फलों से भरे पेड़ पर पत्थर तो पड़ेंगे
एक कहावत कही जाती है कि फल देने वाले वृक्षों को पत्थर खाने ही पड़ते हैं। तो क्या पत्थरों के डर से हमें फल देना बंद कर देना चाहिए?
प्रश्नः सद्गुरु, एक कहावत है कि फल देने वाले वृक्षों को पत्थर खाने ही पड़ते हैं...
सद्गुरु: ओह, मैं इस बात को दूसरों से कहीं बेहतर जानता हूँ। वे लगातार पत्थर मारते रहेंगे। अगर किसी को पत्थर उठा कर आप पर फेंकना है तो उसे काफी मेहनत करनी पड़ती है। वे आप पर पत्थर फेंक रहे हैं क्योंकि आपकी कुछ कीमत है। आप एक कीमती लक्ष्य हैं। जिसका कोई मोल न हो, उस पर कौन पत्थर फेंकेगा? अनजाने में, अवचेतन रूप से, लोग जानते हैं कि वह फल मूल्यवान है। तो हम पर भी काफी़े पत्थर फेंके गए हैं। पर पिछले वर्षों के दौरान, ये लोग कुछ बदल गए हैं। वे अब वृक्ष के नीचे खड़े प्रतीक्षा कर रहे हैं कि फल अपने-आप ही उनके मुंह में आ गिरेगा। हमेशा से ऐसा ही होता आया है।
कोई हम पर पत्थर फेंकेगा, क्या यही सोच कर हम फल देना बंद कर देंं ? यह तो एक त्रासदी होगी। अगर आप पर लोग पत्थर फेंक रहे हैं, तो इसमें कोई हर्ज़ नहीं है। पत्थर खाने से अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि आप फलदार हैं। फल पैदा करना ही आपके जीवन को अर्थपूर्ण और लाभप्रद बनाता है। पत्थर हों या न हों, कोई फर्क नहीं पड़ता। वे केवल पत्थर फेंकेंगे, लेकिन वे आपको कभी काटेंगे नहीं क्योंकि वे फल खाना चाहते हैं। कोई भी ऐसा व्यक्ति जो फल के मूल्य को जनता है, जिसने इसकी मिठास को चखा है, वो आप के ऊपर पत्थर फेंकेगा, पर वो कभी आपको काटने के बारे में नहीं सोचेगा। अगर आप पर कोई फल नहीं होता तो वे आपको काट कर अपना फर्नीचर बना चुके होते। बेहतर होगा कि उन्हें पत्थर फेंकने और फल खाने दें।
देखिए पेड़ पर जब फल और फूल लगते हैं, तो आपकी ओर केवल पत्थर ही नहीं आते, मधुमक्खियाँ आएँगी, पक्षी आएँगे, पशु व अन्य लोग आएँगे। यदि आप पर फल लगा है और दूसरे उसे नहीं चखते, तो उसका लाभ ही क्या है! मान लेते हैं कि एक आम का पेड़ है। छोटे बच्चे वहाँ पत्थर ढूंढते हुए पहुंचे। अगर पत्थर ढूंढते हुए उन्हें धरती पर आम गिरे मिलें तो वे उन्हें उठा कर खा लेंगे। अगर उनके पेट भरे होंगे तो वे पत्थर नहीं मारेंगे। इससे पहले कि वे पत्थर मारें, अगर आप अपनी मर्जी से फल नीचे गिराने लगें, तो उनकी ओर से पत्थर मारने का सिलसिला घट जाएगा क्योंकि हर कोई फल पाने की प्रतीक्षा में है।
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