जीवन काे उत्तम ढंग से जीने का सूूूत्र
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु हमें बता रहे हैं कि लक्ष्य बनाकर हम सिर्फ भौतिक स्तर पर कुछ पा सकते हैं, लेकिन जीवन तभी पोषित होगा जब हम हर चीज़ में खुद को झोंक देंगे।
अपने जीवन को जीने के दो तरीके हैं। एक तरीका है, लक्ष्य तय करते हुए उन्हें हासिल करने के प्रयास करना। आप किस तरह के लक्ष्य तय करेंगे? दुनिया में कुछ ऐसा जिससे आप प्रभावित हैं, कुछ ऐसा जो आपने अभी तक नहीं किया है, कुछ ऐसा जो अभी तक आपके जीवन में नहीं है।
चीज़ें हासिल करने से भीतरी जीवन पर फर्क नहीं पड़ेगा
जो आर्थिक या भौतिक चीजें आप हासिल करना चाहते हैं, अगर वह आपके लिए मायने रखती हैं, तो आप ऐसे लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं। निजी तौर पर मुझे वैसा करना भी जीवन की बर्बादी लगती है। मान लीजिए आपके पास दस लाख डॉलर हैं और आपका लक्ष्य साल के अंत तक एक अरब डॉलर कमाना है। अगर ऐसा नहीं हो पाता, तो यह एक अच्छी चीज है क्योंकि आपने उस उम्मीद में जीवन जिया। लेकिन अगर मान लीजिए जनवरी में ही ऐसा हो जाता है, फिर आप क्या करेंगे? आप उसे दस अरब डॉलर करना चाहेंगे। एक समय ऐसा था जब आप एक डॉलर से ही खुश हो जाते। अब उसी खुशी के लिए, आपको दस लाख डॉलर की जरूरत है। इसे इंफ्लेशन या मुद्रास्फीति कहते हैं। यह जीवन की बेहतरी नहीं है। आप जीवन में सिर्फ इंफ्लेशन लाने का काम करते हैं। इंफ्लेशन न तो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है, न आपके जीवन के लिए। भौतिकी में इंफ्लेशन का मतलब है, किसी चीज को फुलाना, जैसे आप कार के टायर में हवा भरते हैं। मगर अर्थशास्त्र में इंफ्लेशन का अर्थ है कि कुछ पैरामीटर नियंत्रण से बाहर चले जाते हैं। अब आप जानबूझकर अपने जीवन में इंफ्लेशन ला रहे हैं – यह जीवन जीने का कोई बुद्धिमानी भरा तरीका नहीं है। अपने लिए समयबद्ध लक्ष्य तय करते हुए आप कुछ चीजें भले ही हासिल कर लें, मगर आपके अंदर मौजूद जीवन पर उसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
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एक सरल लक्ष्य – क्या आज का दिन ज्यादा आनंदमय है?
पूरे साल के लिए लक्ष्य तय करने की जगह, सिर्फ यह एक चीज तय कीजिए: आज दिन के अंत तक, आपको थोड़ा और आनंदित, थोड़ा और बेहतर होना है।
संग्रह की हुई चीज़ें साथ नहीं जाएंगी
उन दिनों, वे हड्डियां, पंख जैसी चीजें इकट्ठा करते थे। अब शायद आप स्टॉक, शेयर और प्रॉपर्टी के बारे में सोचते हैं। शायद आप दूसरे देश को जीतने के बारे में सोचते हैं।
जीवन में कुछ बिलकुल नया होने की संभावना बनाएं
जीवन के किसी भी क्षेत्र में लक्ष्य तय करना अर्च्छी बात नहीं है, क्योंकि तब आप कुछ ऐसा ही कर रहे होंगे जो आप पहले से जानते हैं। आपके जीवन में बिल्कुल नया कुछ नहीं होगा। मेरे ख्याल से यह एक दुर्भाग्य है। आपके सपनों का सच होना कोई अच्छी बात नहीं है। अगर कुछ ऐसा, जिसका सपना भी देखने का साहस आपमें न हो, वह हकीकत बन जाए, तो वह एक शानदार जीवन है। नतीजे इस पर निर्भर करते हैं कि आप जीवन की प्रक्रिया को कितनी अच्छी तरह संभालते हैं, और साथ ही समय तथा स्थान भी महत्वपूर्ण होते हैं। आज आप एक निश्चित मात्रा में कोशिश करके दस लाख डॉलर कमा सकते हैं। हजार साल पहले आपसे दस गुना स्मार्ट व्यक्ति ने बहुत कोशिश करके भी छोटी रकम कमाई होगी। मगर यह तुलना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि वह जिस समय काल में मौजूद था, उसने उस हिसाब से सबसे बेहतरीन हासिल किया। आप अपने समय के हिसाब से क्या सबसे बेहतर हासिल कर रहे हैं? सवाल यह है।
बेहतरीन प्रयासों की कमी होने पर लक्ष्य तय किए जाते हैं
