिक जानकारी पाने और इसे प्राप्त करने के लिए कृपया हमसे संपर्क करें:
+91-9489045131 / 04222515627
yantra@lingabhairavi.org