कितनी फायदेमंद है तंत्र-विद्या?
तंत्र-विद्या, जिसे अंग्रेजी में 'ऑकल्ट' कहते हैं, के लिए अकसर लोगों के मन में शंका और भय जैसी भावनाएं होती है। आइए जानते हैं कि यह है क्या ?
तंत्र-विद्या, जिसे अंग्रेजी में 'ऑकल्ट' कहते हैं, के लिए अकसर लोगों के मन में शंका और भय जैसी भावनाएं होती है। आइए जानते हैं कि यह है क्या ?
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तंत्र में बहुत सारी संभावनाएं होती हैं। उन्हीं में से एक है 'ऑकल्ट' यानी गुह्य-विद्या जिसमें तंत्र का भौतिक तरीके से इस्तेमाल किया जाता है।
जिसे वाम-मार्गी तंत्र कहा जाता है, वह एक स्थूल या अपरिपक्व टेक्नोलॉजी है जिसमें अनेक कर्मकांड होते हैं। जबकि जो दक्षिण-पंथी तंत्र है, उसकी टेक्नोलॉजी अत्यंत सूक्ष्म है। इन दोनों की प्रकृति बिलकुल अलग है। दक्षिण-पंथी तंत्र ज्यादा आंतरिक और ऊर्जा पर आधरित होता है, यह सिर्फ आपसे जुड़ा है। इससे कोई विधि-विधान या बाहरी क्रियाकलाप नहीं जुड़ा होता। क्या यह भी तंत्र है? एक तरह से है, लेकिन 'योग' में ये सब एक साथ शामिल हैं। जब हम योग कहते हैं, तो किसी भी संभावना को नहीं छोड़ते - इसके अंदर सब कुछ है। बस इतना है कि कुछ विक्षिप्त दिमाग वाले लोगों ने एक खास तरह का तंत्र अपनाया है, जो पूरी तरह से वामपंथी तंत्र है, जिसमें शरीर का विशेष रूप से इस्तेमाल होता है। उन्होंने बस इस हिस्से को ले कर उसे बढ़ा-चढ़ा दिया और उसमें तरह-तरह की अजीबोगरीब सेक्स क्रियाएं जोड़ कर किताबें लिख डालीं और कहा, 'यही तंत्र है'। नहीं, यह तंत्र नहीं है।
तंत्र का मतलब होता है कि आप कामों को अंजाम देने के लिए अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
तो तंत्र कोई अटपटी या बेवकूफी की बात नहीं है। यह एक खास तरह की काबिलियत है। उसके बिना कोई संभावना नहीं हो सकती। इसलिए सवाल यह है कि आपका तंत्र कितना सूक्ष्म और विकसित है? अगर आप अपनी ऊर्जा को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको या तो दस हजार कर्मकांड करने पड़ेंगे या आप बैठे-बैठे भी यह कर सकते हैं। सबसे बड़ा अंतर यही है। सवाल सिर्फ पिछड़ी या एडवांस टेक्नोलॉजी का है, लेकिन तंत्र वह विज्ञान है, जिसके बिना कोई आध्यात्मिक प्रक्रिया नहीं हो सकती।