मैं जानता हूं कि हर मैनेजमेंट स्कूल लक्ष्य तय करने की बात करता है। मगर लक्ष्य अपने लिए तय नहीं किए जाते – वे दूसरे लोगों को प्रेरित करने के लिए तय किए जाते हैं। बहुत से लोग हैं, जो कभी अपना बेहतरीन प्रयास नहीं करेंगे – वे हमेशा औसत से कम होते हैं। वे चेतन होकर यह नहीं समझ पाते कि एक इंसान के तौर पर आपको अपने जीवन में यथासंभव बेहतरीन करना चाहिए। वरना आपका जीवन व्यर्थ है। ऐसे लोगों के लिए आपको लक्ष्य तय करना पड़ता है। अगर आप एक गधे हैं, तो जितना कम करेंगे, उतने स्मार्ट होंगे क्योंकि खाने, प्रजनन करने, सोने, इधर-उधर घूमने और एक दिन मर जाने से परे आपके लिए कोई और संभावनाएं नहीं हैं। बहुत से लोगों ने गधे वाला यह दर्शन अपना लिया है। वे सोचते हैं कि अगर वे कम काम करके अधिक पाते हैं, तो उनका जीवन खुशहाल है। वास्तव में वे मूर्ख हैं। वे जीवन की पूरी संभावना को खो दे रहे हैं।
कुछ प्राप्त करके नहीं, सिर्फ भागीदारी से घटित होता है जीवन
मानव जीवन वास्तव में तभी घटित होता है, अगर आप खुद को हर चीज में झोंक दें। अगर आप हिचकते हैं, तो आप जीवन से चूक जाएंगे। अगर आप जो कर रहे हैं, उसमें खुद को पूरी तरह समर्पित नहीं करते, तो आप किसी और को नहीं छल रहे, आप खुद को जीवन से छल रहे हैं। एक बार, शंकरन पिल्लै पर बुरा समय आया। वह एक मजदूर था जो रोजी-रोटी कमाने के लिए छोटे-मोटे काम करता था। उसे पच्चीस ईंटे ढोकर तीन मंजिल तक पहुंचाना, वहां उन्हें रखकर फिर वापस आना था, इस तरह यह काम जारी रहता था। कुछ समय बाद फोरमैन के चले जाने के बाद भी शंकरन पिल्लै वही पच्चीसईंटे ऊपर ले जाता और वापस ले आता। जो लोग उसके साथ काम कर रहे थे, उन्होंने यह देखा तो कहा, ‘अरे, तुम ईंट वापस क्यों ला रहे हो?’ ‘फोरमैन देख नहीं रहा है, है न?’ ‘मगर अब तुम दोनों ओर से ईंट ढो रहे हो, मूर्ख। वरना, कम से कम आते समय तो तुम्हें बोझ नहीं ढोना पड़ता।’ अगर आप कम करने की कोशिश करते हैं, तो यही होता है – सरल चीजें आपके जीवन में बोझिल हो जाएंगी। लोगों को सिर्फ ऑफिस जाने और नौ से पांच बजे तक काम करने में इतनी परेशानी हो रही है। वे कंपनी नहीं संभाल रहे हैं। वे सरकार नहीं चला रहे हैं। यह बस थोड़ा सा काम है, जो किसी ने उन्हें दिया है, जिससे उनकी सिर्फ रोजी रोटी चलती है – उसे वे कितना जटिल बना रहे हैं। उससे उन्हें हाई ब्लड प्रेशर हो रहा है और उनका दिल बीमार हो रहा है। आपको देखना चाहिए कि परिवारों में क्या दृश्य होता है। सिर्फ दो लोगों का साथ रहना कितना पेचीदा होता है। छोटे-छोटे बच्चे कितना कष्ट देते हैं। केवल कुछ समय के लिए वे खुशी का कारण होते हैं – बाकी समय लोग उनसे बहुत दुखी रहते हैं। उनका काम, बच्चे, पति/पत्नी, उनके घर, नौकरी, ड्राइविंग, लोग लगभग हर चीज से दुखी रहते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे यह समझने के लिए काफी चेतन नहीं हैं कि जीवन तभी बेहतरीन रूप में काम करता है, अगर आप खुद को उसमें झोंक दें, बिना इस बात की परवाह किए कि आपको वापस क्या मिलेगा। जीवन आपकी भागीदारी से घटित होता है, आपको क्या मिलता है, उससे नहीं। आपको जो मिलेगा, उससे आप क्या करेंगे? बस यही हो सकता है कि अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति से अपनी बराबरी करें, जिसके पास आपसे कम है, तो आप एक बीमार ख़ुशी पा सकते हैं। अगर आप जीवन को जानना और उसका आनंद उठाना चाहते हैं, अगर आप इस जीवन की पूर्ण क्षमता को खोजना चाहते हैं, तो यह सिर्फ संपूर्ण भागीदारी से ही हो सकता है। देखिए, उससे क्या निकल कर आता है। सर्दियों में मिट्टी से कुछ भी बाहर नहीं आता। वसंत के मौसम में थोड़ी कोशिश से काफी कुछ निकल आता है। यही स्थिति जीवन की है। लोग सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि वे लक्ष्य को ध्यान में रख कर चलते हैं। अगर आप अपने लिए 2018 तक आत्मज्ञान प्राप्त करने का लक्ष्य तय करते हैं, तो साल के अंत तक आप पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाएंगे। अगर आप सिर्फ वह करेंगे जो आपको करना है, तो जीवन कुदरती रूप से फलेगा-फूलेगा।
नया साल आपके लिए सबसे शुभ चीज़ें लेकर आए।